"हजारीप्रसाद द्विवेदी": अवतरणों में अंतर

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अगस्त 1981 ई० में आचार्य द्विवेदी की उपलब्ध सम्पूर्ण रचनाओं का संकलन 11 खंडों में '''हजारीप्रसाद द्विवेदी ग्रन्थावली''' के नाम से प्रकाशित हुआ। यह प्रथम संस्करण 2 वर्ष से भी कम समय में समाप्त हो गया। द्वितीय संशोधित परिवर्धित संस्करण<ref>हजारीप्रसाद द्विवेदी ग्रन्थावली, खण्ड-1, राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली, पेपरबैक संस्करण-2007, पृष्ठ-7-8 (नये संस्करण की भूमिका)।</ref> 1998 ई० में प्रकाशित हुआ।
 
आचार्य द्विवेदी ने हिन्दी भाषा के ऐतिहासिक व्याकरण के क्षेत्र में भी काम किया था। उन्होंने 'हिन्दी भाषा का वृहत् ऐतिहासिक व्याकरण' के नाम से चार खण्डों में विशाल व्याकरण ग्रन्थ की रचना की थी। इसकी पांडुलिपि [[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]] के हिन्दी विभाग को सौंपी गयी थी, परंतु लंबे समय तक वहाँ से इसका प्रकाशन नहीं हुआ और अंततः वहाँ से पांडुलिपियाँ ही गायब हो गयीं।<ref>हिन्दी भाषा का वृहत् ऐतिहासिक व्याकरण, हजारीप्रसाद द्विवेदी, राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली, द्वितीय संस्करण-2014, पृष्ठ-5.</ref> द्विवेदी जी के पुत्र मुकुन्द द्विवेदी को उक्त वृहत् ग्रन्थ के प्रथम खण्ड की प्रतिकापी मिली और सन 2011 ई० में इस विशाल ग्रंथ का पहला खण्ड '''हिन्दी भाषा का वृहत् ऐतिहासिक व्याकरण''' के नाम से प्रकाशित हुआ। इसी ग्रंथ को यथावत् ग्रन्थावली के 12वें खंड के रूप में भी सम्मिलित करके अब 12 खण्डों में 'हजारीप्रसाद द्विवेदी ग्रन्थावली' का प्रकाशन हो रहा है। अगर आपको यह अच्छा लगा रचनाएं तो आप किसी से
 
== आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी विषयक साहित्य ==