| mount = [[घोड़ा]], [[तेंदुआ]], [[बाघ]], [[सिंह (पशु)|सिंह]], [[हाथी]]
| texts =
| region =
}}
'''अय्यप्पअय्यप्पन''' [[हिंदू]] [[देवता]] हैं। वे विकास के देवता माने जाते हैं और [[केरल]] में विशेष रूप से पूज्य हैं। उन्हें [[शिव]] और [[मोहिनी]] का पुत्र कहा जाता है। मोहिनी [[विष्णु]] की [[अवतार]] हैं।
यद्यपि अयप्पअय्यप्पन की भक्ति केरल में बहुत काल से प्रचलित है किन्तु शेष दक्षिण भारत में यह हाल के दिनों में (२०वीं शताब्दी के अन्तिम काल में) लोकप्रिय हुआ है।
अय्यप्पअय्यप्पन के बारे में किंवदंति है कि उनके माता-पिता ने उनकी गर्दन के चारों ओर एक घंटी बांधकर उन्हें छोड दिया था और पांडलम के राजा राजशेखर पांडियन ने उन्हें अपने पास रखा। [[मलयालम]] और [[कोडवा भाषा|कोडवा]] में उनकी कहानियां और गीत प्रसिद्ध हैं जिनमें उनके बाद के जीवन का वर्णन होता है। इन कहानियों और गीतों में अय्यप्पअय्यप्पन द्वारा मुस्लिम ब्रिगेड [[वावर]] की को पराजित करना और उसके बाद वावर द्वारा उनकी पूजा का वर्णन मिलता है।
सबसे प्रसिद्ध अय्यप्पअय्यप्पन मंदिर केरल की [[पतनमथिट्टा]] पहाड़ियों पर स्थित [[सबरिमलय]] मन्दिर है। यहाँ प्रति वर्ष दस लाख से अधिक तीर्थयात्री आते हैं। इस प्रकार यह विश्व के सबसे बडे तीर्थस्थलों में से एक है। सबरीमाला आने वाले तीर्थयात्रियों को ४१ दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन करने तथा मांस-मदिरा से दूर रहने की कठिन व्रत करना होता है। तीर्थयात्रियों को नंगे पांव ही पहाड़ी की चोटी पर स्थित इस मंदिर तक चढना होता है। इस प्रकार इस यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों के बीच न्यूनतम सामाजिक और आर्थिक असमता दृष्टिगोचर होती है।
अय्यप अय्यप्पन और तमिल देवता [[अयनार]] के बीच ऐतिहासिक संबंध हैं। अय्यप्प की स्तुति का [[मन्त्र]] 'स्वामिएस्वामीये शरणम् अयप्पअय्यप्पा ' है जिसका अर्थ है - स्वामि अय्यप्प ! मैं आप की शरण में हूँ।