"शिव": अवतरणों में अंतर

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देवी भागवत पुराण व पवित्र शिव पुराण से लिया लेख ।
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भगवान शिव को [[संहार]] का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। [[रावण]], [[शनि]], [[कश्यप ऋषि]] आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। शिव के कुछ प्रचलित नाम, महाकाल, आदिदेव, किरात,शंकर, चन्द्रशेखर, जटाधारी, नागनाथ, मृत्युंजय, त्रयम्बक, महेश, विश्वेश, महारुद्र, विषधर, नीलकण्ठ, महाशिव, उमापति, काल भैरव, भूतनाथ आदि।
 
देवीभगवतदेवीभागवत पुराण में लिखा हुआ है कि भगवान ब्रह्मा, विष्णु व शिव जी की जन्म और मृत्यु होती है ये अविनाशी नही है । दुर्गा जी व ब्रह्म के संयोग से इनका जन्म हुआ है।है । तीसरा स्कंद अध्याय1अध्याय 1 से 3 गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित , अनुवादकर्ता - हनुमान प्रसाद पोदारपोद्दार चिमनलाल गोस्वामी पृष्ठ 114 से 118.118।
 
पृष्ठ 123 पर लिखा है , विष्णु जी ने कहा कि हे माता यह संसार तुम्ही से उद्भाषित हो रहा है । हम तीनों तुम्हारी कृपा से विद्यमान है । हमारा तो आविर्भाव, यानी जन्म व तिरोभाव यानी मृत्यु हुआ करती है तुम्ही नित्य हो , आप जगत जननी हो।
 
 
 
ब्शिव पुराण,- रुद्र संहिता अध्यय 7 पृष्ठ103पृष्ठ 103 पर ब्रह्मा जी ने कहा कि मेरी उतप्पति भी ब्रह्म व देवी के संयोग से अर्थात पति पत्नी व्यवहार से हुई ! इससे सिद्ध हुआ कि तीनों देवताओदेवता परमेश्वर सिद्ध नही हुए।हुए । परमेश्वर तो कोई और हैं ।
 
== शिव स्वरूप ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/शिव" से प्राप्त