"तत्वबोधिनी सभा": अवतरणों में अंतर

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मान की जगाह नाम लिखा.
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'''तत्वबोधिनी सभा''' की स्थापना [[देवेन्द्रनाथ ठाकुर]] ने कलकत्ता में 6 अक्टूबर, 1839 को की थी। इस सभा का उद्देश्य धार्मिक विषयों पर चिन्तन तथा [[उपनिषद|उपनिषदों]] के सार का प्रसार करना था।
 
आरम्भ में इसका नाम 'तत्त्वरंजिनी सभा' था और यह [[ब्रह्म समाज]] से टूटकर अलग हुए कुछ लोगों द्वारा स्थापित एक संघ था। बाद में इसका माननाम तत्त्वबोधिनी सभा कर दिया गया। 1859 में पुनः इस सभा का विलय [[ब्रह्म समाज]] में कर दिया गया।
 
==इन्हें भी देखें==