"रत्नकरण्ड श्रावकाचार": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
→श्लोक: श्रेणी जोड़ी गई। टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन Android app edit |
|||
पंक्ति 15:
:अर्थात:- जिनके केवलज्ञान रूप दर्पण में अलोकाकाश सहित षट्द्रव्यों के समूहरूप सम्पूर्ण लोक अपनी भूत, भविष्यत्, वर्तमान की समस्त अनंतानंत पर्यायों सहित प्रतिबिंबित हो रहा है और जिनका आत्मा समस्त कर्ममल रहित हो गया है, ऐसे श्री वर्द्धमान देवाधिदेव अंतिम तीर्थंकर को मैं अनपे आवरण, कषायादी मल रहित सम्यग्ज्ञान प्रकाश के प्रगट होने के लिए नमस्कार करता हूँ |
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
[[श्रेणी:जैन
[[श्रेणी:जैन ग्रन्थ]]
|