"कुमारिल भट्ट": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
व्यास समास (वार्ता | योगदान) छोNo edit summary टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
व्यास समास (वार्ता | योगदान) छोNo edit summary टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 23:
कुमारिल संसार की उत्पत्ति तथा प्रलय नहीं मानते। संसार में वस्तुएँ उत्पन्न तथा नष्ट होती रहती है। जीवों के जन्म मरण का प्रवाद चलता रहता है किंतु समग्र संसार की न तो उत्पत्ति ही होती है, न विनाश। [[न्याय]] की तरह कुमारिल ईश्वर को जगत् का कारण नहीं मानते। अनेक तर्कों द्वारा उन्होंने यह सिद्ध करने का प्रयत्न किया है कि ईश्वर को जगत् का कारण मानना युक्तिसंगत नहीं है।
कुमारिल के अनुसार आत्मा एक नित्य द्रव्य है। वह विभु अथवा व्यापक है। वह कर्ता तथा कर्म-फल-भोक्ता दोनों ही है। आत्मा शरीर, इंद्रिय, मन तथा बुद्धि से भिन्न है। वह विज्ञानों की संतान मात्र नहीं है। कुमारिल ने बौद्धों के अनात्मवाद तथा विज्ञानसंतान के सिद्धांत का अनेक प्रबल तर्कों द्वारा खंडन किया है। उनके अनुसार नित्य आत्मा के
=== कर्म ===
|