"अयम् आत्मा ब्रह्म": अवतरणों में अंतर

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'''अयम् आत्मा ब्रह्म''' [[उपनिषद्]] के इस [[महावाक्य]] के अनुसार [[आत्मा]] और [[परब्रह्म]] का समीकरण है। अर्थात व्यक्ति विश्व का रहस्य, जो परब्रह्म को विदित है, जान सकता है।
 
 
अयमात्मा ब्रह्म भारत के पुरातन हिंदू शास्त्रों व उपनिषदों में वर्णित महावाक्य है, जिसका शाब्दिक अर्थ है यह आत्मा ब्रह्म है।