"जेवर": अवतरणों में अंतर

निवास स्थान
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Thakur Vikrant Singh Pawar का निवास स्थान।
 
जाति विशेष
 
इस नगर में [राजा भोज पवार] के वंश निवास करते हैं। [अग्निवंशी राजपूत परमार] जो रोहतक के पास कलानौर से आए थे । जेवर के शासक मैंना मेवाड़ीयो का नाश करने के लिए। जो जेवर की जनता पर अत्याचार कर रहे थे। जेवर की आखिरी जमींदार ठाकुर रघुराज सिंह का निवास स्थान भूतपूर्व।जेवर के दो महान योद्धा ठाकुर मुंशी पवार और ठाकुर जानी पवार का निवास स्थान भी जो अग्निवंशी राजपूत पंवार वंश से संबंध रखते हैं। मध्य प्रदेश के धार जिले की धार रियासत से इनका संबंध है।
 
ऐतिहासिक स्थल
 
 
पुरानी हवेली
[4HF4+C6 Jewar, Uttar Pradesh]
ब्रिटिश काल के जेवर के जमींदार ठाकुर रघुराज सिंह ।यह हवेली उनका निवास स्थान ठाकुर रघुराज सिंह के कोई पुत्र नहीं था उनके एक पुत्री थी जिनका विवाह उन्होंने [जयपुर ]में कर दिया सन 1950 के बाद जब सरकार ने जमींदार प्रथा खत्म कर दी। वह जयपुर जाकर रहने लगे ।आज हवेली उनके कुछ संबंधियों के अधीन है ।इस हवेली में [न्यू ड्रीम पब्लिक स्कूल] चल रहा है और इस हवेली के कमरों को लोगों को किराए पर दिया गया है जेवर के पूर्व चेयरमैन कुंवर औरंगजेब अली के भाई कुंवर सलीम अली ने हवेली को खरीदने के लिए इसकी कीमत 5 करोड़ लगाई है ।हवेली अपनी सबसे बुरे दौर से गुजर रही है हवेली में एक तहखाना भी है जिसमें एक सुरंग है जो काफी दूर तक जाती है परंतु काफी पुरानी होने के कारण कोई भी व्यक्ति उस सुरंग में जाने की हिम्मत नहीं करता क्योंकि उसमें जहरीले कीड़े मकोड़े हो सकते हैं कहा जाता है तहखाने कहीं पर सोना गड़ा हुआ है ऐसा अनुमान है कि जब हवेली अपनी सुनहरे दौर मे थी तो वहां पर दौलत रखी जाती थी।
कचहरी
 
जेवर शहर के मेन बाजार की सब्जी मार्केट में मामू होटल के नजदीक एक खंडहर है जो पुराने समय में कचहरी थी । इसी कचहरी में बैठकर जेवर की आखिरी जमींदार ठाकुर रघुराज सिंह फैसला सुनाया करते थे ।ब्रिटिश राज खत्म होने के बाद यह कचहरी वीरान हो गई।
 
जेवर किला
[28.1195539, 77.5588786]
 
आज का मोहल्ला किला कॉलोनी जो एक पुराने किले के खंडहरों के ऊपर बना हुआ है।
दिल्ली सल्तनत के राजाओं ने इस जगह को जीतकर इस पर अपने अधिकारी बैठा दिए
रजिया सुल्ताना जो कि दिल्ली के राजा इल्तुतमिश की पुत्री थी वह इसके लिए में शिकार खेलने के लिए आया करती थी । वक्त की मार को अकेला सह न सका और खंडहर में तब्दील हो गया बाहरी लोगों ने धीरे-धीरे यहां आकर अपने अपने घर बना लिए और किले का अस्तित्व हमेशा के लिए जमीन में दफन हो गया।
 
दरगाह हज़रत रहीमुद्दीन शाह उर्स बाबा शंकर बारस रहमतुल्ला अलेही
 
[4HH5+H4 Jewar, Uttar Pradesh]
 
जेवर शहर में एक दरगाह है जो बाबा शक्कर बरस के नाम से मशहूर है। बहुत समय पहले यहां पर एक कुआं था । उस पर कुदरती तौर पर शक्कर की बारिश हुआ करती थी। कुछ व्यापारियों ने इस बात का लाभ उठाकर बाहर ले जाकर शक्कर बेचने लगे इस कारण यहां शक्कर बसनी बंद हो गई।
साल 2012 में एक बनिए की पुत्री बहुत अधिक बीमार हो गई ।कई डॉक्टरों को दिखाने के बाद भी वह ठीक नहीं हुई। एक दिन रात को उस लड़की के पिता को एक सपना आया। सपने में उसे वही शक्कर बसने वाला कुआं दिखाई दिया जो रो कर उससे कह रहा था कि मैं अंधा हो चुका हूं यानी बंद हो चुका हूं तू मेरी सफाई कर उससे जो पानी निकलेगा उससे अपनी पुत्री को स्नान करा देना वह ठीक हो जाएगी उस बनिए ने ऐसा ही किया और उसकी पुत्री बीमारी से ठीक हो गई यह बात जैसे ही आस-पास के गांव में फैली लोग उस चमत्कारी कुए के पास आकर अपनी बीमारी दूर करने लगे फिर वह कुआं दोबारा सूख गया।
 
श्री दाऊजी मंदिर
शहर के बाहर एक तालाब था।उस तालाब में एक बनिया स्नान कर रहा था तो उसे श्री दाऊजी महाराज की एक मूर्ति मिली इसे उसने वहां एक मंदिर बनवा कर स्थापित कर दिया
यह एक शोध का विषय है कि दाऊजी मंदिर का क्षेत्रफल पहले काफी कम था धीरे-धीरे अतिक्रमण करके उन्होंने जमीन को अधिग्रहण कर लिया।
 
== स्थान ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/जेवर" से प्राप्त