"राम": अवतरणों में अंतर
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'''श्रीराम''' का जीवनकाल एवं पराक्रम महर्षि [[वाल्मीकि]] द्वारा रचित [[संस्कृत]] महाकाव्य [[रामायण]] के रूप में वर्णित हुआ है। रामायण में सीता के खोज में श्रीलंका जाने के लिए 25 किलोमीटर पत्थर के सेतु का निर्माण करने का उल्लेख प्राप्त होता है, जिसको रामसेतु कहते हैं, वह आज भी स्थित है, जिसकी कार्बन डेंटिंग में पांच हजार वर्ष पूर्व का अनुमान लगा गया है।
मान्यता अनुसार गोस्वामी [[तुलसीदास]] ने भी उनके जीवन पर केन्द्रित भक्तिभावपूर्ण सुप्रसिद्ध महाकाव्य [[रामचरितमानस]] की रचना की है। इन दोनों के अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओं में भी रामायण की रचनाएं हुई हैं, जो काफी प्रसिद्ध भी हैं। खास तौर पर उत्तर भारत में राम अत्यंत पूज्यनीय हैं और आदर्श पुरुष हैं। इन्हें पुरुषोत्तम शब्द से भी अलंकृत किया जाता है। मर्यादा-पुरुषोत्तम राम, [[अयोध्या]] के राजा [[दशरथ]] और रानी [[कौशल्या]] के सबसे बड़े पुत्र थे। राम की पत्नी का नाम [[सीता]] था इनके तीन भाई थे- [[लक्ष्मण]], [[भरत (रामायण)|भरत]] और [[शत्रुघ्न]]। [[हनुमान]], राम के, सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं। राम ने लंका के राजा [[रावण]] (जिसने अधर्म का पथ अपना लिया था) का वध किया। राम की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है। राम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता, यहां तक कि पत्नी का भी साथ छोड़ा। इनका परिवार आदर्श भारतीय परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। राम रघुकुल में जन्मे थे, जिसकी परम्परा '''प्रान जाहुं बरु बचनु न जाई'''<ref> रामचरितमानस (सटीक)-2-28-2; गीताप्रेस गोरखपुर, संस्करण-1999ई०।</ref> की थी। राम के पिता दशरथ ने उनकी सौतेली माता [[कैकेयी]] को उनकी किन्हीं दो इच्छाओं को पूरा करने का वचन (वर) दिया था। कैकेयी ने दासी [[मन्थरा]] के बहकावे में आकर इन वरों के रूप में राजा दशरथ से अपने पुत्र [[भरत]] के लिए अयोध्या का राजसिंहासन और राम के लिए चौदह वर्ष का [[वनवास]] मांगा। पिता के वचन की रक्षा के लिए राम ने खुशी से चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार किया। पत्नी [[सीता]] ने आदर्श पत्नी का उदाहरण देते हुए पति के साथ वन जाना उचित समझा। भाई लक्ष्मण ने भी राम के साथ चौदह वर्ष वन में बिताए। भरत ने न्याय के लिए माता का आदेश ठुकराया और बड़े भाई राम के पास वन जाकर उनकी चरणपादुका (खड़ाऊं) ले आए। फिर इसे ही राज गद्दी पर रख कर राजकाज किया। जब राम वनवासी थे तभी उनकी पत्नी सीता को रावण हरण (चुरा) कर ले गया। जंगल में राम को हनुमान जैसा मित्र और भक्त मिला जिसने राम के सारे कार्य पूरे कराये। राम ने हनुमान, सुग्रीव आदि वानर जाति के महापुरुषो की सहायता से सीता को ढूंडा। समुद्र में पुल बना कर लंका पहुंचे तथा रावण के साथ युद्ध किया। उसे मार कर सीता जी को वापस ले कर आये। राम के अयोध्या लौटने पर भरत ने राज्य उनको ही सौंप दिया। राम न्यायप्रिय थे। उन्होंने बहुत अच्छा शासन किया इसलिए लोग आज भी अच्छे शासन को '''रामराज्य''' की उपमा देते हैं। इनके दो पुत्रों [[कुश]] व [[लव]] ने इनके राज्यों को
[[वैदिक]] [[धर्म]] के कई त्योहार, जैसे [[दशहरा]], [[राम नवमी]] और [[दीपावली]], राम की वन-कथा से जुड़े हुए हैं।
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