"राम": अवतरणों में अंतर
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पुराणों में श्री राम के जन्म के बारे में स्पष्ट प्रमाण मिलते कि श्री राम का जन्म वर्तमान [[उत्तर प्रदेश]] के [[अयोध्या]] जिले के [[अयोध्या]] नामक नगर में हुआ था। अयोध्या जो कि भगवान राम के पूर्वजों की ही राजधानी थी। रामचन्द्र के पूर्वज रघु थे।
भगवान राम बचपन से ही शान्त स्वभाव के वीर पुरूष थे। उन्होंने मर्यादाओं को हमेशा सर्वोच्च स्थान दिया था। इसी कारण उन्हें '''मर्यादा पुरूषोत्तम राम''' के नाम से जाना जाता है। उनका राज्य न्यायप्रिय और खुशहाल माना जाता था। इसलिए भारत में जब भी सुराज (अच्छे राज) की बात होती है तो रामराज या रामराज्य का उदाहरण दिया जाता है। धर्म के मार्ग पर चलने वाले राम ने अपने तीनों भाइयों के साथ गुरू वशिष्ठ से शिक्षा प्राप्त की। किशोरावस्था में गुरु [[विश्वामित्र]] उन्हें वन में राक्षसों द्वारा मचाए जा रहे उत्पात को समाप्त करने के लिए साथ ले गये। राम के साथ उनके छोटे भाई लक्ष्मण भी इस कार्य में उनके साथ थे। ब्रह्म ऋषि विश्वामित्र, जो ब्रह्म ऋषि बनने से पहले राजा विश्वरथ थे, उनकी तपोभूमि बिहार का बक्सर जिला है। ब्रह्म ऋषि विश्वामित्र वेदमाता गायत्री के प्रथम उपासक हैं, वेदों का महान गायत्री मंत्र सबसे पहले ब्रह्म ऋषि विश्वामित्र के ही श्रीमुख से निकला था। कालांतर में विश्वामित्रजी की तपोभूमि राक्षसों से आक्रांत हो गई। [[ताड़का]] नामक राक्षसी विश्वामित्रजी की तपोभूमि बक्सर (बिहार) में निवास करने लगी थी तथा अपनी राक्षसी सेना के साथ बक्सर के लोगों को कष्ट दिया करती थी। समय आने पर विश्वामित्रजी के निर्देशन प्रभु श्री राम के द्वारा वहीं पर उसका वध हुआ। राम ने उस समय [[ताड़का]] नामक राक्षसी को मारा तथा [[मारीच]] को पलायन के लिए मजबूर किया। इस दौरान ही गुरु विश्वामित्र उन्हें [[मिथिला]] ले गये।
भगवान राम के बचपन की विस्तार-पूर्वक विवरण स्वामी तुलसीदास की [[रामचरितमानस]] के [[बालकाण्ड]] से मिलती है।
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