"हरित क्रांति (भारत)": अवतरणों में अंतर

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Bharat me harit kranti ki surwat 1967-68 me hui
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[[भारत]] में [[हरित क्रांन्ति]] की शुरुआत सन 1967 में प्रारम्भ करने का श्रेय नोबल पुरस्कार विजेता [[प्रोफेसर नारमन बोरलॉग]] को जाता हैं।लेकिन
 
[[भारत]] में [[हरित क्रांन्ति]] की शुरुआत सन 1967-68 में प्रारम्भ करने का श्रेय नोबल पुरस्कार विजेता [[प्रोफेसर नारमन बोरलॉग]] को जाता हैं।लेकिन भारत में एम. एस. स्वामीनाथन को इसका जनक माना जाता है। हरित क्रांन्ति से अभिप्राय देश के सिंचित एवं असिंचित कृषि क्षेत्रों में अधिक उपज देने वाले संकर तथा बौने बीजों के उपयोग से फसल उत्पादन में वृद्धि करना हैं।
हरित क्रान्ति भारतीय कृषि में लागू की गई उस विकास विधि का परिणाम है, जो 1960 के दशक में पारम्परिक कृषि को आधुनिक तकनीकि द्वारा प्रतिस्थापित किए जाने के रूप में सामने आई। क्योंकि कृषि क्षेत्र में यह तकनीकि एकाएक आई, तेजी से इसका विकास हुआ और थोड़े ही समय में इससे इतने आश्चर्यजनक परिणाम निकले कि देश के योजनाकारों, कृषि विशेषज्ञों तथा राजनीतिज्ञों ने इस अप्रत्याशित प्रगति को ही 'हरित क्रान्ति' की संज्ञा प्रदान कर दी। हरित क्रान्ति की संज्ञा इसलिये भी दी गई, क्योंकि इसके फलस्वरूप भारतीय कृषि निर्वाह स्तर से ऊपर उठकर आधिक्य स्तर पर आ चुकी थी।
उपलब्धियाँ