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{{main|हैदराबाद स्टेट}}
{{Quote box |quoted=true |bgcolor=#F5F6CE |salign=left| quote = अपने लजीज मुगलई भोजन के साथ-साथ हैदराबाद निजामी तहजीब के कारण भी दुनिया भर में मशहूर है। स्वादप्रेमियों के लिए तो हैदराबाद जन्नत के समान है। यहां की लजीज बिरयानी और पाया की खूशबू दूर-दूर से पर्यटकों को हैदराबाद खींच लाती है।| source = '''वेब दुनिया हिन्दी'''<ref name=vebduniya/>|align=right| width=275px}}
[[गोलकोण्डा|गोलकुंडा सल्तनत]] के शासक परिवार, "कुतुब शाही" राजवंश का संस्थापक [[मुहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह]] था। १५१२ में स्वतंत्र सल्तनत बनने से पहले यह राजवंश [[बहमनी सल्तनत]] के आधीन था। १५९१ में इस राजवंश के एक शासक मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने [[मूसी नदी]] के तट पर हैदराबाद शहर की स्थापना की।<ref>{{cite web|url=https://www.livemint.com/Leisure/Zad93Q6KZOuM4jrH99qaeN/Opinion--A-Hyderabadi-conundrum.html|title=Opinion A Hyderabadi conundrum}}</ref> यह स्थान परिवर्तन, पुराने मुख्यालय [[गोलकोण्डा]] में राजवंश को हो रही पानी की कमी के कारण करना पडा।पड़ा । कहा जाता है कि, इससे पहले कि प्लेग की महामारी उसकी नये बसाये शहर में फैल पाती, उस पर काबू पाया जा सका, इसलिये उसने उसी साल, [[चारमीनार]] बनवाने का भी आदेश दिया।
 
१६वीं शताब्दी और शुरुआती १७वीं शताब्दी में, जैसे जैसे कुतुब शाही राजवंश की शक्ति और सत्ता बढ़ती गई, हैदराबाद हीरों के व्यापार का केंद्र बनता गया। [[एलिज़ाबेथ_द्वितीय|महारानी एलीजाबेथ]] के राजमुकुट में जड़ा विश्व में सर्वाधिक प्रसिद्ध कोह-ए-नूर, गोलकुंडा की हीरों की खानें से ही निकला है। कुतुब शाही राजवंश ने हैदराबाद में हिन्दुस्तानी - फ़ारसी और हिन्दुस्तानी-इस्लामी साहित्य के विकास में भी सहयोग किया। कुछ सुल्तान स्थानीय तेलगू संस्कृति के संरक्षक भी माने जाते हैं। १६वीं शताब्दी में शहर गोलकुंडा की जनसंख्या के बसने के लिये बढ़ा और फलतः कुतुब शाही शासकों की राजधानी बन गया। हैदराबाद अपने बागों और सुखद मौसम के लिये जाना जाने लगा।