"राजपूत": अवतरणों में अंतर
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| caption = इलस्ट्रेटेड लंदन समाचार से, 1876 [[राजस्थान]] के राजपूतों का उत्कीर्णन
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'''राजपूत''' उत्तर भारत का एक [[क्षत्रिय]] कुल माना जाता है जो कि 'राजपुत्र' का [[अपभ्रंश]] है। [[राजस्थान]] को ब्रिटिशकाल में '[[राजपुताना]]' भी कहा गया है। पुराने समय में [[आर्य]] जाति में केवल चार वर्णों की व्यवस्था थी। राजपूत काल में प्राचीन वर्ण व्यवस्था समाप्त हो गयी थी तथा वर्ण के स्थान पर कई जातियाँ व उप जातियाँ बन गईं थीं।<ref name="pd">{{पुस्तक सन्दर्भ|last1=प्रतियोगिता दर्पण संपादकगण|title=प्रतियोगिता दर्पण अतिरिक्त प्रति शृंखला-3, भारतीय इतिहास|publisher=उपकार प्रकाशन|page=65|url=https://books.google.co.in/books?id=TTcCKkY7NLMC&pg=PA65&dq=varna+system+rajput&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwizwojDl4jLAhVRcY4KHXfMABIQ6AEIGzAA#v=onepage&q=varna%20system%20rajput&f=false}}</ref><ref name="स3">{{पुस्तक सन्दर्भ|last1=महेंद्र जैन|title=Series-3 Indian History|publisher=Pratiyogita Darpan|page=65|url=https://books.google.co.in/books?id=bw3kBgAAQBAJ&pg=PA65&dq=varna+system+rajput&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwizwojDl4jLAhVRcY4KHXfMABIQ6AEIIDAB#v=onepage&q=varna%20system%20rajput&f=false}}</ref> कवि [[चंदबरदाई]] के कथनानुसार राजपूतों की 36 जातियाँ थी।कुछ इतिहासकारों ने प्राचीन काल एवं मध्य काल को 'संधि काल' भी कहा है। इस काल के महत्त्वपूर्ण राजपूत वंशों में राष्ट्रकूट वंश, चालुक्य वंश, चौहान वंश, चंदेल वंश, परमार वंश एवं गुर्जर-प्रतिहार
== राजपूतों की उत्पत्ति ==
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