"चंदबरदाई": अवतरणों में अंतर
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== हिन्दी के पहले कवि ==
चंदबरदाई को [[हिंदी]] का पहला कवि और उनकी रचना पृथ्वीराज रासो को हिंदी की पहली रचना होने का सम्मान प्राप्त है। शायद इसी वजह से हिंदी के आदिकाल को 'चारण काल' भी कहा जाता है। [[पृथ्वीराज रासो]] हिंदी का सबसे बड़ा काव्य-ग्रंथ है। इसमें 10,000 से अधिक [[छंद]] हैं और तत्कालीन प्रचलित 6 भाषाओं का प्रयोग किया गया है। इस ग्रंथ में उत्तर भारतीय क्षत्रिय समाज व उनकी परंपराओं के विषय में विस्तृत जानकारी मिलती है, इस कारण ऐतिहासिक दृष्टि से भी इसका बहुत महत्व है।
वे भारत के अंतिम हिंदू सम्राट [[पृथ्वीराज चौहान|पृथ्वीराज चौहान तृतीय]] के मित्र तथा राजकवि थे। पृथ्वीराज ने 1165 से 1192 तक [[अजमेर]] व [[दिल्ली]] पर राज किया। यही चंदबरदाई का रचनाकाल भी था।
== गोरी के वध में सहायता ==
इनका जीवन पृथ्वीराज के जीवन के साथ ऐसा मिला हुआ था कि अलग नहीं किया जा सकता। युद्ध में, आखेट में, सभा में, यात्रा में, सदा महाराज के साथ रहते थे और जहाँ जो बातें होती थीं, सब में सम्मिलित रहते थे। यहां तक कि मुहम्मद गोरी के द्वारा जब पृथ्वीराज चौहान को परास्त करके एवं उन्हे बंदी बना करके गजनी ले जाया गया तो ये भी स्वयं को वश में नहीं कर सके एवं गजनी चले गये। ऐसा माना जाता है कि कैद में बंद पृथ्वीराज को जब अन्धा कर दिया गया तो उन्हें इस अवस्था में देख कर इनका हृदय द्रवित हो गया एवं इन्होंने गोरी के वध की योजना बनायी। उक्त योजना के अंतर्गत इन्होंने पहले तो गोरी का हृदय जीता एवं फिर गोरी को यह बताया कि पृथ्वीराज शब्दभेदी बाण चला सकता है। इससे प्रभावित होकर मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज की इस कला को देखने की इच्छा प्रकट की। प्रदर्शन के दिन चंदबरदाई गोरी के साथ ही मंच पर बैठे। अंधे पृथ्वीराज को मैदान में लाया गया एवं उनसे अपनी कला का प्रदर्शन करने को कहा गया। पृथ्वीराज के द्वारा जैसे ही एक घण्टे के ऊपर बाण चलाया गया गोरी के मुँह से अकस्मात ही "वाह! वाह!!" शब्द निकल पड़ा बस फिर क्या था चंदबरदायी ने तत्काल एक दोहे में पृथ्वीराज को यह बता दिया कि गोरी कहाँ पर एवं कितनी ऊँचाई पर बैठा हुआ है। वह दोहा इस प्रकार था:
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