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इस नदी का मूल (उद्गम) त्रिशूल पर्वत की तलहटी पर स्थित नन्दाघुँघुँटी से है, जिसके पास शीलासमुद्र नामक विशाल शिलाओं की सागर बना हुआ है! नन्दाकिनी नदी की लम्बाई 160 लगभग है, और नन्पदप्ररयाग में अलकनन्दा में संगम हो जाता है!
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'''नंदाकिनी नदी''' [[गंगा]] नदी की पांच आरंभिक सहायक नदियों में से एक है। यह नदी तथा अलकनंदा नदियों के संगम पर [[नन्द प्रयाग]] स्थित है। यह सागर तल से २८०५ फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहांइस नदी का मूल (उद्गम) त्रिशूल पर्वत की तलहटी पर स्थित नन्दाघुँघुँटी से है, जिसके पास शीलासमुद्र नामक विशाल शिलाओं की सागर बना हुआ है! नन्दाकिनी नदी की लम्बाई 160 लगभग है, और नन्पदप्ररयाग में अलकनन्दा में संगम हो जाता है! गोपाल जी का मंदिर दर्शनीय है। नंदप्रयाग का मूल नाम कंदासु था जो वास्तव में अब भी राजस्व रिकार्ड में यही है। ऐसा कहा जाता है कि [[स्कंद पुराण]]नन्दप्रयाग में नंगप्रयागनन्दराज कोनामक कण्वराजा आश्रमने कहायज्ञ गयाकिया हैथा, जहांजिस दुष्यंतकारण एवंइस शकुंतलाप्रयाग कीको कहानीनन्दप्रयाग गढ़ी गयी। स्पष्ट रूपनाम से इसका नाम इसलिये बदलजाना गया क्योंकि यहां नंद बाबा ने वर्षों तक तप किया था।
 
{{गंगा}}