"जगन्नाथ मन्दिर, पुरी": अवतरणों में अंतर

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}}</ref> इस मंदिर का वार्षिक [[रथ यात्रा]] उत्सव प्रसिद्ध है। इसमें मंदिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान [[जगन्नाथ]], उनके बड़े भ्राता [[बलभद्र]] और भगिनी [[सुभद्रा]] तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं।कहा जाता है किहैं। श्री जगन्नथपुरी पहले नील माघव के नाम से पुजे जाते थे। जो भील सरदार विश्वासु के आराध्य देव थे। अब से लगभग हजारों वर्ष पुर्व भील सरदार विष्वासु नील पर्वत की गुफा के अंदर नील माघव जी की पुजा किया करते थे <Ref>{{http://www.templeyatra.in/history-of-jagannathpuri-rath-yatra/}}</Ref> । [[भारत का इतिहास|मध्य-काल]] से ही यह उत्सव अतीव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसके साथ ही यह उत्सव [[भारत]] के ढेरों [[वैष्णव]] कृष्ण मंदिरों में मनाया जाता है, एवं यात्रा निकाली जाती है।<ref>{{cite web
|url = http://www.time.com/time/magazine/article/0,9171,892784,00.html
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