"प्रोजेक्ट टाइगर": अवतरणों में अंतर

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देश में बाघों को विलुप्त होने से बचाने के लिए वर्ष 1973 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में '''प्रोजेक्ट टाईगर''' (''बाघ बचाओ परियोजना'') की शुरुआत 4 अप्रैल १९७३1973 को हुई थी। यह केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित परियोजना है। वैज्ञानिक, आर्थिक, सौंदर्यपरक, सांस्‍कृतिक और पारिस्‍थितिकीय दृष्‍टिकोण से भारत में बाघों की वास्‍तविक आबादी को बरकरार रखने के लिए तथा हमेशा के लिए लोगों की शिक्षा व मनोरंजन के हेतु राष्‍ट्रीय धरोहर के रूप में इसके जैविक महत्‍व के क्षेत्रों को परिरक्षित रखने के उद्देश्‍य से केंद्र द्वारा प्रायोजित बाघ परियोजना वर्ष १९७३ में शुरू की गई थी। इसके अन्तर्गत आरम्भ में 9 बाघ अभयारण्य बनाए गए थे। आज इनकी संख्या बढ़कर 50 हो गई है। सरकारी आकडों के अनुसार 2006 में १४११1811 बाघ बचे हुए है। 2010 में जंगली बाघों की संख्या 1701 हो गयी है। 2226 बाघ 2014 में प्राकृतिक वातावरण में थे। यह केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित परियोजना है।
 
[[चित्र:Tiger-INDIA-Maya.JPG|अंगूठाकार]]
राष्‍ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण तथा बाघ व अन्‍य संकटग्रस्‍त प्रजाति अपराध नियंत्रण ब्‍यूरो के गठन संबंधी प्रावधानों की व्‍यवस्‍था करने के लिए वन्‍यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1962 में संशोधन किया गया। बाघ अभयारण्‍य के भीतर अपराध के मामलों में सजा को और कड़ा किया गया। वन्‍यजीव अपराध में प्रयुक्‍त किसी भी उपकरण, वाहन अथवा शस्‍त्र को जब्‍त करने की व्‍यवस्‍था भी अधिनियम में की गई है। सेवानिवृत्त सैनिकों और स्‍थानीय कार्यबल तैनात करके 14 बाघ अभ्‍यारण्‍यों को शत-प्रतिशत अतिरिक्‍त केंद्रीय सहायता प्रदान की गई। मुख्‍यमंत्री की अध्‍यक्षता में राज्‍य स्तरीय संचालन समिति का गठन किया गया और बाघ संरक्षण फाउंडेशन की स्‍थापना की गई। संसद के समक्ष वार्षिक लेखा परीक्षा रिपोर्ट रखी गई। पर्यावरण मंत्रालय ने 2005 में नेशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) का गठन किया जिसको प्रोजेक्ट टाइगर के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई। अभ्‍यारण्‍य प्रबंधन में संख्‍यात्‍मक मानकों को सुनिश्‍चित करने के साथ-साथ बाघ संरक्षण को सुदृढ़ करने के लिए 04-09-2006 से राष्‍ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण का गठन किया गया।<ref>Panwar, H. S. (1987). "Project Tiger: The reserves, the tigers, and their future". In Tilson, R. L.; Sel, U. S. Tigers of the world: the biology, biopolitics, management, and conservation of an endangered species. Park Ridge, N.J.: Minnesota Zoological Garden, IUCN/SSC Captive Breeding Group, IUCN/SSC Cat Specialist Group. pp. 110–117.</ref>
वैज्ञानिक, आर्थिक, सौंदर्यपरक, सांस्‍कृतिक और पारिस्‍थितिकीय दृष्‍टिकोण से भारत में बाघों की वास्‍तविक आबादी को बरकरार रखने के लिए तथा हमेशा के लिए लोगों की शिक्षा व मनोरंजन के हेतु राष्‍ट्रीय धरोहर के रूप में इसके जैविक महत्‍व के क्षेत्रों को परिरक्षित रखने के उद्देश्‍य से केंद्र द्वारा प्रायोजित बाघ परियोजना वर्ष १९७३ में शुरू की गई थी।
 
वन्‍यजीवों के अवैध व्‍यापार को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए पुलिस, वन, सीमा शुल्‍क और अन्‍य प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों से युक्‍त एक बहुविषयी बाघ तथा अन्‍य संकटग्रस्‍त प्रजाति अपराध नियंत्रण ब्‍यूरो (वन्‍यजीव अपराध नियंत्रण ब्‍यूरो), की स्‍थापना 6-6-2007 को की गई थी। आठ नए बाघ अभ्‍यारण्‍यों की घोषणा के लिए अनुमोदन स्‍वीकृत हो गया है। बाघ संरक्षण को और अधिक मजबूत बनाने के लिए राज्‍यों को बाघ परियोजना के संशोधित दिशानिर्देश जारी कर दिए गए हैं। जिनमें चल रहे कार्यकलापों के साथ ही बाघ अभ्‍यारण्‍य के मध्‍य या संवेदनशील क्षेत्र में रहने वाले लोगों के संबंधित ग्राम पुनर्पहचान/पुनर्वास पैकेज (एक लाख रुपए प्रति परिवार से दस लाख रुपए प्रति परिवार) को धन सहायता देने, परंपरागत शिकार और मुख्‍यधारा में आय अर्जित करने तथा बाघ अभ्‍यारण्‍य से बाहर के वनों में वन्‍यजीव संबंधी चीता और बाघों के क्षेत्रों में किसी भी छेड़छाड़ को रोकने संबंधी रक्षात्‍मक रणनीति को अपना कर बाघ कोरीडोर संरक्षण का सहारा लेते हुए समुदायों के पुनर्वास/पुनर्स्‍थापना संबंधी कार्यकलाप शामिल हैं।
राष्‍ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण तथा बाघ व अन्‍य संकटग्रस्‍त प्रजाति अपराध नियंत्रण ब्‍यूरो के गठन संबंधी प्रावधानों की व्‍यवस्‍था करने के लिए वन्‍यजीव (संरक्षण) अधिनियम १९७२ में संशोधन किया गया। बाघ अभयारण्‍य के भीतर अपराध के मामलों में सजा को और कड़ा किया गया। वन्‍यजीव अपराध में प्रयुक्‍त किसी भी उपकरण, वाहन अथवा शस्‍त्र को जब्‍त करने की व्‍यवस्‍था भी अधिनियम में की गई है। सेवानिवृत्त सैनिकों और स्‍थानीय कार्यबल तैनात करके १७ बाघ अभ्‍यारण्‍यों को शत-प्रतिशत अतिरिक्‍त केंद्रीय सहायता प्रदान की गई। मुख्‍यमंत्री की अध्‍यक्षता में राज्‍य स्तरीय संचालन समिति का गठन किया गया और बाघ संरक्षण फाउंडेशन की स्‍थापना की गई। संसद के समक्ष वार्षिक लेखा परीक्षा रिपोर्ट रखी गई। अभ्‍यारण्‍य प्रबंधन में संख्‍यात्‍मक मानकों को सुनिश्‍चित करने के साथ-साथ बाघ संरक्षण को सुदृढ़ करने के लिए ४-९-२००६ से राष्‍ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण का गठन किया गया।<ref>Panwar, H. S. (1987). "Project Tiger: The reserves, the tigers, and their future". In Tilson, R. L.; Sel, U. S. Tigers of the world: the biology, biopolitics, management, and conservation of an endangered species. Park Ridge, N.J.: Minnesota Zoological Garden, IUCN/SSC Captive Breeding Group, IUCN/SSC Cat Specialist Group. pp. 110–117.</ref>
 
बाघों का अनुमान लगाने के लिए एक वैज्ञानिक तरीका अपनाया गया। इस नये तरीके से अनुमानतया 93697 कि॰मी॰ क्षेत्र को बाघों के लिए संरक्षित रखा गया है। उस क्षेत्र में बाघों की संख्‍या अनुमानतया 1411 है, अधिकतम 1657 और नई वैज्ञानिक विधि के अनुसार न्‍यूनतम 1165 है। इस अनुमान/आकलन के नतीजे भविष्‍य में बाघों के संरक्षण की रणनीति बनाने में बहुत उपयोगी सिद्ध होंगे। भारत ने चीन के साथ बाघ संरक्षण संबंधी समझौता किया है। इसके अलावा वन्‍यजीवों के अवैध व्‍यापार के बारे में सीमापार नियंत्रण और संरक्षण के संबंध में नेपाल के साथ एक समझौता किया है। बाघ संरक्षण संबंधी अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्दों पर चर्चा के लिए बाघ पाए जाने वाले देशों में एक ग्लोबल टाइगर फोरम का गठन किया गया है।
वन्‍यजीवों के अवैध व्‍यापार को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए पुलिस, वन, सीमा शुल्‍क और अन्‍य प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों से युक्‍त एक बहुविषयी बाघ तथा अन्‍य संकटग्रस्‍त प्रजाति अपराध नियंत्रण ब्‍यूरो (वन्‍यजीव अपराध नियंत्रण ब्‍यूरो), की स्‍थापना ६-६-२००७ को की गई थी। आठ नए बाघ अभ्‍यारण्‍यों की घोषणा के लिए अनुमोदन स्‍वीकृत हो गया है। बाघ संरक्षण को और अधिक मजबूत बनाने के लिए राज्‍यों को बाघ परियोजना के संशोधित दिशानिर्देश जारी कर दिए गए हैं। जिनमें चल रहे कार्यकलापों के साथ ही बाघ अभ्‍यारण्‍य के मध्‍य या संवेदनशील क्षेत्र में रहने वाले लोगों के संबंधित ग्राम पुनर्पहचान/पुनर्वास पैकेज (एक लाख रुपए प्रति परिवार से दस लाख रुपए प्रति परिवार) को धन सहायता देने, परंपरागत शिकार और मुख्‍यधारा में आय अर्जित करने तथा बाघ अभ्‍यारण्‍य से बाहर के वनों में वन्‍यजीव संबंधी चीता और बाघों के क्षेत्रों में किसी भी छेड़छाड़ को रोकने संबंधी रक्षात्‍मक रणनीति को अपना कर बाघ कोरीडोर संरक्षण का सहारा लेते हुए समुदायों के पुनर्वास/पुनर्स्‍थापना संबंधी कार्यकलाप शामिल हैं।
 
वर्ष 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा हुई थी। सम्मेलन में शामिल भारत समेत कई अन्य देशों ने वर्ष 2022 तक बाघों की आबादी दोगुनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया था। उस वक्त भारत में बाघों की कुल आबादी 1706 थी। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अखिल भारतीय बाघ अनुमान रिपोर्ट 2018 को जारी किया है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में बाघों के लिए सबसे बड़े और सबसे सुरक्षित आवासों में से एक के रूप में उभरा है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश में बाघों की आबादी 2014 में 1,400 से बढ़कर 2019 में 2,977 हो गई है। वर्ष 2014 के बाद से अब तक देश में 741 बाघ बढ़े हैं। 2014 में देश में आखिरी बार हुई बाघों की जनगणना में इनकी जनसंख्या 2226 थी। मतलब पांच साल में ही भारत में बाघों की आबादी दोगुने के करीब पहुंच चुकी है।
बाघों का अनुमान लगाने के लिए एक वैज्ञानिक तरीका अपनाया गया। इस नये तरीके से अनुमानतया ९३६९७ कि॰मी॰ क्षेत्र को बाघों के लिए संरक्षित रखा गया है। उस क्षेत्र में बाघों की संख्‍या अनुमानतया १४११ है, अधिकतम १६५७ और नई वैज्ञानिक विधि के अनुसार न्‍यूनतम ११६५ है। इस अनुमान/आकलन के नतीजे भविष्‍य में बाघों के संरक्षण की रणनीति बनाने में बहुत उपयोगी सिद्ध होंगे। भारत ने चीन के साथ बाघ संरक्षण संबंधी समझौता किया है। इसके अलावा वन्‍यजीवों के अवैध व्‍यापार के बारे में सीमापार नियंत्रण और संरक्षण के संबंध में नेपाल के साथ एक समझौता किया है। बाघ संरक्षण संबंधी अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्दों पर चर्चा के लिए बाघ पाए जाने वाले देशों में एक ग्लोबल टाइगर फोरम का गठन किया गया है।
 
बाघों को 'मुख्य प्रजाति' माना जाता है क्योंकि उनका संरक्षण कई अन्य प्रजातियों को भी बचाता है। भारत में हर 4 साल की अवधि में अखिल भारतीय बाघ अनुमान कार्यक्रम (All India Tiger Estimation) आयोजित किया जाता है। उत्तराखंड, भारतीय बाघों की राजधानी के रूप में उभरा है।उत्तराखंड में 1995 से 2019 के बीच बाघों की संख्या में सबसे ज्यादा इजाफा हुआ है।
==सन्दर्भ==
 
वर्ष 2014 में भारत में संरक्षित वन्य क्षेत्रों (Protected Forest Areas) की संख्या 692 थी, जो 2019 में बढ़कर 860 हो चुकी है। देश में कम्युनिटी रिजर्व (Community Reserve) की संख्या भी बढ़ी है। वर्ष 2014 में कम्युनिटी रिजर्व की संख्या 43 थी, जो अब 100 हो चुकी है। भारत में वन्य क्षेत्र में भी इजाफा हुआ है। बाघों के संरक्षण के लिए भारत में निजी कंपनियों और एनजीओ आदि की मदद से सरकार ने बड़े पैमाने पर Save The Tiger प्रोजेक्ट शुरू किया।
 
'''बाघों की प्रजातियां'''
 
जिंदा है- साइबेरियन टाइगर, रॉयल बंगाल टाइगर, व्हाइट टाइगर, इडोचाइनीज टाइगर, मलायन टाइगर, सुमात्रन टाइगर।
 
विलुप्त हो चुके- बाली टाइगर, कैस्पियन टाइगर, जावन टाइगर।
 
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== भारत के प्रोजेक्ट टाइगर रिजर्व की सूची ==
{| class="wikitable"
|'''टाइगर रिजर्व'''
|'''स्थान'''
|-
|नगर्जुनासागर- श्रीशैलम
 
कवल
|आंध्र प्रदेश
|-
|नमदाफा
 
पखुई/पकके
|अरुणाचल प्रदेश
|-
|काजीरंगा
 
मानस
 
नामेरी
|असम
|-
|वाल्मीकि नगर
|बिहार
|-
|अचानकमार
 
इंद्रावती
 
उदंती और सीतानदी
|छत्तीसगढ़
|-
|पलामू
|झारखंड
|-
|बांदीपुर
 
भद्रा
 
दंदेली- अंशी
 
नागरहोल
 
बी.आर हिल्स
|कर्नाटक
|-
|परम्बिकुलम
 
पेरियार
|केरल
|-
|बांधवगढ़
 
कान्हा
 
पन्ना
 
पेंच
 
संजय डबरी
 
सतपुरा
|मध्य प्रदेश
|-
|मेलघाट
 
पेंच
 
सह्याद्री ताडोबा-अंधारी
|महाराष्ट्र
|-
|डंपा
|मिजोरम
|-
|सत्कोसिया
 
सिमलीपाल
|उड़ीसा
|-
|मुकुंद पहाड़ी
 
सरिस्का
 
रणथंभौर
|राजस्थान
|-
|अन्नामलाई
 
कलाकड़- मुन्दठुराइ
 
सत्यमंगलम
|तमिलनाडु
|-
|कटेरीयाघाट एक्सटेंशन
 
दुधवा
|उत्तर प्रदेश
|-
|कॉर्बेट
|उत्तराखंड
|-
|बुक्सा
 
सुंदरबन
|पश्चिम बंगाल
|}
सन्दर्भ
 
[[श्रेणी:वन्य जीवन संरक्षण]]