"अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 83:
:रोते हैं या विपट सब यों आँसुओं की दिखा के।
जहाँ हरिऔध जी ने वृक्षों
:दिवस का अवसान समीप था,
:गगन था कुछ लोहित हो चला।
|