"भारतीय साहित्य": अवतरणों में अंतर

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== भूमिका ==
[[चित्र:Gosvami Tulsidas II.jpg|right|thumb|300px|[[गोस्वामी तुलसीदास]] द्वारा रचित [[रामचरितमानस]] भारतीय साहित्य की अमूल्य निधि है।]]
[[भारतवर्ष]] अनेक भाषाओं[[भाषा]]ओं का विशाल देश है - उत्तर-पश्चिम में [[पंजाबी]], [[हिन्दी]] और [[उर्दू]]; पूर्व में [[उड़िया]], बंगाल में [[असमिया]]; मध्य-पश्चिम में [[मराठी]] और [[गुजराती]] और दक्षिण में [[तमिल]], [[तेलुगु]], कन्नड़[[कन्नड]] और मलयालम।[[मलयालम]]। इनके अतिरिक्त कतिपय और भी भाषाएं हैं जिनका साहित्यिक एवं भाषावैज्ञानिक महत्त्व कम नहीं है- जैसे [[कश्मीरी]], [[डोगरी]], [[सिंधी]], [[कोंकणी]], [[तूरू]] आदि। इनमें से प्रत्येक का, विशेषत:विशेषतः पहली बारह भाषाओं में से प्रत्येक का, अपना साहित्य है जो प्राचीनता, वैविध्य, गुण और परिमाण- सभी की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। यदि आधुनिक भारतीय भाषाओं के ही संपूर्णसम्पूर्ण वाङ्मय का संचयन किया जाये तो वह [[यूरोप]] के संकलित वाङ्मय से किसी भी दृष्टि से कम नहीं होगा। वैदिक संस्कृत, [[संस्कृत]], [[पालि]], [[प्राकृत|प्राकृतों]] और [[अपभ्रंश|अपभ्रंशों]] का समावेश कर लेने पर तो उसका अनंतअनन्त विस्तार कल्पना की सीमा को पार कर जाता है- ज्ञान का अपार भंडार, [[हिंद महासागर]] से भी गहरा, भारत के भौगोलिक विस्तार से भी व्यापक, [[हिमालय]] के शिखरों से भी ऊँचा और [[ब्रह्म]] की कल्पना से भी अधिक सूक्ष्म।
 
== भारतीय साहित्य की मूलभूत एकता और उसके आधार-तत्व ==