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== साहित्य एवं मीडिया ==
बज्जिका भाषा के स्वतंत्र अस्तित्व की ओर संकेत करनेवाले [[राहुलपं०राहुल सांकृत्यायन]] थे, जिन्होंने अपने लेख "मातृभाषाओं की समस्या" में [[भोजपुरी]], [[मैथिली]], [[मगही]] और [[अंगिका]] के साथ-साथ बज्जिका को हिंदी के अंतर्गत जनपदीय भाषा के रूप में स्वीकृत किया (पुरातत्व निबंधावली, पृ. 12, 241)।<ref>[http://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A4%BE_%E0%A4%94%E0%A4%B0_%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF]</ref> एक लोकभाषा के रूप में बज्जिका आज भी ज्यों की त्यों अपने प्राचीन स्वरुप में विद्यमान है| बज्जिका क्षेत्र के ज्यादातर पढे-लिखे लोग भाव संप्रेषण हेतु हिन्दी का इस्तेमाल करते हैं। आज इसे लुप्तप्राय भाषा की श्रेणी डाल दिया गया है।<ref>[http://elar.soas.ac.uk/languages]</ref> फिर भी, सभी भाषाओं एवं बोलियों को एक समान स्तर पर देखने वाले कुछ विद्वानों ने बज्जिका में अपनी रचना की है। सकारात्मक बात यह है कि आज बज्जिका में भी साहित्य-सृजन हो रहा है| ''बज्जिका-हिंदी शब्दकोष'' का निर्माण सुरेन्द्र मोहन प्रसाद के संपादन में किया गया है। विश्व भारती (शांति निकेतन) में हिंदी विभागाध्यक्ष डा सियाराम तिवारी द्वारा लिखित ''बज्जिका भाषा और साहित्य'' का प्रकाशन बिहार राष्ट्रभाषा परिषद, [[पटना]] से वर्ष 1964 में हुआ था। भारत एवं विदेश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में कई भाषाविद और विद्वान तथा पत्रकार बज्जिका में साहित्य रचना एवं शोध कर रहे है। क्षेत्रीय भाषाओं को महत्व देते हुए प्रकाशन विभाग ने '''बज्जिका की लोक कथाएँ''' (लेखक- राजमणि राय 'मणि') हिंदी में प्रकाशित की है। कुछ अन्य प्रकाशित पुस्तकों एवं लेखकों की अधूरी सूची नीचे दी गयी है।
 
=== बज्जिका साहित्य ===