"कृष्ण": अवतरणों में अंतर
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</ref> "अंधकार" शब्द से इसका सम्बन्ध ढलते चंद्रमा के समय को [[कृष्ण पक्ष]] कहे जाने में भी स्पष्ट झलकता है।<ref name="dictionaries"/> इस नाम का अनुवाद कहीं-कहीं "अति-आकर्षक" के रूप में भी किया गया है।<ref>{{Harvnb|Bryant|2007|p=382}}</ref>
श्रीमद भागवत [[पुराण]] के वर्णन अनुसार कृष्ण जब बाल्यावस्था में थे तब नन्दबाबा के घर आचार्य गर्गाचार्य द्वारा उनका नामकरण संस्कार हुआ था। नाम रखते समय गर्गाचार्यने बताया कि, 'यह पुत्र प्रत्येक युग में अवतार धारण करता है। कभी इसका वर्ण श्वेत, कभी लाल, कभी पीला होता है। पूर्व के प्रत्येक युगों में शरीर धारण करते हुए इसके तीन वर्ण हो चुके हैं। इस बार कृष्णवर्ण का हुआ है, अतः इसका नाम कृष्ण होगा।'<ref>{{cite web|title=श्री कृष्ण का नामकरण संस्कार|url=http://hindi.webdunia.com/article/janmashtami-special/%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A3-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A3-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0-109081100126_1.htm|website=वेबदुनिया|publisher=वेब दुनिया|accessdate=14 अप्रैल 2018}}</ref> वासुदेव का पुत्र होने के कारण उसका अतिरतिक्त नाम वासुदेव भी रखा गया। "कृष्ण" नाम के अतिरिक्त भी कृष्ण भगवान को कई अन्य नामों से जाना जाता रहा है, जो उनकी कई विशेषताओं को दर्शाते हैं। सबसे व्यापक नामों में
==चित्रण ==
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