ये सुअर मादरचोद रंडी का पिल्ला हिन्दू विरोधी था साला
२२ जुलाई १८८० को काबुल में दरबार आयोजित किया गया जिसमें अब्दुर रहमान ख़ान ने अमीर का तख़्त ग्रहण किया। अंग्रेज़ों ने उसे पैसे और हथियार से मदद करने का वायदा किया। उन्होंने उसे बाहरी आक्रमण की सूरत में भी सहायता करने का वचन दिया बशर्ते के वह अंग्रेज़ों के साथ दोस्ती क़याम रखे और रूस का ज़्यादा साथ न दे। अंग्रेज़ी और भारतीय सैनिक धीरे-धीरे अफ़ग़ानिस्तान से हट गए और १८८१ में उन्होंने कंदाहार को भी अमीर के हवाले कर दिया।