"पृथ्वीराज": अवतरणों में अंतर

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यह पत्र पाकर महाराणा प्रताप पुन: अपनी प्रतिज्ञा पर दृढ़ हुए और उन्होंने पृथ्वीराज को लिख भेजा 'हे वीर आप प्रसन्न होकर मूछों पर हाथ फेरिए। जब तक प्रताप जीवित है, मेरी तलवार को तुरुकों के सिर पर ही समझिए।'
 
पृथ्वीराज की पहली रानी लालादे बड़ी ही गुणवती पत्नी थी। वह भी कविता करती थी। युवास्था में ही उसकी मृत्यु हो गई जिससे उन्हें बड़ा सदमा बैठा। उसके शव को चिता पर जलते देखकर वे चीत्कार कर उठे: 'तो राँघ्यो नहिं खावस्याँ, रे वासदे निसड्ड। मो देखत तू बालिया, साल रहंदा हड्ड।
ड्ड।' (हे निष्ठुर अग्नि, मैं तेरा राँघाराँ
घा हुआ भोजन न ग्रहण करुँगा, क्योंकि तूने मेरे देखते देखते लालादे को जला डाला और उसका हाड़ ही

शेष रह गया)। बाद में स्वास्थ्य खराब होता देखकर संबंधियों ने [[जैसलमेर]] के राव की पुत्री चंपादे से उनका विवाह करा दिया। यह भी कविताभवि
ता करती थी।
 
== अन्य पृथ्वीराज ==