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1.भू राजस्व का निर्धारण भूमि के उत्पादकता पर न करके भूमि पर किया गया,
जो किसान के हित के लिए सही नहीं था|
2.इस पद्धति में भू राजस्व कदरका दर इतना ज्यादा था कि किसान के पास अधिशेष नहीं बसता था|
परिणाम स्वरुप किसान महाजनों के चंगुल में फसते गए और इस तरह यहां पर महाजन ही
एक कृत्रिम जमीदार के रुप में उभर कर आने लगे|