"परमार भोज": अवतरणों में अंतर

टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन उन्नत मोबाइल संपादन
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन उन्नत मोबाइल संपादन
पंक्ति 110:
अर्थात् भोज ने जो पाया,जो विधान किया,जो दिया,जो ज्ञान प्राप्त किया, वह किसी ने भी नहीं किया।<ref>राजा भोज का रचनाविश्व. पृ.३१७. डॉ.भगवतीलाल राजपुरोहित, आचार्य हिंदी विभाग. सान्दिपनी महाविज्ञालय,उज्जैन (म.प्र.).पब्लिकेशन स्कीम. जयपुर. भारत.ISBN 81-85263-63-9.</ref> सम्राट भोज परमार जहां कुशल प्रशासक और सेनापति था वहीं विद्या प्रेमी और कवि भी था। <ref>Gurjara vīra-vīrāṅganāeṃ.Bhāratīya itihāsa kā śānadāra adhyāya.p.40.Gaṇapati Siṃha.Cau. Vīrabhāna Baṛhānā.1986</ref>
===भोज की उपाधियाँ===
मालव चक्रवर्ती सम्राट भोज मध्ययुगीन भारत के इतिहास में सम्राट अशोक तथा विक्रमादित्य के समान महाप्रतापी , शूरवीर , कुशल शासक , विद्वान , कवि , दानी , ज्ञानी , न्यायी , धार्मिक , सदाचारी , विद्वानों का आश्रयदाता , ज्ञान - विज्ञान , कला , साहित्य , संस्कृति का पुरस्कर्ता , एवम् लोक सुख - समृद्धि हेतु सदैव कार्यरत , सुरक्षा दक्ष तथा प्रजा में अगाध लोकप्रिय अद्वितीय आदर्श चक्रवर्ती राजा हुआ । भोज इतना महान व्यक्तित्व का बलाढ्य धनी था कि उसे अनेक उपाधियों से अलंकृत किया गया था , जैसे - महाधिराज परमेश्वर , परम भट्टारक महाधिराज परमेश्वर , मालवमण्डन , सार्वभौम , मालवचक्रवर्ती , अवन्तिनायक , धारेश्वर , निर्वाणनारायण , त्रिभुवननारायण , लोकनारायण , विदर्भराज , अहिराज , अहिंद्र , अभिनवार्जुन , कृष्ण , रणरंगमल्ल , आदित्यप्रताप , चाणक्यमाणिक्य , कविराज आदि करीबन ८४ उपाधियाँ डॉ . श्री . वी . वेंकटाचलम् ने ''धार स्टेट गजेटियर पृ . १०७'' पर उल्लेखित की हैं । भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्व . श्री . पं . जवाहरलाल नेहरु ने भी अपनी जग - विख्यात रचना 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' या [[भारत की खोज]] में राजा भोज को मध्ययुगीन भारत का महान राजा निरुपित किया है ।<ref>चक्रवर्ती राजा भोज.पृ.११.डॉ. ज्ञानेश्वर टेंभरे.Msc. Ph.d.२०१५.श्री गजानन इंटरप्राइजेस-21.सुरेंन्द्रनगर.नागपुर-15.भारत. ISBN 978-935142-832-9</ref>
 
==भोज के निर्माण कार्य==