"परमार भोज": अवतरणों में अंतर

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''सदशो भोजदेवेन धाराधिप ! भविष्यसि ॥''
 
वैसे तो [[प्रबन्धचिन्तामणि]] और [[भोजप्रबन्ध]] आदि में राजा भोज का अनेक कवियों को एक एक श्लोक पर कई कई लाख रुपिया देना लिखा मिलता है । परन्तु इसके [[भूमिदान]] सम्बन्धी योभी दानपत्र ही अब वक मिले हैं , उनका वर्णन आगे दिया जाता है।हैं।
<ref>राजा भोज. श्रीयुत विश्वेश्वरनाथ रेउ. पृ.107.इलाहाबाद.हिंदुस्थानी एकेडेमी, यु. पी.1932.</ref>
 
==भोज बनाम महमूद ग़ज़नवी==