"परमार भोज": अवतरणों में अंतर

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'''सुराश्रयैर्व्याप्य च यःसमन्ताद्यथार्थसंज्ञां जगतीं चकार ॥२०॥'''<ref>एपिग्राफिया इंडिका. भाग.१. पृ.२३६.श्लो.२०.</ref>
इसी से स्पष्ट है कि भोज ने अपने साम्राज्य के पूर्वी सीमा पर [[सुंदरबन]] स्थित सुण्डिर, दक्षिणी सीमा पर [[रामेश्वर]], पश्चिमी सीमा पर [[सोमनाथ]] तथा उत्तरी सीमा पर [[केदारनाथ]] सरिख विख्यात मंदिरों का निर्माण तथा पुर्ननिर्माण किया था। भोज ने काश्मीर में कुण्ड भी बनवाया था। भोज के साम्राज्य विस्तार पर विद्वानों में थोडा मतभेद हो सकता है क्योंकि भोज की साम्राज्य सीमाएं विस्तिर्ण किंतु थोड़ी अस्थिर रही। <ref>राजा भोज. श्रीयुत विश्वेश्वरनाथ रेउ.इलाहाबाद.हिंदुस्थानी एकेडेमी, यु. पी.1932.</ref>
भोज का काश्मीरराज्य भी इतिहास में दर्ज है। विश्वेश्वरनाथ रेउ ने राजा भोज से सम्बन्धित राज्यों की सुचि में काश्मीरराज्य के विषय में लिखा है कि राजा भोज ने सुदूर काश्मीरराज्य के कपटेश्वर ( कोटेर ) तीर्थ में पापसूदन का कुण्ड बनवाया था और वह सदा वहीं के लाए हुए जल से मुँह धोया करता था । इसके लिये वहाँ का जल मैंगवाने का पूरा पूरा प्रबन्ध किया गया था । <ref>राजा भोज. श्रीयुत विश्वेश्वरनाथ रेउ. पृ.235.इलाहाबाद.हिंदुस्थानी एकेडेमी, यु. पी.1932.</ref>
 
==कृतियाँ==