"विटामिन डी": अवतरणों में अंतर
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नई दिल्ली एम्स के अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. विवेक दीक्षित द्वारा विटामिन डी के बारे में दी जानकारी के बारे में लिखा है। टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
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'''अधिकता''': विटामिन डी की अधिकता से शरीर के विभिन्न अंगों, जैसे [[गुर्दा|गुर्दों]] में, [[हृदय]] में, रक्त रक्त वाहिकाओं में और अन्य स्थानों पर, एक प्रकार की पथरी उत्पन्न हो सकती है। ये विटामिन [[कैल्शियम]] का बना होता है, अतः इसके द्वारा पथरी भी बन सकती है। इससे [[रक्तचाप]] बढ सकता है, रक्त में [[कोलेस्टेरॉल]] बढ़ सकता है और हृदय पर प्रभाव पड़ सकता है। इसके साथ ही चक्कर आना, कमजोरी लगना और [[सिरदर्द]], आदि भी हो सकता है। पेट खराब होने से दस्त भी हो सकता है।<ref name="निरोग"/>
नयी दिल्ली स्थित एम्स के अस्थि रोग विशेषज्ञ वैज्ञानिक डॉ. विवेक दीक्षित ने यह दावा किया कि भारत में हुए एक नए शोध में पता चला है कि पिछले दो दशक से करीब 90 फीसदी भारतीय विटामिन डी की कमी से जूझ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि विटामिन डी की शरीर में पूर्ति के लिए 40 मिनट तक धूप के संपर्क में रहना जरूरी है.
नए शोध के हवाले से उन्होंने कहा कि सुबह सात से लेकर 11 बजे के बीच धूप के संपर्क में रहने से विटामिन डी नहीं मिलता. इसके लिए सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे तक का समय सही है.
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