"अफ़ीम युद्ध": अवतरणों में अंतर
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उन्नासवीं सदी के मध्य में [[चीन]] और मुख्यतः [[ब्रिटेन]] के बीच लड़े गये दो युद्धों को '''अफ़ीम युद्ध''' कहते हैं। उन्नीसवीं शताब्दी में लम्बे समय से चीन ([[चिंग राजवंश]]) और ब्रिटेन के बीच चल रहे व्यापार विवादों की चरमावस्था में पहुचने के कारण हुए। प्रथम अफीम युद्ध 1839 से 1842 तक चला और दूसरा 1856 से 1860 तक। दूसरी बार फ़्रांस भी ब्रिटेन के साथ-साथ लड़ा। दोनो ही युद्धों में चीन की पराजय हुई और चीनी शासन को अफीम का अवैध व्यापार सहना पड़ा। चीन को [[नान्जिन्ग की सन्धि]] तथा [[तियान्जिन की सन्धि]] करनी पड़ी।
इस द्वंद्व की शुरुआत ब्रिटेन की चीन के साथ व्यापार में आई कमी और ब्रिटेन द्वारा भारत से चीन मे अफ़ीम की तस्करी को ले कर हुई। चीन के कानून के अनुसार अफ़ीम का आयात करना प्रतिबंधित था। पर ब्रिटिश [[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] द्वारा [[पटना]] में निर्मित तथा [[कलकत्ता]] में नीलाम किये गए अफ़ीम की तस्करी से चीन नाराज था। लेकिन ब्रिटिश साम्राज्य के बढ़ते खर्च तथा चीन से रेशम और चाय के भुगतान के लिए अफ़ीम एक ऐसा द्रव्य था जिसकी चीनी जनता में बहुत मांग थी। पर इसके नशीले प्रभाव के कारण चिंग शासक इसके विरुद्ध थे।
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