"बौद्ध संगीति": अवतरणों में अंतर

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महात्माभगवान बुद्ध के परिनिर्वाण के अल्प समय के पश्चात सेतीन माह में ही उनके उपदेशों को संगृहीत करने, उनका पाठ (वाचन) करने आदि के उद्देश्य से संगीति (सम्मेलन) की प्रथा चल पड़ी। एसएसएसएसएसको धम्म संगीति (धर्म संगीति) कहा जाता है। संगीति का अर्थ है 'साथ-साथ गाना'।[1]
 
इन संगीतियों की संख्या एवं सूची, अलग-अलग सम्प्रदायों (और कभी-कभी एक ही सम्प्रदाय के भीतर ही) द्वारा अलग-अलग बतायी जाती है। एक मान्यता के अनुसार बौद्ध संगीति निम्नलिखित हैं-
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चतुर्थ बौद्ध संगीति ( -- ये दो स्थानो पर हुई थी।)
पंचम बौद्ध संगीति (थेरवाद बौद्ध संगीति (१८७१))
षष्ट बौद्ध संगीति (थेरवाद बौद्ध संगीति (१९५४)) -- यांगून (या रंगून) के 'कबा आये' मेंमें।
 
== परिचय ==