"उज्जैन": अवतरणों में अंतर

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=== प्रमाणिक इतिहास ===
उज्जयिनी की ऐतिहासिकता का प्रमाण 600 वर्ष पूर्व मिलता है। तत्कालीन समय में भारत में जो सोलह जनपद थे उनमें अवंति जनपद भी एक था। अवंति उत्तर एवं दक्षिण इन दो भागों में विभक्त होकर उत्तरी भाग की राजधानी उज्जैन थी तथा दक्षिण भाग की राजधानी महिष्मति थी। उस समय चंद्रप्रद्योत गुर्जर नामक सम्राट सिंहासनारूढ थे। प्रद्योत के वंशजों का उज्जैन पर तीसरी शताब्दी तक प्रभुत्व था। ईसा पूर्व 56 में [[विक्रम संवत्]] चलाने वाले मालवगणमुख्य [[विक्रमादित्य]] के बारे में उनके दरबारी महाकवि कालिदास ने '''''ज्योतिविर्दाभरण''''' में लिखा है कि जिसकी राजधानी महापुरी उज्जयिनी ([[उज्जैन]]) नगरी है तथा सभी अपवर्ग जिसके आश्रय में मिलते हैं , वह भूपति विक्रमार्क सदा विजयी हैं । फिर उज्जयिनी पर और विक्रमादित्य पर लिखा है -
 
''यो रुक्मदेशाधिपतिं शकेश्वरं जित्वा गृहीत्वोज्जयिनी महाहवे ।''
''आनीय सम्भ्राम्य मुमोच यवहो स विक्रमार्कः समसह्यविक्रमः ॥ - वही , 22 . 17॥''
 
अर्थात् , जो रुक्म देश ( [[रोम]] ) के अधिपति शकेश्वर ( [[जूलियस सीजर]] ) को महायुद्ध में पराजित कर [[उज्जैन]] लाये तथा परेड ( सम्भ्रम ) में घुमाकर छोड़ दिया , वैसा असह्य पराक्रमीपराक्रम विक्रम के अतिरिक्त कौन होकर सकता है ।है। विक्रमादित्य [[परमार - वंश]] के राजा थे । उन्होंने [[जूलियस सीजर]] को हराया था।
 
=== मौर्य साम्राज्य ===