"उज्जैन": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन उन्नत मोबाइल संपादन |
No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन उन्नत मोबाइल संपादन |
||
पंक्ति 87:
=== प्रमाणिक इतिहास ===
उज्जयिनी की ऐतिहासिकता का प्रमाण 600 वर्ष पूर्व मिलता है। तत्कालीन समय में भारत में जो सोलह जनपद थे उनमें अवंति जनपद भी एक था। अवंति उत्तर एवं दक्षिण इन दो भागों में विभक्त होकर उत्तरी भाग की राजधानी उज्जैन थी तथा दक्षिण भाग की राजधानी महिष्मति थी। उस समय चंद्रप्रद्योत गुर्जर नामक सम्राट सिंहासनारूढ थे। प्रद्योत के वंशजों का उज्जैन पर तीसरी शताब्दी तक प्रभुत्व था। ईसा पूर्व 56 में [[विक्रम संवत्]] चलाने वाले मालवगणमुख्य [[विक्रमादित्य]] के बारे में उनके दरबारी महाकवि कालिदास ने '''''ज्योतिविर्दाभरण''''' में लिखा है कि जिसकी राजधानी
''यो रुक्मदेशाधिपतिं शकेश्वरं जित्वा गृहीत्वोज्जयिनी महाहवे ।''
''आनीय सम्भ्राम्य मुमोच यवहो स विक्रमार्कः समसह्यविक्रमः ॥
अर्थात् , जो रुक्म देश ( [[रोम]] ) के अधिपति शकेश्वर ( [[जूलियस सीजर]] ) को महायुद्ध में पराजित कर [[उज्जैन]] लाये तथा परेड ( सम्भ्रम ) में घुमाकर छोड़ दिया , वैसा असह्य
=== मौर्य साम्राज्य ===
|