"परमार भोज": अवतरणों में अंतर
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==भोज की किर्ति==
सम्राट भोज परमार जहां कुशल प्रशासक और सेनापति था वहीं विद्या प्रेमी और कवि भी था। <ref>Gurjara vīra-vīrāṅganāeṃ.Bhāratīya itihāsa kā śānadāra adhyāya.p.40.Gaṇapati Siṃha.Cau. Vīrabhāna Baṛhānā.1986</ref>
===भोज की दान-किर्ति===
विल्हण ने अपने विक्रमांकदेवचरित् में लिखा है कि , अन्य नरेशों की तुलना राजा भोज से नहीं की जा सकती । इसके अलावा उस समय राजा भोज का यश इतना फैला हुआ था कि , अन्य प्रान्तों के विद्वान् अपने यहाँ के नरेशों की विद्वत्ता और दान शीलता दिखलाने के लिये राजा भोज से ही उनकी तुलना किया करते थे । [[राजतरङ्गिणी]] में लिखा है कि उस समय विद्वान् और विद्वानों के आश्रयदाता क्षीतिराज ( क्षितपति ) और भोजराज ये दोनों ही अपने दान की अधिकता से संसार में प्रसिद्ध थे । [[विल्हण]] ने भी अपने [[विक्रमांकदेवचरित्]] में क्षितिपति की तुलना भोजराज से ही की है । उसमें लिखा है कि लोहरा का राजा वीर क्षीतपती भी भोज के ही समान गुणी था ।<ref>राजा भोज. श्रीयुत विश्वेश्वरनाथ रेउ. पृ.106.इलाहाबाद.हिंदुस्थानी एकेडेमी, यु. पी.1932.</ref>
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