"गुरुत्व केन्द्र": अवतरणों में अंतर

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| '''Step 1:''' मान लीजिये आपके पास कोई 2D वस्तु है (किऔसपरंपझंरूढरेषदढेवेफणदाठञवदठू भी आकार की)।
| style="width:32%" |[[चित्र:Center gravity 0.svg|मैं तो यही है कि |100px]]
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| '''Step 1:''' मान लीजिये आपके पास कोई 2D वस्तु है (किऔसपरंपझंरूढरेषदढेवेफणदाठञवदठूकिसी भी आकार की)।
| '''Step 2:''' इस वस्तु को एक ऐसे बिन्दु से लटकाएँ जो इसके एकदमणएकदमणथूवफ्भडह में काम करने वाले को भी आपके साथ ह ईअअईअ कि यह एक ऐसा सवाल का कि इउत्तर स अ किनारे स्थित हो। इस स्थिति में, वस्तु के ऊपर उर्ध्वाधर रेखा (लटकाने वाले धागे की स्थिति) को किसी चीज से निशान बना दीजिये।
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| '''Step 2:''' इस वस्तु को एक ऐसे बिन्दु से लटकाएँ जो इसके एकदमणएकदमणथूवफ्भडह में काम करने वाले को भी आपके साथ ह ईअअईअ कि यह एक ऐसा सवाल का कि इउत्तर स अएकदम किनारे स्थित हो। इस स्थिति में, वस्तु के ऊपर उर्ध्वाधर रेखा (लटकाने वाले धागे की स्थिति) को किसी चीज से निशान बना दीजिये।
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किन्तु यदि गुरुत्वीय क्षेत्र असमान हो तो [[स्थितिज ऊर्जा]], [[बल]], [[बलाघूर्ण]] आदि गुरुत्वीय प्रभावों की गणना केवल संहति-केन्द्र को लेकर नहीं की जा सकती। उदाहरण के लिये, कोई वस्तु असमान गुरुत्वीय क्षेत्र में स्थित हो और उस पर एक ऐसा बल लगाया जाय जिसकी क्रिया-रेखा उस वस्तु के संहति-केन्द्र से होकर गुजरती हो तो उस वस्तु पर एक बलाघूर्ण कार्य करेगा (जो एकसमान गुरुत्वीय क्षेत्र में शून्य होता) जिससे वस्तु में घूर्नन करने की प्रवृत्ति जन्म लेगी। ऐसी स्थितियों में संहति-केन्द्र नहीं, गुरुत्व केन्द्र महत्वपूर्ण हो जाता है।
 
गुरुत्व केन्द्र वह बिन्दु है जिससे होकर वस्तु पर लगने वाले कुल गुरुत्वीय बल की क्रिया-रेखा गुजरती है। विशेष स्थितियों में ऐसा हो सकता है कि गुरुत्व बिन्दु का अस्तित्व ही न हो या एक से अधिक गुरुत्व केन्द्र हों।
 
==इन्हें भी देखें==