"वार्ता:हिन्दू पंचांग": अवतरणों में अंतर
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== विश्व कि पंचागों का इतिहास ==
पंचाग ( कैलेंडर )
प्रोफेसर मेघनाथ साहा ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने कैलेंडर सुधार समिति को भेजे गए अपने संदेश में लिखा था, ‘हमारे पास वर्तमान समय में विभिन्न प्रकार के 30 पंचाग हैं, जिनमें काल गणना के अलावा और भी कई तरह के अंतर हैं।
सप्तऋषी संवत माना जाता है जिसका आरंभ विक्रम संवत से पूर्व 6676 ई.पू. हुआ था और इसके बाद कृष्ण कैलेंडर और फिर ईसा से 3102 वर्ष पूर्व हमारे यहां कलियुगी संवत् शुरू किया गया था । ईसा से 57 वर्ष पूर्व सम्राट विक्रमादित्य ने अपने नाम से नया कैलेंडर शुरू किया , जिसे विक्रम संवत कहते हैं। हमारे उत्सव और पर्व आदि भी इसी कैलेंडर के अनुसार मनाए जाते हैं। भारतीय धर्म शास्त्रों के अनुसार नया वर्ष शुरू करने का अधिकार उसी राजा को होता था , जिसके राज्य में किसी भी व्यक्ति का कोई भी ऋण बाकी न हो। इसके साथ ही उस राजा का नैतिक दृष्टि से श्रेष्ठ , प्रबल योद्धा और जनहित के कार्यों में महान होना तो आवश्यक था ही। सम्राट विक्रमादित्य इन कसौटियों पर खरे थे और जनता में वे अत्यंत लोकप्रिय थे। मान्यता है कि अपनी जनता को ऋण मुक्त करने के लिए उन्होंने बड़ी उदारता से अपने खजाने के दरवाजे खोल दिए थे। वैदिक काल में महीनों के नाम ऋतुओं के आधार पर होते थे। बाद में उनका आधार नक्षत्रों को बनाया गया। विक्रम संवत् में भी इसी परंपरा को अपनाते हुए नक्षत्रों के आधार पर महीनों का नामकरण किया गया- चैत्र , वैशाख , ज्येष्ठ , आषाढ़ , श्रावण , भादपद , आश्विन , कार्तिक , मार्गशीर्ष , पौष , माघ तथा फाल्गुन। वर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को उस समय होता है जब सूर्य और चन्द्रमा मीन राशि में एक ही अंश और काल पर होते हैं। विक्रम संवत् के उपरान्त 78 वीं ईस्वी में हमारे यहां शक संवत् चलाया गया , जिसे शालिवाहन संवत् भी कहते हैं। इसमें महीनों का नामकरण विक्रम संवत् के अनुरूप ही किया गया। भारत सरकार ने भी वैध रूप में इसी संवत् को राष्ट्रीय कैलेंडर के रूप में मान्यता प्रदान की है , परन्तु जन साधारण में इसका कोई महत्व नहीं है।
विश्व के प्रमुख कैलेंडर
ग्रेगोरियन कैलेंडर
ग्रेगोरियन कैलेंडर का आरंभ ईसाई धर्म के प्रवर्तक ईसा मसीह के जन्म के चार साल बाद हुआ। इसे एनो डोमिनी अर्थात ईश्वर का वर्ष कहते हैं। यह कैलेंडर सौर वर्ष पर आधारित है और पूरी दुनिया में इसका इस्तेमाल होता है। ग्रगोरियन कैलेंडर के महीने 30 और 31 दिन के होतें हैं, लेकिन फरवरी में सिर्फ 28 दिन होते हैं। प्रत्येक चार साल बाद लीप ईयर आता है जिसमें फरवरी में 29 और वर्ष में 366 दिन होते हैं।
हिब्रू कैलेंडर
हिब्रू कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर से पुराना है। यहुदी अपने दैनिक काम-काज के लिए इसका प्रयोग करते थे। इस कैलेंडर का आधार भी चंद्र चक्र ही है, लेकिन बाद में इसमें चंद्र और सूर्य दोनों चक्रों का समावेश किया गया। इस कैलेंडर का पहला महीना शेवात 30 दिनों का और अंतिम महीना तेवेन 29 दिनों का होते हैं।
हिज़री कैलेंडर
हिज़री कैलेंडर का आरंभ 16 जुलाई 622 को हुआ। इस दिन इस्लाम के प्रवर्तक हजरत मुहम्मद मक्का छोड़कर मदीना को प्रस्थान किये थे। इस घटना को हिजरत और हिजरी संवत चांद्र वर्ष पर आधारित है और इसमें साल में 354 दिन होते हैं। सौर वर्ष से 11 दिन छोटा होने के कारण कैलेंडर वर्ष के अंतिम माह में कुछ दिन जोड़ दिये जाते हैं।
चीनी कैलेंडर
चीनी कैलेंडर का ईजाद ईसा पूर्व लगभग दो हजार साल पहले हुआ। इस कैलेंडर में चंद्र और सौर दोनों चक्रों का समावेश है। [[सदस्य:Rabi choudhary|Rabi choudhary]] ([[सदस्य वार्ता:Rabi choudhary|वार्ता]]) 03:39, 30 दिसम्बर 2019 (UTC)
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