"महाराजा रणजीत सिंह": अवतरणों में अंतर

छो साँचा जोड़ा गया
No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 26:
बेशकीमती हीरा [[कोहिनूर हीरा|कोहिनूर]] महाराजा रणजीत सिंह के खजाने की रौनक था। सन 1839 में महाराजा रणजीत का निधन हो गया। उनकी समाधि [[लाहौर]] में बनवाई गई, जो आज भी वहां कायम है। उनकी मौत के साथ ही अंग्रेजों का पंजाब पर शिकंजा कसना शुरू हो गया। [[अंग्रेज-सिख युद्ध]] के बाद 30 मार्च 1849 में पंजाब ब्रिटिश साम्राज्य का अंग बना लिया गया और कोहिनूर [[महारानी विक्टोरिया]] के हुजूर में पेश कर दिया गया।
 
रणजीतसिंह== परिचउदयबिरसिंह का जन्म सन् १७८० ई. में हुआ था। महानसिंह के मरने पर रणजीत सिंह बारह वर्ष की अवस्था में मिस्ल सुकरचकिया के नेता हुए। सन् १७९८ ई. में जमान शाह के पंजाब से लौट जाने पर उन्होने [[लाहौर]] पर अधिकार कर लिया। धीरे-धीरे [[सतलज]] से [[सिंधु]] तक, जितनी मिस्लें राज कर रही थीं, सबको उसने अपने वश में कर लिया। [[सतलज]] और [[यमुना]] के बीच फुलकियों मिस्ल के शासक राज्य कर रहे थे। सन् १८०६ ई. में रणजीतसिंह ने इनको भी अपने वश में करना चाहा, परन्तु सफल न हुए।
== परिचय ==
रणजीतसिंह का जन्म सन् १७८० ई. में हुआ था। महानसिंह के मरने पर रणजीत सिंह बारह वर्ष की अवस्था में मिस्ल सुकरचकिया के नेता हुए। सन् १७९८ ई. में जमान शाह के पंजाब से लौट जाने पर उन्होने [[लाहौर]] पर अधिकार कर लिया। धीरे-धीरे [[सतलज]] से [[सिंधु]] तक, जितनी मिस्लें राज कर रही थीं, सबको उसने अपने वश में कर लिया। [[सतलज]] और [[यमुना]] के बीच फुलकियों मिस्ल के शासक राज्य कर रहे थे। सन् १८०६ ई. में रणजीतसिंह ने इनको भी अपने वश में करना चाहा, परन्तु सफल न हुए।
[[File:Maharaja Ranjit Singh Family Tree1.png|frameless|1141x1141px]]
[[Image:Ranjit Singh's golden throne.jpg|right|thumb|300px|महाराजा रणजीत सिंह का स्वर्णिम सिंहासन]]