"कुन्ती": अवतरणों में अंतर
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महर्षि दुर्वासा का वरदान आगे चलकर पाण्डु को शाप हो जाने से जब उन्हें संतान उत्पन्न करने की रोक हो गई, तब कुंती ने महर्षि दुर्वासा के वरदान का हाल सुनाया। यह सुनने से महाराज पाण्डु को सहारा मिल गया। उनकी अनुमति पाकर कुंती ने धर्मराज के द्वारा युधिष्ठिर को, वायु के द्वारा भीमसेन को और इन्द्र के द्वारा अर्जुन को उत्पन्न किया। इसके पश्चात् पाण्डु ने पुत्र उत्पन्न करने के लिए जब उनसे दोबारा आग्रह किया, तब उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया। कह दिया कि यह नियम विरुद्ध और अनुचित होगा।
== सन्दर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}
{{कुरु वंश वृक्ष}}
{{महाभारत}}
{{प्राचीन भारत की आदर्श नारियाँ}}
{{आधार}}
[[श्रेणी:महाभारत के पात्र]]
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