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'''इलाहाबाद की संधिप्रथम सन्धि''', [[राबर्ट क्लाइव]] तथा मुगल सम्राट [[शाह आलम द्वितीय]] के बीच में १२ अगस्त १७६५ में हुई थी। यह संधि बंगाल के इतिहास में एक युगान्तकारी घटना थी क्योंकि कालान्तर में इसने उन प्रशासकीय परिवर्तनों की पृष्ठभूमि तैयार कर दी जिससे ब्रिटिश प्रशासनिक व्यवस्था की आधारशिला रखी गयी। नवाब की सत्ता का अन्त हो गया और एक ऐसी व्यवस्था का जन्म हुआ जो शासन के उत्तरदायित्व से मुफ्त थी।
 
सन 1765 में क्लाइव बंगाल के गवर्नर के रूप में दूसरी बार कलकत्ता आया। इस युद्ध की समाप्ति के बाद क्लाइव ने मगल सम्राट शाहआलम द्रितीय तथा अवध के नवाब शुजाउद्दौला के साथ क्रमश: इलाहाबाद की प्रथम सन्धि एवं द्रितीय के संधि की।
 
मुगलकाल में प्रान्तीय प्रशासन के स्तर पर दो अधिकारी होते थे, जिन्हे दीवान एवं सूबेदार या गवर्नर कहा जाता था। दीवान प्रान्तीय राजस्व या वित्त व्यवस्था का प्रभारी होता था, जबकि सूबेदार या गवर्नर निजामत (सैन्य, प्रतिरक्षा, पुलिस एवं न्याय प्रशासन) के कार्यो का निष्पादन करता था। ये दोनों अधिकारी एक दूसरे पर नियन्त्रण रखते थे एवं मुगल केन्द्रीय प्रशासन के प्रति उत्तरदायी होते थे।
 
क्सर का युद्ध सैन्य दृष्टिकोण से अंग्रेजो की बहुत बड़ी सफलता थी क्योकि [[प्लासी का युद्ध|प्लासी के युद्ध]] का विजय सिराजुदौला के सेनानायकों के विश्वासघात का परिणाम था। किन्तु बक्सर के युद्ध में अंग्रेज बिना किसी छल-कपट के ही विजयी हुए थे। इसके अतिरिक्त, अवध का नवाब [[शुजाउद्दौला]] की भांति अनुभवहीन एवं मूर्ख नहीं था। वह राजनीति के साथ-साथ युद्ध में भी निपुण था। ऐसे योग्य शासन को पराजित करके कम्पनी की प्रतिष्ठा में वृद्धि हो गयी। इस विजय के पश्चात बंगाल में अंग्रेजी सत्ता के प्रभुत्व की स्थापना हो गयी।
 
 
 
इलाहाबाद की प्रथम संधि की शर्तें निम्नवत थीं-
* कंपनी को मुग़ल सम्राट शाहआलम द्रितीय से बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी प्राप्त हुई।
* कंपनी ने अवध के नवाब से कड़ा और इलाहाबाद के जिले लेकर मुग़ल, सम्राट शाहआलम द्रितीय को दे दिए।
* कंपनी ने मुग़ल सम्राट को 26 लाख रूपये की वार्षिक पेंशन देना स्वीकार किया।
 
==इलाहाबाद की द्रितीय संधि==
यह सन्धि 16 अगस्त, 1765 ई. को क्लाइव एवं शुजाउद्दौला के मध्य सम्पन्न हुई। इस संधि की शर्ते निम्नवत थी-
* इलाहाबाद और कड़ा को छोड़कर अवध का शेष क्षेत्र नज्मुद्दौला को वापस कर दिया गया।
* कम्पनी द्वारा अवध की सुरक्षा हेतु नवाब के खर्च पर एक अंग्रेजी सेना अवध में रखी गई।
* कंपनी को अवध में कर मुफ्त व्यापार करने की सुविधा प्राप्त हो गयी।
* शुजाउद्दौला को बनारस के राजा बलवन्त सिंह से पहले की ही तरह लगान वसूल करने का अधिकार दिया गया। राजा बलवंत सिंह ने युद्ध में अंग्रेजो की सहायता की थी।
 
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
 
==इन्हें भी देखें==
*[[बक्सर का युद्ध]]
 
[[श्रेणी:आधुनिक भारत का इतिहास]]