"दोहा": अवतरणों में अंतर
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:मुरली वाले मोहना, मुरली नेक बजाय।
:तेरी मुरली मन हरे, घर अँगना न सुहाय॥
हेमचन्द्र के मतानुसार दोहा-छन्द के लक्षण हैं - समे द्वादश ओजे चतुर्दश दोहक:
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:प्रिय पतिया लिख-लिख थक चुकी, मिला न उत्तर कोय।
:सखि! सोचो अब मैं क्या करूँ, सूझे राह न कोय।।
==दोहे के प्रकार==
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