"धर्म": अवतरणों में अंतर

परम् सत्य की जानकारी
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[[चित्र:MonWheel.jpg|right|thumb|300px|[[धर्मचक्र]] (गुमेत संग्रहालय, पेरिस)]]
'''धर्म''' ( [[पालि]] : [[धम्म]] ) [[भारतीय संस्कृति]] और [[भारतीय दर्शन]] की प्रमुख संकल्पना है। 'धर्म' शब्द का पश्चिमी भाषाओं में कोई समतुल्य शब्द का पाना बहुत कठिन है। साधारण शब्दों में धर्म के बहुत से अर्थ हैं जिनमें से कुछ ये हैं- कर्तव्य, [[अहिंसा]], न्याय, सदाचरण, सद्-गुण आदि। '''धर्म''' का शाब्दिक अर्थ होता है, 'धारण करने योग्य', अर्थात जिसे धारण किया जा सके। हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, जैन या बौद्ध आदि धर्म न होकर सम्प्रदाय या समुदाय मात्र हैं। “सम्प्रदाय” एक परम्परा के मानने वालों का समूह है। ऐसा माना जाता है कि धर्म इंसान को अच्छाई के मार्ग पर लेकर जाता है।
प्रचीन धर्म प्रचीन सभ्यता प्रचीन साम्राज्य एक परिकल्पना है इसके प्रामण ===>
 
परमात्मा के स्वरूप के बारहा प्रकार जो धर्मो अनुसार है ==>
 
हिन्दू वेदों अनुसार  परम् ब्रह्म पुराणों अनुसार शिव विष्णु ब्राम्हा राम कृष्ण गायत्री   ,मुस्लिम आल्लहा  , किश्चयन गाॅड फादर  , सिख वाहे गुरू ,  पारसी अंगिरा मज्दा,  यहूदी यहोवा , शिंतो कामी , ताओ यिंग यांग,  बौध्द जैन झेन ये परमात्मा को अस्वीकार करते है परन्तु ये महात्मा को सर्वोच्च शक्ति मानते है बौध्द झेन मौलिक बुध्द को मानते है जैन चौबीस तीर्थकर को भगवान मानते है  विश्व के कुछ आदिवासी अपने संस्कृति के मुख्य देवी देवता को विश्व की प्रमुख शक्ति  मानते है गोंड जाति  बुढादेव को  ,मडिया जाति भीमादेव को , सराना जाति सरनादेवी को आदि विश्व में आदिवासी में  हजारों संस्कृति है ।
 
विश्व में  क्रिश्चियन दो अरब से ज्यादा मुस्लिम हिन्दू एक अरब से ज्यादा है इनमें परमात्मा के स्वरूप में इतना अंतर होना इस बात का प्रमाण है की परमात्मा एक परिकल्पना है बाकी धर्मो के लोग करोड़ों में है जो परमात्मा को अपने  परिकल्पना अनुसार उसका स्वरूप मानते है आदिवासी संस्कृति  के विभिन्न जाति में परमात्मा का स्वरूप इतना अधिक अंतर होना व जैन बौध्द में महात्मा के स्वरूप का अंतर होना स्पष्ट है की ये लोगों के अपनी-अपनी परिकल्पना है ।
 
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विश्व उत्पत्ति के अपने अपने कथाएं
 
हिन्दू में  कई कथा है शिव ने बनाई दुनिया विष्णु ने बनाई दुनिया ब्राम्हा ने बनाई दुनिया शक्ति माता ने बनाई दुनिया  इसके प्रमाण मात्र भारतीय उपमहाद्वीप में है उनके प्रर्थना स्थल के रूप में मतलब मंदिर ।
 
मुस्लिम आल्लहा ने बनाई दुनिया क्रिश्चियन गाॅड फादर ने बनाई दुनिया यहूदी यहोवा ने बनाई दुनिया  तीनों धर्मो में परमात्मा से मिलने वाला व्यक्ति इब्राहिम है पर बाइबिल में परमात्मा को गाॅड फादर कुरान में आल्लहा यहूदी धर्म ग्रंथ  में यहोवा कहा गया है मिलने वाला व्यक्ति इब्राहिम है पर परमात्मा के नाम रूप बदले है और तीनों धर्मो के ग्रंथो में परमात्मा ने सात दिनों में दुनिया बनाई लिखा है ।
 
बौध्द जैन झेन  धर्मो के मत अनुसार  दुनिया कोई नहीं बनाया ये सदैव से था ।
 
पारसी अंगिरा मज्दा ने दुनिया बनाई है
 
सिख वाहे गुरू ने दुनिया बनाई है
 
शिंतो कामी ने दुनिया बनाई ताओ यिंग यांग ने दुनिया बनाई है कन्फ्यूजीयशी शांगडी ने दुनिया बनाई ।
 
आदिवासी के अपने मिथ्क है जैसे गोंड बुढादेव ने बनाई सराना सराना देवी ने बनाई  माडिया भीमादेव ने बनाई दुनिया ।
 
दुनिया एक है इसे बने वाले कई परमात्मा है कई देव है इसलिए ये भी एक परिकल्पना है ।
 
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दुनिया मी परमात्मा के दर्शन ===>
 
हिन्दू ==>  प्रथम बार सफेद प्रकाश से परमात्मा दिखाई दिया शिवपुराण अनुसार शिव विष्णु पुराण अनुसार विष्णु गायत्री कथा अनुसार गायत्री  परन्तु वेदों अनुसार परम् ब्रह्म ।
 
मुस्लिम अनुसार ==> इब्राहीम ने सफेद प्रकाश से परमात्मा को देखा और जहां काबा है वह मोहम्मद साहब ने देखा आल्लहा  को  इन्होंने बात भी की परमात्मा से।
 
यहूदी अनुसार ==> मूसा ने पहाड़ो के उसपार  यहोवा को देखा यहोवा से बात भी की और उसे देखा भी मूसा ने ।
 
क्रिश्चियन ==> यशु को गाॅड फादर ने धरती पर जन्म लेने के लिए भेजा जिसे स्पष्ट होता है की परमात्मा को यशु ने देखा  था ।
 
पारसी अनुसार ==> जथ्रुष्ट ने परमात्मा को देखा उसे बात की वह परमात्मा अंगिरा मज्दा था ।
 
सिख अनुसार ==> परमात्मा का कोई रूप नहीं है ना कोई रंग है पर वह एक अदृश्य शक्ति है जो ह्रदय में रहती है इसे गुरू नानक ने कहा था ।
 
शिंतो अनुसार ==> प्रमुख कामी ही परमात्मा है ।
 
ताओ ==> ल्यू त्सो ने यिंग यांग देवी देवता को ही परमात्मा कहा इन्होनें जाना था ।
 
कन्फ्यूजीयशी ==> कन्फ्यूजी ने शांगडी को परमात्मा कहा था ।
 
बौध्द जैन झेन ==> बौध्द में कई बुध्द है गौतम बुद्ध अमितय बुध्द लाॅफिंग बुध्द अनंत बुध्द मिलारेपा बुध्द  पर इनमें  मौलिक बुध्द ही सर्वोपरि बुद्ध है जो सृष्टि से पहले भी था इसका मात्र जानकारी हो सकती है ।
 
जैन धर्म  हिन्दू धर्म कथा एक ही है परन्तु चौबीस मनुष्य    तप कर भगवान बन गये जिन्हें  अरिहंत जैनेन्द्र तीर्थकर कहते है झेन अनुसार मौलिक बुध्द ही सर्वोपरि शक्ति है ।
 
आदिवासी संस्कृति ==> प्रमुख देवी देवता को पूर्वजों ने देखा था बात की थी
 
ऐसा सम्भव नहीं है की प्रमुख शक्ति सबको अलग-अलग रूप में दिखाई दे इसलिए ये लोगों के अवचेतन मन की परिकल्पना है ।
 
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विश्व  के प्रथम स्त्री पुरुष ==>
 
हिन्दू  जैन  शतरूपा  व मनु जो भारत के उत्तरांचल के भूमि में थे ।
 
मुस्लिम हावा आदिम इन्हें क्रिश्चियन यहूदी  एडिम कहते है इव ये श्रीलंका में थे ।
 
अन्य धर्मों में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है आदिवासी संस्कृति में माडिया जनजाति में प्रथम स्त्री पुरुष बस्तर क्षेत्र थे ऐसा कथा है ।
 
इन्हीं की संतान पूरी दुनिया है ऐसा माना जाता है ।
 
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कोई अवतार कोई महात्मा कोई मसीहा पुनः इस विश्व में आने की कथा ==>
 
हिन्दू कल्कि भगवान आयेगे चार लाख वर्ष बाद
 
जैन पच्चीसवां तीर्थकर आयेगा  वर्ष भी इंगित है।
 
बौध्द मैत्रीय बुध्द आयेगा कोई समय सारणी नहीं है।
 
मुस्लिम क्रिश्चियन यहूदी पाप बढने पर पैगम्बर या मसीहा आऐगा
 
मुस्लिम पैगम्बर आयेगे ।
 
क्रिश्चियन फिर मसीहा आयेगा
 
यहूदी में भी ऐसा ही है ।
 
शिंतो ताओ झेन कन्फ्यूजीयशी पारसी सिख में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है की कोई आयेगा ।
 
आदिवासी संस्कृति के कुछ जाति जो प्रायः अफ्रीका अमेरिका महाद्वीप में देवाता के वापस आने की मिथ्क है ।
 
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दुनिया का अंत कब कैसे होगा धर्मो अनुसार ==>
 
हिन्दू अनुसार दुनिया बार बार खत्म होती है बनती है अनगिनत बार दुनिया बनाया गया है अगनित बार बनाया जाऐगा बने खत्म करने वाला परमात्मा शिव है ।
 
मुस्लिम आल्लहा दुनिया को खत्म कर देगा जब पाप बढ़ जाऐगा ।
 
क्रिश्चियन यहूदी  में जल प्रलय से दुनिया खत्म हो जाऐगी जब पाप बढ़ जाऐगा ।
 
जैन झेन बौध्द दुनिया ना कभी बना है ना खत्म होगा ऐसा मत है ।
 
शिंतो ताओ कन्फ्यूजीयशी पारसी सिख आदिवासी संस्कृति में ऐसा कोई कथा नहीं है ।
 
दुनिया खत्म होने के तारीके व करने वाला में इतना अंतर कैसे हो सकता है अगर ये परिकल्पना नहीं है तो सच्च तो नहीं हो सकती है ये कथा ।
 
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धर्मो की अस्तित्व समय उसका कारण ===>
 
हिन्दू धर्म ==> ये स्वतः ही एक अवधारणा है जिसे लोग सतयुग त्रेतायुग द्वारपाक युग से मान रहे है ।
 
जैन धर्म ==> ऋषभनाथ तीर्थकर ने सतयुग में स्थापित की थी ।
 
बौध्द ==> गौतम बुद्ध माना जाता है पर बौध्द धर्म का मुख्य लेख से स्पष्ट है की बौध्द धर्म अनंतकाल से इस विश्व में था और अनगिनत बुध्द आये थे आऐगे ।
 
झेन ==> बौधिधर्मा जो भारत के तमिलनाडु के थे ।
 
शिंतो धर्म  भी हिन्दू धर्म  के तरह लोग स्वतः ही मानते है  विश्व की उत्पत्ति से ।
 
पारसी धर्म की स्थापना ==> जथ्रुष्ट ने अंगिरा मज्दा के आदेश पर किया जो मनुष्यों को सही रह लेना जाना चाहते थे ।
 
इब्राहीम धर्म इनकी कथा मिस्र से शुरू होती है पर इसका कारण कुछ और था
 
यहूदी क्रिश्चियन मुस्लिम इनकी मान्यता है की भगवान ने दुनिया बनाई  और लोगों ने गलत रह पकड़ कर कई मान्यता बनाकर धर्म बनाये जिसे लोग गलत राह में जाने लागे उन्हें सही राह दिखाने के लिए परमात्मा ने संदेशवाहक भेजे वे गलत राह के धर्म रोमन धर्म मिस्र के धर्म  यूनान धर्म माना जा सकता है ।
 
मिस्र के फिरौन से आठ हजार वर्ष पहले मूसा ने लोगों को मुक्त कराकर यहूदी धर्म बनाई । यशु ने यहूदियों का विरोध कर क्रिश्चियन धर्म की नींव रखी ढाई हजार वर्ष पहले । मोहम्मद पैगम्बर ने कई कबीलों जिनकी धर्म सोच विचार अनुष्ठान 360 प्रकार की थी उन्हें  इकट्ठा कर मुस्लिम धर्म बनाई चौदह सौ वर्ष पहले ।
 
सिख धर्म  की स्थापना गुरूनानाक ने छैः सौ वर्ष पहले की ।
 
ताओ धर्म की स्थापना ग्यारह सौ वर्ष पहले ल्यो त्सो ने की कन्फ्यूजीयशी धर्म  की स्थापना कन्फ्यूजीयस ने की हजारों वर्ष पहले की ।
 
आदिवासी संस्कृति की जातियाँ  स्वयं को अनगिनत समय से है इस विश्व में ऐसे उनकी मान्यता है जो आदी काल से है वही आदिवासी है ।
 
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पुनर्जन्म की मान्यताएं व स्वर्ग नरक ===>
 
हिन्दू सिख व जैन ===> चौरसी लाख जीव जन्तु पशु पक्षी के जन्म  के बाद इंसान जन्म  मिलता है  हर बार बार इंसान जन्म मिलता है जब तक वह मोक्ष ना पा ले और पाप पुन्य कर्मों अनुसार स्वर्ग नरक मिलता है ।
 
बौध्द झेन ==> बार बार इंसान जन्म मिलता है स्वर्ग नरक नहीं है ।
 
यहूदी क्रिश्चियन मुस्लिम पारसी ===> कुछ राष्ट्र के लोग पुनर्जन्म  मानते है कुछ राष्ट्र के लोग पुनर्जन्म नहीं मानते ।
 
शिंतो ताओ कन्फ्यूजीयशी आदिवासी संस्कृति की अपने विचारधारा है ।
 
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आत्मज्ञान और मुक्ति सम्बन्ध विचार ===>
 
हिन्दू मोक्ष  ==> मतलब परमात्मा में मिलकर अस्तित्व खत्म  स्वयं  का ।
 
जैन कैवल्य ==> तपस्या कर भगवान बन जाना और सम्पूर्ण  विश्व  का ज्ञान होना ।
 
बौध्द झेन निर्वाण ==>  सम्पूर्ण विश्व का ज्ञान प्राप्त कर बुध्द हो जाना ।
 
मुस्लिम जिहाद ===> स्वयं के भीतर के शैतान  को मारकर पवित्र हो जाना ।
 
अन्य धर्मों व संस्कृति में ऐसे कोई शब्दों का उल्लेख नहीं  मिलता है ।
 
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परमात्मा कहा रहता है ===>
 
हिन्दू ==>  तीन भगवान है शिव कैलाश विष्णु क्षिर सागर मतलब अरब सागर ब्राम्हा ब्रह्मलोक में रहता है ।स्वर्ग नरक में देवराज इंद्र है ।
 
जैन ==> चौदह भुवन है सर्वोच्च ऊपर भुवन में तीर्थकर रहते है ।
 
क्रिश्चियन यहूदी स्वर्ग में परमात्मा है मुस्लिम  सातवें आसमान पर आल्लहा है ।
 
पारसी स्वर्ग में  परमात्मा है
 
सिख ह्रदय में परमात्मा है
 
अन्य धर्मों संस्कृति में उनके रहने का स्थान पर उल्लेख नहीं है ।
 
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विज्ञान के अनुसार विश्व की उत्पत्ति तैरहा अरब अस्सी करोड़  वर्ष पहले हुई महाविस्फोट से हुआ  और इस दुनिया का अंत ब्लैक होल बिंग रिलिफ बिंग क्रांच से हो सकती है मनुष्य दो लाख वर्ष पहले बन्दर से इंसान बना ।
 
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जो मनुष्य जिस धर्म का है उसके लिए वही सत्य है ।
 
पर परम् सत्य  विश्व कभी नहीं बना है ना कभी खत्म होगा सभी मनुष्यों के एक अरब जन्म है जो अनगिनत बार एक खरबों वर्षों में बार बार दोहराये जाते है अंतरिक्ष भ्रम है यही धरती विश्व है परमात्मा मनुष्य के मन की परिकल्पना है और प्रचीन धर्म मनुष्यों के अवचेतन मन की परिकल्पना है जिसके सच्च होने के प्रमाण है इसी प्रकार प्रचीन साम्राज्य प्रचीन साम्राज्य भी परिकल्पना है ।
 
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यहाँ सब जानकर भी पद पैसा नाम बनाकर सुख शांति व समृध्दि से जीवनयापन करना चाहिए क्योंकि मनुष्य का जन्म जीवन जीने के लिए है ।
 
धर्म व्यक्तिगत होता है । इसका चयन करने का अधिकार मनुष्य को स्वयं होता है । धर्म '''कर्म''' है । '''धर्म''' का अर्थ होता है, धारण, अर्थात जिसे धारण किया जा सके, धर्म ,कर्म प्रधान है। गुणों को जो प्रदर्शित करे वह धर्म है। धर्म को [[गुण]] भी कह सकते हैं। धर्म और सम्प्रदाय में मूलभूत अंतर है। धर्म का अर्थ जब गुण और जीवन में धारण करने योग्य होता है तो वह प्रत्येक मानव के लिए समान होना चाहिए। जब धर्म सार्वभौमिक है तो मानव जाति के लिए भी तो इसकी सार्वभौमिकता होनी चाहिए। अतः मानव के सन्दर्भ में धर्म की बात करें तो वह केवल मानव धर्म है।
 
यहाँ उल्लेखनीय है कि धर्म शब्द में गुण का अर्थ केवल मानव से संबंधित नहीं है। प्राणी/पदार्थ के लिए भी धर्म शब्द प्रयुक्त होता है, यथा पानी का धर्म है बहना, अग्नि का धर्म है [[प्रकाश]], उष्मा देना और संपर्क में आने वाली वस्तु को जलाना। व्यापकता के दृष्टिकोण से धर्म को गुण कहना सजीव, निर्जीव दोनों के अर्थ में नितांत ही उपयुक्त है। धर्म सार्वभौमिक होता है। प्राणी हो या पदार्थ पूरी पृथ्वी के किसी भी कोने में बैठे प्राणी या पदार्थ का धर्म एक ही होता है। उसके देश, रंग रूप की कोई बाधा नहीं है। धर्म सार्वकालिक होता है यानी कि प्रत्येक काल में युग में धर्म का स्वरूप वही रहता है। धर्म कभी बदलता नहीं है। उदाहरण के लिए [[पानी]], अग्नि आदि पदार्थ का धर्म सृष्टि निर्माण से आज पर्यन्त समान है।
 
वैदिक काल में "धर्म" शब्द एक प्रमुख विचार प्रतीत नहीं होता है। यह [[ऋग्वेद]] के 1,000 भजनों में एक सौ गुना से भी कम दिखाई देता है जो कि 3,000 साल से अधिक पुराना है।<ref>{{cite web|url=https://amp.scroll.in/article/905466/how-did-the-ramayana-and-mahabharata-come-to-be-and-what-has-dharma-got-to-do-with-it|title=How did the ‘Ramayana’ and ‘Mahabharata’ come to be (and what has ‘dharma’ got to do with it)?}}</ref> 2,300 साल पहले सम्राट [[अशोक]] ने अपने कार्यकाल में इस शब्द का इस्तेमाल करने के बाद, "धर्म" शब्द प्रमुखता प्राप्त की थी। पांच सौ वर्षों के बाद, ग्रंथों का समूह सामूहिक रूप से धर्म-[[शास्त्रों]] के रूप में जाना जाता था, जहां [[धर्म]] सामाजिक दायित्वों के साथ समान था, जो व्यवसाय (वर्णा धर्म), जीवन स्तर (आश्रम धर्म), व्यक्तित्व (सेवा धर्म) पर आधारित थे। , राजात्व (राज धर्म), स्री धर्म और मोक्ष धर्म।
 
 
 
( [[पालि]] : [[धम्म]] ) भारतीय संस्कृति और दर्शन की प्रमुख संकल्पना है। 'धर्म' शब्द का पश्चिमी भाषाओं में कोई समतुल्य शब्द का पाना बहुत कठिन है। साधारण शब्दों में धर्म के बहुत से अर्थ हैं जिनमें से कुछ ये हैं- कर्तव्य, [[अहिंसा]], न्याय, सदाचरण, सद्-गुण आदि।
 
सभी संप्रदायों में प्रकाश तक पहुचने के भिन्न स्थिति है ।
पूर्वी संंप्रदायों में देवता महात्मा के सर के पीछे है प्रकाश वलय है ==
हिन्दू त्रिदेव के सर के पीछे प्रकाश वलय ।
जैन में तीर्थंकर के पीछे प्रकाश वलय ।
बौध्द में बुध्द में।
सिख में गुरूनानक में।
झेन में चांद के रूप में।
शिन्तो में सूर्य देवी कामी है ।
ताओ कन्यफूजियस में भी महात्माओ के पीछे है ।
 
जबकी पश्चात् संंप्रदायों में भिन्न है ।
यहूदी में आग का दिया या फिर तारा है ।
क्रिश्चियन में पवित्र आत्मा के रूप में और मरीयम यशु गाॅड फादर के सर के पीछे है ।
मुस्लिम में ईद का चांद और तारा है ।
पारसी में आग के दिया या फिर महात्मा के सर के पीछे है ।
 
अर्थात जो प्रकाश की कल्पना होती है ध्यान में वही मनुष्य को स्वयं के चेतना अनुसार परमात्मा या महात्मा दिखाई देते है ।
यही प्रकाश ही परम् सत्य आधार है इसे वेदों में ब्रह्म कहा गया है जिसको जाने की कोशिश में माया वश वहां परमात्मा नजर आता है।
 
विज्ञान के सिध्दान्त का बिंग बैंग का शुरूवाती प्रकाश बिन्दु है जिसे विश्व की उत्पत्ति हुई है ।
 
 
ह्रदय के भीतर ही प्राचीन धर्म सभ्यता व साम्राज्य के दुनिया के घटनाऐ होते है ।
धर्मो की उत्पत्ति =
पूर्वी धर्म
हिन्दू संप्रदाय ब्रह्म जिसके स्वरूप ब्रह्मा विष्णु और महेश है उनकी उत्पत्ति के बाद सतयुग त्रेतायुग द्वापर युग व कलयुग समय है । लगभग 50 लाख वर्ष पहले ।
जैन संप्रदाय ऋषभनाथ के विचारधारा से हुई तीर्थंकर जो ब्राम्हा के मानस पुत्र के वंशज और राम के पूर्वज है ये भी 50 लाख वर्ष पूर्व।
बौद्ध संप्रदाय बुद्ध के विचारधारा चार हजार वर्ष पूर्व ।
झेन संप्रदाय बोधीधर्मा के विचारधारा तीन चार हजार वर्ष पूर्व
सिख संप्रदाय गुरूनानक के विचारधारा आठ सौ वर्ष पूर्व ।
हिन्दू संप्रदाय के ही जन्में महात्मा ऋषभनाथ बुद्ध बोधिधर्मा व गुरूनानक है ।
 
ताओ संप्रदाय लाओत्सू के विचारधारा तीन हजार वर्ष पूर्व।
शिन्तो संप्रदाय कोई समय नहीं है और ये पीढी दार पीढ़ी विचारधारा है ।
कन्फ्यूशी संप्रदाय कन्यफूशियस के विचारधारा है चार हजार वर्ष पूर्व।
 
विज्ञान के सिध्दान्त वैज्ञानिकों के सिध्दान्त है जो भौतिक तत्वों का विश्लेषण पर आधारित है ।
 
पश्चिमी संप्रदाय ====
इन संप्रदायों की स्थापना किसी दूसरे के मान्यता का विरोध कर स्थापित किया गया है स्वयं के विचार को ।
 
यहूदी संप्रदाय मूसा ने मिस्र के फेरूओ के विचारों का विरोध कर एक नया संप्रदाय बनाया पांच छैः हजार वर्ष पूर्व।
क्रिश्चियन संप्रदाय यशु ने शायद रोमन विचारधारा का विरोध किया और नया बनाया ढाई हजार वर्ष पहले ।
पारसी संप्रदाय के जरथुष्ट्री ने भी किसी सभ्यता का विरोध कर बनाया था ।
अगर ध्यान दिया जाऐ तो पश्चिमी संप्रदाय में पहले प्राचीन सभ्यताएं रहती थी जिसकी मान्यता कुछ और ही थी वे धर्म नहीं थे जैसे मिस्र रोमन बेबीलोन सुमेरू इन्ही में कही सिन्धुघाटी सभ्यता भी है इन सबका अस्तित्व खत्म हुआ तो यहूदी इसाई मुस्लिम और पारसी संप्रदाय आये ।
और ये संप्रदाय जा फैले वहां माया सभ्यता इंका सभ्यता आदि का अंत हो गया ।
 
पूर्वी संप्रदाय के बाद साम्राज्य आए विक्रमादित्य मौर्य चंगेज खान चोला चीन व मंगोल आदि के साम्राज्य है ।
 
इन साम्राज्य नीति के कारण विश्व का आज वर्तमान का इतिहास है ।
 
== हिन्दू समुदाय ==
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इस समुदाय के लोग स्वयं को सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म मानने वाला कहते हैं। इंडोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक सम्प्रदाय ही नहीं है अपितु '''जीवन जीने की एक पद्धति है।''' लोगों का मानना है कि "हिन्सायाम दूयते या सा हिन्दू" अर्थात जो अपने मन वचन कर्म से हिंसा से दूर रहे वह हिन्दू है।
 
===वात्सायन के अनुसार धर्म===
[[वात्स्यायन]] ने धर्म और अधर्म की तुलना करके धर्म को स्पष्ट किया है। वात्स्यायन मानते हैं कि मानव के लिए धर्म मनसा, वाचा, कर्मणा होता है। यह केवल क्रिया या कर्मों से सम्बन्धित नहीं है बल्कि धर्म चिन्तन और वाणी से भी संबंधित है।<ref>Klaus Klostermaier, A survey of Hinduism,, SUNY Press, ISBN 0-88706-807-3, Chapter 3: Hindu dharma</ref>
 
* '' का अधर्म''' : हिंसा, अस्तेय, प्रतिसिद्ध मैथुन
* '''शरीर का धर्म''' : दान, paritrabanan, परिचरण (दूसरों की सेवा करना)
* '''बोले और लिखे गये शब्दों द्वारा अधर्म''' : मिथ्या, परुष, सूचना, असम्बन्ध
* '''बोले और लिखे गये शब्दों द्वारा धर्म''' : सत्व, हितवचन, प्रियवचन, स्वाध्याय (self study)
* '''मन का अधर्म''' : परद्रोह, परद्रव्याभिप्सा (दूसरे का द्रव्य पा लेने की इच्छ), नास्तिक्य (denial of the existence of morals and religiosity)
* '''मन का धर्म''' : दया, स्पृहा (disinterestedness), और श्रद्धा
 
===महाभारत===
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: ''तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत् ॥
: मरा हुआ धर्म मारने वाले का नाश, और रक्षित धर्म रक्षक की रक्षा करता है। इसलिए धर्म का हनन कभी न करना, इस डर से कि मारा हुआ धर्म कभी हमको न मार डाले।
: दूसरे शब्दों में, जो पुरूष धर्म का नाश करता है, उसी का नाश धर्म कर देता है। और जो धर्म की रक्षा करता है, उसकी धर्म भी रक्षा करता है। इसलिए मारा हुआ धर्म कभी हमको न मार डाले, इस भय से धर्म का हनन अर्थात् त्याग कभी न करना चाहिए
 
== जैन समुदाय ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/धर्म" से प्राप्त