"आगरा का किला": अवतरणों में अंतर

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→‎इतिहास: चौहान के स्थान पर सिकरवार किया
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== इतिहास ==
 
यह मूलतः एक ईंटों का किला था, जो [[चौहान सिकरवार वंश]] के राजपूतों के पास था। इसका प्रथम विवरण [[1080]] ई० में आता है, जब [[महमूद गजनवी]] की सेना ने इस पर कब्ज़ा किया था। [[सिकंदर लोदी]] (1487-1517), [[दिल्ली सल्तनत]] का प्रथम [[सुल्तान]] था जिसने [[आगरा]] की यात्रा की तथा इसने इस किले की मरम्म्त १५०४ ई० में करवायी व इस किले में रहा था। सिकंदर लोदी ने इसे १५०६ ई० में राजधानी बनाया और यहीं से देश पर शासन किया। उसकी मृत्यु भी इसी किले में [[1517]] में हुई थी। बाद में उसके पुत्र [[इब्राहिम लोदी]] ने गद्दी नौ वर्षों तक संभाली, तब तक, जब वो [[पानीपत का प्रथम युद्ध|पानीपत के प्रथम युद्ध]] ([[1526]]) में मारा नहीं गया। उसने अपने काल में यहां कई स्थान, मस्जिदें व कुएं बनवाये।
 
[[पानीपत]] के बाद मुगलों ने इस किले पर भी कब्ज़ा कर लिया साथ ही इसकी अगाध सम्पत्ति पर भी। इस सम्पत्ति में ही एक हीरा भी था जो कि बाद में [[कोहिनूर हीरा]] के नाम से प्रसिद्ध हुआ। तब इस किले में इब्राहिम के स्थान पर बाबर आया। उसने यहां एक बावली बनवायी। सन [[1530]] में यहीं [[हुमायुं]] का राजतिलक भी हुआ। हुमायुं इसी वर्ष बिलग्राम में [[शेरशाह सूरी]] से हार गया व किले पर उसका कब्ज़ा हो गया। इस किले पर अफगानों का कब्ज़ा पांच वर्षों तक रहा, जिन्हें अन्ततः मुगलों ने [[1556]] में [[पानीपत का द्वितीय युद्ध]] में हरा दिया।