"बाल्कन युद्ध": अवतरणों में अंतर

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==प्रथम बाल्कन युद्ध==
[[चित्र:Balkan troubles1.jpg|right|thumb|300px|जर्मनी, फ्रांस, रूस, आस्ट्रिया-हंगरी, और ब्रिटेन बाल्कन के साम्राज्यवादी तथा राष्ट्रवादी तनाव रूपी 'सिमसिमाते हंडे' के ढक्कन को बन्द रखने (सामान्य यूरोपीय युद्ध को रोकने) का प्रयास करते हुए । १९१२ और १९१३ में वे इसमें सफल रहे किन्तु १९१४ में नहीं।]]
जर्मनी, फ्रांस, रूस, ऑस्ट्रिया-हंगरी, और ब्रिटेन में हो रहे एक सामान्य यूरोपीय युद्ध को रोकने के लिए बाल्कन में साम्राज्यवादी और राष्ट्रवादी तनावों से सिहर हंडा पर ढक्कन रखने के लिए प्रयास किया गया। वे 1912 और 1913 में सफल रहे थे, लेकिन 1914 में सफलअसफल नहींहो हुए।गये।
 
सन् 1912 में [[रूस]] और [[फ्रांस]] में यह समझौता हो गया कि यदि [[बाल्कन प्रायद्वीप]] के प्रश्न पर [[जर्मनी]] अथवा [[ऑस्ट्रिया]] रूस से युद्ध करेंगे तो फ्रांस रूस के साथ रहेगा। फ्रांसीसी सहायता का आश्वासन मिल जाने पर बाल्कन प्रायद्वीप में रूस बेरोक टोक हस्तक्षेप करने लगा। रूस के उकसाने पर चार बाल्कन राज्यों ने मिलकर सन् 1912 में गुप्त रूप से एक समझौता किया। ये राज्य थे [[यूनान]], [[बल्गेरिया]], [[मांटीनीग्रो]] तथा [[सर्विया]]। इस समय [[तुर्की|टर्की]] निर्बल हो गया था और वहाँ आंतरिक अशांति फैली हुई थी। बाल्कन राज्यों के समझौते का उद्देश्य यह था कि वे टर्की से युद्ध करके उसके शासन को यूरोप से समाप्त कर दें, इसके बाद जीते हुए क्षेत्रों का आपस में बाँट लें। [[मैसीडोनिया]] पर इन राज्यों की लोलुप दृष्टि विशेष रूप से थी। इसलिए इस समझौते में यह भी स्पष्ट कर लिया गया था कि टर्की की पराजय के पश्चात् मैसीडोनिया के प्रदेशों को किस प्रकार विभक्त किया जाएगा। यह निश्चित हो गया था कि मैसीडोनिया का प्रमुख भाग [[बलगेरिया]] को दिया जाएगा तथा [[अल्बानिया]], [[सर्विया]] को दे दिया जाएगा।