"नीतीश कुमार": अवतरणों में अंतर

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17 मई 2014 को उन्होंने [[भारतीय आम चुनाव, 2014]] में अपने पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी संभालने से इस्तीफा दे दिया और वह जीतन राम मांझी के पद पर रहे। हालांकि, वह बिहार में राजनीतिक संकट से फरवरी 2015 में कार्यालय में लौट आया और नवंबर 2015 की [[बिहार विधान सभा चुनाव,२०१५]] जीता। वह 10 अप्रैल 2016 को अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए। 2019 के आगामी चुनाव में सहित कई राजनेताओं लालू यादव, तेजसवी यादव और अन्य ने भारत में प्रधान मंत्री पद के लिए उन्हें प्रस्तावित किया हालांकि उन्होंने ऐसी आकांक्षाओं से इनकार किया है उन्होंने 26 जुलाई, 2017 को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में गठबंधन सहयोगी आरजेडी के बीच मतभेद के साथ फिर से इस्तीफा दे दिया था, सीबीआई द्वारा एफआईआर में उपमुख्यमंत्री और [[लालू प्रसाद यादव]] के पुत्र [[तेजस्वी यादव]] के नामकरण के कारण। कुछ घंटे बाद, वह एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए, जो इस प्रकार अब तक विरोध कर रहे थे, और विधानसभा में बहुमत हासिल कर लेते थे, अगले दिन ही मुख्यमंत्री पद का त्याग कर रहे थे।
 
नीतीश कुमार 2005 में मुख्यमंत्री बने थे।
 
2004- बिहार में भयंकर बेरोजगारी थी, रोजगार के अभाव में लोग दिल्ली-मुम्बई पलायन कर रहे थे।
2020- बिहार में भयंकर बेरोजगारी है, रोजगार के अभाव में लोग दिल्ली-मुम्बई पलायन कर रहे हैं।
2004- बिहार में चीनी मील-पेपर मील-सूत मील-जुट मील-खाद मील समेत तमाम पुराने उद्योग-मील बंद पड़े थे। किसी प्रकार की कोई नई इंडस्ट्री बिहार आने को तैयार नहीं थी।
2020- बिहार में चीनी मील-पेपर मील-सूत मील-जुट मील-खाद मील समेत तमाम पुराने उद्योग-मील बंद पड़े हैं। किसी प्रकार की कोई नई इंडस्ट्री बिहार आने को तैयार नहीं है।
 
2004- बिहार में शिक्षा का हाल बुरा था। स्कूलों में शिक्षक नहीं थे, कॉलेजों में क्लासेज नहीं चलती थी, विश्वविद्यालयों में 75% पद खाली पड़े थे और सेशन कभी समय पर कम्प्लीट नहीं होता था।
2020- बिहार में शिक्षा का हाल बुरा है। स्कूलों में शिक्षक नहीं है, कॉलेजों में क्लासेज नहीं चलती है, विश्वविद्यालयों में 75% पद खाली पड़े है और सेशन कभी समय पर कम्प्लीट नहीं होता है।
 
2004- बिहार में स्वास्थ्य का हाल बुरा था। अस्पतालों में कुव्यवस्था फैली हुई थी, छोटी-मोटी बीमारियों के लिए भी लोगों को दिल्ली-मुम्बई जाना पड़ता था।
2020- बिहार में स्वास्थ्य का हाल बुरा है। अस्पतालों में कुव्यवस्था फैली हुई है, छोटी-मोटी बीमारियों के लिए भी लोगों को दिल्ली-मुम्बई जाना पड़ता है।
 
2004- अपराध में बिहार अव्वल था। हत्या-चोरी-बलात्कार-अपहरण आदि रोजाने की घटनाएं थी। कानून व्यवस्था बनाने में पुलिस नाकाम और असमर्थ थी।
2020- अपराध में बिहार अव्वल है। हत्या-चोरी-बलात्कार-अपहरण आदि रोजाने की घटनाएं है। कानून व्यवस्था बनाने में पुलिस नाकाम और असमर्थ है।
 
2004- बिहार में पलायन मजबूरी थी। बेरोजगारी-कुपोषण-गरीबी-अशिक्षा आजादी के कारण बिहार एक बीमार राज्य माना जाता था। जीडीपी के हिसाब से बिहार भारत का सबसे गरीब राज्य था। दूसरे राज्यों में बिहारी शब्द एक गाली जैसे प्रयुक्त होता था, पलायन करके गए लोगों को वहाँ गाली-मार-अपमान सहना पड़ता था।
2020- बिहार में पलायन मजबूरी है। बेरोजगारी-कुपोषण-गरीबी-अशिक्षा आजादी के कारण बिहार एक बीमार राज्य माना जाता है। जीडीपी के हिसाब से बिहार भारत का सबसे गरीब राज्य है। दूसरे राज्यों में बिहारी शब्द एक गाली जैसे प्रयुक्त होता है, पलायन करके गए लोगों को वहाँ गाली-मार-अपमान सहना पड़ता है।
 
2004- हर साल बिहार में बाढ़ आती थी, सैकड़ों लोग मरते-दहते थे। राज्य सरकार इन आपदाओं को झेलने या उसके स्थायी समाधान खोजने में असमर्थ थी।
2020- हर साल बिहार में बाढ़ आती है, सैकड़ों लोग मरते-दहते है। राज्य सरकार इन आपदाओं को झेलने या उसके स्थायी समाधान खोजने में असमर्थ है।
 
2004- बिहार में खेती की हालत खराब थी। सिंचाई-खाद-उन्नत बीज-जानकारी आदि के अभाव में कृषि किसानों के लिए एक बोझ बनकर रह गई थी।
2020- बिहार में खेती की हालत खराब है। सिंचाई-खाद-उन्नत बीज-जानकारी आदि के अभाव में कृषि किसानों के लिए एक बोझ बनकर रह गई है।
 
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15 साल के सुशासन में बदला क्या है ?
 
तस्वीर- गूगल, साभार। ई पोस्ट कोई नीतीश जी को पढ़ा दे तो उनका रिएक्शन बिल्कुल ऐसा ही होगा।
 
==प्रारंभिक जीवन==