"हृदय रोग": अवतरणों में अंतर

★ हृदय की धमनियों में अवरोधवाले रोगियों को गौझरण अर्क सेवन से हृदय के दर्द में राहत मिलती है | अर्क 2 से 6 ढक्कन तक समान मात्रा में पानी मिलाकर ले सकते हैं | सुबह खाली पेट शाम को भोजन से पहले लेना चाहिए | हृदय दर्द बंद हो कर चुस्ती-फुर्ती बढ़ती है तथा बेहद खर्चीली बाईपास सर्जरी से मुक्ति मिलती है | ★ हृदय रोगी को छिलकेवाले साबुत उबले हुए मूँग व मूँग की दाल, गेहूँ की रोटी, जौ का दलिया, परवल, करेला, प्याज, गाजर, अदरक, सौंठ, हींग,जीरा, काली मिर्च, सेंधा नमक ,अजवायन,अनार, मीठे अंगूर, काले अंगूर...
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* गंभीर प्रकार की खराबियों में लक्षण दिखाई देते हैं- विशेषकर नवजात शिशुओं में। इन लक्षणों में सामान्यतः तेजी से सांस लेना, त्वचा, ओठ और उंगलियों के नाखूनों में नीलापन, थकान और खून का संचार कम होना शामिल है।
* बड़े बच्चे व्यायाम करते समय या अन्य क्रियाकलाप करते समय जल्दी थक जाते हैं या तेज सांस लेने लगते हैं।
* दिल के दौरे के लक्षणों में व्यायाम के साथ थकान शामिल है। सांस रोकने में तकलीफ, रक्त जमना और फेफड़ों में द्रव जमा होना तथा पैरों, '''[https://www.jointspainhealers.com/takhano-ke-dard-se-chutakara-pane-ke-lie-karane-honge-ye-upchar/ टखनों]''' और टांगो में द्रव जमा होना।
* जब तक बच्चा गर्भाशय में रहता है या जन्म के तुरंत बाद तक गंभीर हृदय की खराबी के लक्षण साधारणतः पहचान में आ जाते हैं। लेकिन कुछ मामलों में यह तब तक पहचान में नहीं आते जबतक कि बच्चा बड़ा नहीं हो जाता और कभी-कभी तो वयस्क होने तक यह पहचान में नहीं आता।