"ठोस": अवतरणों में अंतर

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अधिकतर ठोस पदार्थ क्रिस्टलीय प्रकृति के होते हैं। उदाहरण के लिए सभी धात्विक तत्व; जैसे- लोहा, ताँबा और चाँदी; अधात्विक तत्व; जैसे-सल्फर, फॉसफोरस और आयोडीन एवं यौगिक जैसे सोडियम क्लोराइड, जिंक सल्पाइड और नेप्थेलीन क्रिस्टलीय ठोस हैं।
क्रिस्टलीय ठोसों को उनमें परिचालित अंतराआण्विक बलों की प्रकृति के आधार पर चार संवर्गो में वर्गीकृत किया जा सकता है- आण्विक, आयनिक, धात्विक और सहसंयोजक।<ref>रसायनशास्त्र, भाग-१, (कक्षा १२), एनसीईआरटी, नई दिल्ली, पृष्ठ-४ </ref>
 
क्रिस्टलीय ठोस हो निम्न प्रकार के होते हैं उनके गुण निम्न प्रकार है
1 वह ठोस जिनके के जालक में घटक कणो कि व्यवस्था निश्चित वह नियमित होती है क्रिस्टलीय ठोस कहलाते हैं उदाहरण Nacl,kcl,fe....
2 इनमें दीर्घा परास व्यवस्था पाई जाती है
3 क्रिस्टलीय ठोस विद्लन का गुण प्रदर्शित करते हैं
4 इनके गलनांक उच्च होते हैं व निश्चित होते हैं क्योंकि इनके घटक कणों की व्यवस्था निश्चित वा नियमित होती है, क्रिस्टलीय ठोस को गर्म करने पर एक निश्चित ताप पर ही द्रव में बदलते हैं
5 क्रिस्टलीय ठोस और विषमदैशिकता का का गुण पाया जाता है, क्योंकि क्रिस्टल लिए ठोसो में अनेक भौतिक गुण जैसे चालकता अपवर्तनांक कठोरता आदि का मानप्रत्येक दिशा समान नहीं होते हैं
6 क्रिस्टल लिए thoso का शीतलन वक्र असतात होता हैं
 
 
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अक्रिस्टलीय ठोस,,
 
1इनके क्रिस्टल जालक में घटक कणों की व्यवस्था निश्चित व नियमित नहीं होती
2 इन ठोसो लघु परास व्यवस्था पाई जाती है
3 इनका गलनांक अनिश्चित होता है यह एक निश्चित ताप पर द्रव अवस्था में नहीं बदलते तथा ताप बढ़ाने पर धर्म होते जाते हैं क्योंकि इनके घटक कणों की व्यवस्था निश्चित वाह निर्मित नहीं होती
4 यह विदलन का गुण प्रदर्शित नहीं करते अर्थात इनको काटने पर इनकी सताए प्लेन नहीं होती खुजली होती है इनकी सताए
5 आकृष्ट लिए ठोस और शीतल वक्र सतत॒ प्राप्त होता है
 
==== अक्रिस्टलीय ====
"https://hi.wikipedia.org/wiki/ठोस" से प्राप्त