"बौद्धिक सम्पदा": अवतरणों में अंतर
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'''बौद्धिक सम्पदा''' ([[:en:Intellectual property|Intellectual property]]) किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा सृजित कोई संगीत, साहित्यिक कृति, कला, खोज, प्रतीक, नाम, चित्र, डिजाइन, कापीराइट, ट्रेडमार्क, [[पेटेन्ट]] आदि को कहते हैं। जिस प्रकार कोई किसी भौतिक धन (फिजिकल प्रापर्टी) का स्वामी होता है, उसी प्रकार कोई बौद्धिक सम्पदा का भी स्वामी हो सकता है। इसके लिये [[बौद्धिक सम्पदा अधिकार]] प्रदान किये जाते हैं। आप अपने बौद्धिक सम्पदा के उपयोग का नियंत्रण कर सकते हैं और उसका उपयोग कर के भौतिक सम्पदा (धन) बना सकते हैं। इस प्रकार बौद्धिक सम्पदा के अधिकार के कारण उसकी सुरक्षा होती है और लोग खोज तथा नवाचार के लिये उत्साहित और उद्यत रहते हैं।
बौद्धिक संपदा कानून के तहत, इस तरह बौद्धिक सम्पदा का स्वामीकॊ अमूर्त संपत्ति के कुछ विशेष अधिकार दियॆ है, जैसॆ कि संगीत, वाद्ययंत्र साहित्य, कलात्मक काम, खोज और आविष्कार, शब्दों, वाक्यांशों, प्रतीकों और कोई डिजाइन.
क्र्य म्न कम
शब्द संपदा एवं शब्द संपत्ती एक दूसरे के समानार्थी शब्द हैं इसका तात्पर्य बुद्धि संबंधित या बुद्धि संबंधित से अर्थात बुद्धि अथवा मस्तिष्क द्वारा पैदा की गई या उत्पादित की गई वस्तु जिसे कोई व्यक्ति अपने बौद्धिक श्रम से उत्पादित करता है वह उस व्यक्ति की बौद्धिक संपदा होती है। यदि साधारण बोलचाल की भाषा में समझाएं तो ऐसी वस्तु जिसे कोई व्यक्ति अपनी बुद्धि से उत्पन्न करता है।
सामण्ड-"बौद्धिक संपदा व भौतिक वस्तुएं हैं जो विधि द्वारा मानव प्रवीणता एवं श्रम के अभय थिक उत्पाद के रूप में मान्यता प्राप्त करते हैं।"
उदाहरण-लेखकों की रचनाएं, अविष्कार कर्ताओं के आविष्कार, विचारकों के विचार, संकल्पना एवं साहित्य, संगीत आत्मक कलात्मक, नाट्य, ध्वनी, यांत्रिक, अभीव्यक्तियां।
गेट डब्ल्यूटीओ ट्रिप्स के द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकार को संरक्षित करने का प्रयास किया गया है। प्रतिलिपि अधिकार अधिनियम 1957 केंद्रीय सरकार द्वारा बोर्ड का गठन किया जाना है यह धारा 11 में वर्णित है जिसमें इसके एक अध्यक्ष तथा 2 से 14 तक सदस्य हो सकते हैं इसके अध्यक्ष के लिए उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश या पूर्व न्यायाधीश या उसकी योग्यता रखने वाले व्यक्ति जो वर्तमान में हैं इस तरह की और हटाए रखते हैं इस पद के योग्य हैं जिनका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है कार्यकाल समाप्त होने के पश्चात पुनर नियुक्ति का भी प्रावधान है धारा 12 प्रतिलिपि अधिकार बोर्ड की शक्तियों का वर्णन करता है 1. स्वयं प्रक्रिया विनियमित करने की शक्ति 2. कार्यवाही अंचला अनुसार सुनने की शक्ति 3. न्याय पीठ के माध्यम से शक्तियों एवं कृतियों का प्रयोग करने की शक्ति 4. सिविल न्यायालय की शक्तियों का प्रयोग करने की शक्ति इत्यादि
प्रतिलिपि अधिकार बोर्ड के अधिकार-
1. विवाद विनिश्चित करने का अधिकार,
2. प्रतिलिप्याधिकार के समनुदेशन को प्रतिसंहरित करने का अधिकार,
3. रॉयल्टी वसूल करने का आदेश पारित करने का अधिकार,
4.पुनः प्रकाशन करने की अनुज्ञप्ति देने का अधिकार,
5. ऐसी भारतीय कृतियों के प्रकाशन की अनुज्ञा देने का अधिकार जो प्रकाशित हैं,
6. भाषांतर करने तथा उसे प्रकाशित करने की अनुज्ञप्ति देने का अधिकार,
7.कतिपय प्रयोजनों के लिए कृतियों को पुनर उत्पादित करने तथा उन्हें प्रकाशित करने की अनुज्ञप्ति देने का अधिकार,
8. प्रतिलिपि अधिक का रजिस्टर को परिशोधन करने का अधिकार,
9. मूल प्रति के पुनः विक्रय की स्थिति में रचयिता का आन सुनिश्चित करने का अधिकार,
10. अपील सुनने का अधिकार।
== बाहरी कड़ियाँ ==
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