"प्रेमचंद": अवतरणों में अंतर
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प्रेमचंद एक सफल अनुवादक भी थे। उन्होंने दूसरी भाषाओं के जिन लेखकों को पढ़ा और जिनसे प्रभावित हुए, उनकी कृतियों का अनुवाद भी किया। 'टॉलस्टॉय की कहानियाँ' (1923), गाल्सवर्दी के तीन नाटकों का ''हड़ताल'' (1930), ''[[चाँदी की डिबिया]]'' (1931) और ''न्याय'' (1931) नाम से अनुवाद किया। उनके द्वारा रतननाथ सरशार के उर्दू उपन्यास ''फसान-ए-आजाद'' का हिंदी अनुवाद ''आजाद कथा'' बहुत मशहूर हुआ।
=== जीवनी ===
प्रेमचंद की पत्नी [[शिवरानी देवी]] ने ''प्रेमचंद घर'' लिखी और उनके व्यक्तित्व के उस हिस्से को उजागर किया है, जिससे लोग अनभिज्ञ थे। यह पुस्तक [[१९४४]] में पहली बार प्रकाशित हुई थी, लेकिन साहित्य के क्षेत्र में इसके महत्व का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे दुबारा [[२००५]] में संशोधित करके प्रकाशित की गई, इस काम को उनके ही नाती प्रबोध कुमार ने अंजाम दिया। इसका अंग्रेज़ी<ref>{{cite web |url= http://www.mshel.com/bookm19.html|title= प्रेमचंद घर में|access-date=25 जून 2008|format= एचटीएमएल|publisher= mshel.com|language=en}}</ref> व हसन मंज़र का किया हुआ उर्दू<ref>{{cite web |url= http://www.dawn.com/weekly/books/archive/040829/books15.htm|title= प्रेमचंद घर में|access-date=25 जून 2008|format= एचटीएम|publisher=DAWN |language=en}}</ref> अनुवाद भी प्रकाशित हुआ। उनके ही बेटे अमृत राय ने ''कलम का सिपाही'' नाम से पिता की जीवनी लिखी है।
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