"दिल्ली षड्यंत्र मामला": अवतरणों में अंतर

क्रन्तिकारी प्रताप सिंह बारहठ का विवरण उपलब्ध करवाया ।
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'''दिल्ली षडयंत्र मामला''' ({{lang-en|Delhi conspiracy case}}), जिसे '''दिल्ली-लाहौर षडयंत्र''' के नाम से भी जाना जाता है, १९१२ में भारत के तत्कालीन वाइसराय [[लॉर्ड हार्डिंग]] की हत्या के लिए रचे गए एक षड्यंत्र के संदर्भ में प्रयोग होता है, जब [[ब्रिटिश भारत]] की राजधानी के [[कलकत्ता]] से [[नई दिल्ली]] में स्थानांतरित होने के अवसर पर वह [[दिल्ली]] पधारे थे। [[रासबिहारी बोस]] को इस षड्यंत्र का प्रणेता माना जाता है। लॉर्ड हार्डिंग पर २३ दिसम्बर १९१२ को [[चाँदनी चौक]] में एक जुलूस के दौरान एक बम फेंका गया था, जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गए थे।<ref>{{cite news |title=Delhi remembers Hardinge bomb case martyrs |trans-title=दिल्ली ने हार्डिंग बम प्रकरण के शहीदों को याद किया |url=https://www.thehindu.com/news/cities/Delhi/delhi-remembers-hardinge-bomb-case-martyrs/article8574119.ece |accessdate=11 अगस्त 2018 |publisher=द हिन्दू |date=9 मई 2016 |language=en-IN}}</ref> इस घटनाक्रम में हार्डिंग के महावत की मृत्यु हो गयी थी। इस अपराध के आरोप में [[बसन्त कुमार विश्वास]], बाल मुकुंद, अवध बिहारी व मास्टर अमीर चंद को फांसी की सजा दे दी गयी, जबकि रासबिहारी बोस गिरफ़्तारी से बचते हुए [[जापान]] फरार हो गए थे। इस घटना में प्रताप सिंह बारहठ भी रास बिहारी बोस के साथ थे, इनकी मृत्यु बरेेली जेल मे अंग्रेेेजों की अमानविय यातनाओ के कारण हो गयी थी।
शक्तिसिंह बारहठ
 
== पृष्ठभूमि ==