"हाथी": अवतरणों में अंतर

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{{Taxobox
| image = {{double image|right|African Bush Elephant.jpg|180|Asian elephant - melbourne zoo.jpg |180|अफ़्रीकी हाथी|एशियाई हाथी}}
| image_width = 250px
| image_caption = [[अफ़्रीकी हाथी]] और [[एशियाई हाथी]]
| fossil_range = {{Fossil range|Pliocene|Recent|PS=(130 से 20 लाख वर्ष पहले)}}
| regnum = [[पशु]]
| phylum = [[रज्जुकी]]
| subphylum = [[कशेरुकी जन्तु]]
| classis = [[स्तनपायी]]
| ordo = [[प्रोबोसीडिया]] <abbr title="विशालकाय हाथियों की प्रजाति जिनकी बडी सूंड और दाँत होते हैं।">अर्थात</abbr>
| familia = [[एलिफैन्टिडी]] (हाथी परिवार)
| familia_authority = [[जॉन एडवर्ड ग्रे|ग्रे]], 1821
}}
 
 
[[चित्र:Elephant skeleton.jpg|thumb|अफ़्रीकी हाथी का कंकाल]]
 
'''हाथी''' जमीन पर रहने वाला एक विशाल आकार का प्राणी है। यह&nbsp;जमीन पर रहने वाला सबसे विशाल [[स्तनपायी]] है। यह [[एलिफैन्टिडी]] कुल और [[प्रोबोसीडिया]] गण का प्राणी है। आज एलिफैन्टिडी कुल में केवल दो प्रजातियाँ जीवित हैं: ''ऍलिफ़स'' तथा ''लॉक्सोडॉण्टा''। तीसरी प्रजाति [[मैमथ]] [[विलुप्त]] हो चुकी है।<ref>{{cite web |url= |title= Phylogenetic position of Elephas, Loxodonta and Mammuthus, based on molecular evidence |author =यू. जोगेर और जी. गैरिडो|year = 2001 |pages 544–547 |publisher = द वर्ल्ड ऑफ़ एलिफ़ैन्ट्स - इंटरनैशनल कॉंग्रेस, रोम 2001}}</ref>जीवित दो प्रजातियों की तीन जातियाँ पहचानी जाती हैं:- [[अफ़्रीकी हाथी|''लॉक्सोडॉण्टा'']] प्रजाति की दो जातियाँ - अफ़्रीकी खुले मैदानों का हाथी (अन्य नाम: [[:en:African bush elephant|बुश या सवाना हाथी]]) तथा ([[:en:African forest elephant|अफ़्रीकी जंगलों का हाथी ]]) - और ''ऍलिफ़स'' जाति का भारतीय या [[एशियाई हाथी]]।<ref>http://www.bbc.co.uk/nature/life/Elephantidae</ref>हालाँकि कुछ शोधकर्ता दोनों अफ़्रीकी जातियों को एक ही मानते हैं,<ref name="African Elephant Specialist Group"/>अन्य मानते हैं कि [[पश्चिमी अफ़्रीका]] का हाथी चौथी जाति है।<ref>{{cite news|last=Somerville|first=Keith|title=W African elephants 'separate' species|url=http://news.bbc.co.uk/1/hi/sci/tech/2282801.stm|publisher=BBC|date=26 सितंबर 2002}}</ref>ऍलिफ़ॅन्टिडी की बाकी सारी जातियाँ और प्रजातियाँ विलुप्त हो गई हैं। अधिकतम तो पिछले [[हिमयुग]] में ही विलुप्त हो गई थीं, हालाँकि मैमथ का बौना स्वरूप सन् [[2000]] ई.पू. तक जीवित रहा।<ref>{{cite journal | first=एस. एल.| last=वर्तान्यन | first2=वी.ई. | last2=गरुत्त | first3=ए.वी. | last3=शेर| title=Holocene dwarf mammoths from Wrangel Island in the Siberian Arctic | journal=नेचर| volume=362 | pages=337–340 | date=25 मार्च 1993 | url= http://blogs.nature.com/nautilus/Dwarf%20mammoths.pdf | doi=10.1038/362337a0 | issue=6418}}</ref><br />
आज हाथी ज़मीन का सबसे बड़ा जीव है।<ref name="NationalGeographicAfricanElephant">{{cite web|url=http://www3.nationalgeographic.com/animals/mammals/african-elephant.html|title=African Elephant|publisher=National Geographic | accessdate = 16 जून 2007}}</ref>हाथी का [[गर्भ काल]] 22 महीनों का होता है, जो कि ज़मीनी जीवों में सबसे लम्बा है।<ref name="birds.cornell.edu">http://www.birds.cornell.edu/brp/elephant/sections/cyclotis/families/babies.html</ref> जन्म के समय हाथी का बच्चा क़रीब 104 किलो का होता है।<ref name="birds.cornell.edu"/> हाथी अमूमन 50 से 70 वर्ष तक जीवित रहता है, हालाँकि सबसे दीर्घायु हाथी 82 वर्ष का दर्ज किया गया है।<ref>[http://www.animalcorner.co.uk/wildlife/elephants/elephant_about.html Elephants]&nbsp;– Animal Corner</ref> आज तक का दर्ज किया गया सबसे विशाल हाथी सन् [[1955]] ई॰ में [[अंगोला]] में मारा गया था।<ref>{{Cite news| last = Fenykovi| first = Jose| title = The Biggest Elephant Ever Killed By Man| location = USA| page = 7| publisher = CNN| date = June 4, 1956| url = http://sportsillustrated.cnn.com/vault/article/magazine/MAG1069744/7/index.htm| accessdate = <!-----03 अप्रैल 2009----->}}</ref>इस [[नर]] का वज़न लगभग 10,900 किलो था और कन्धे तक की ऊँचाई 3.96 मी॰ थी जो कि एक सामान्य अफ़्रीकी हाथी से लगभग एक मीटर ज़्यादा है।<ref>{{cite web|url=http://www.sandiegozoo.org/animalbytes/t-elephant.html|title=Animal Bytes: Elephant|publisher=San Diego Zoo | accessdate = 16 जून 2007}}</ref> इतिहास के सबसे छोटे हाथी [[यूनान]] के [[क्रीट]] [[द्वीप]] में पाये जाते थे और [[गाय]] के [[बछड़ा|बछड़े]] अथवा [[सूअर]] के आकार के होते थे।<ref>[[डोरोथिआ बेट|बेट, डी.एम.ए.]] 1907. On Elephant Remains from Crete, with Description of ''Elephas creticus'' sp.n. Proc. zool. Soc. London: 238–250.</ref><br />
एशियाई सभ्यताओं में हाथी बुद्धिमत्ता का प्रतीक माना जाता है और अपनी स्मरण शक्ति तथा बुद्धिमानी के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ उनकी बुद्धिमानी [[डॉल्फिन|डॉल्फ़िन]]<ref name=ABCScience>{{cite web| title = Elephants smart as chimps, dolphins| author = Jennifer Viegas| work = ABC Science | year = 2011 | url = http://www.abc.net.au/science/articles/2011/03/08/3158077.htm | accessdate = 8 मार्च 2011 }}</ref><ref>{{cite web| title = Elephants Outwit Humans During Intelligence Test| author = Jennifer Viegas| work = Discovery News | year = 2011 | url = http://news.discovery.com/animals/elephants-intelligence-test-110307.html| accessdate = 19 मार्च 2011 }}</ref><ref name=DolphinGuide>{{cite web| title = What Makes Dolphins So Smart?| work = The Ultimate Guide: Dolphins| year = 1999| url = http://tursiops.org/dolfin/guide/smart.html| accessdate = 30 अक्टूबर 2007 }}</ref><ref name=Friendsoftheelephant>{{cite web| title = Mind, memory and feelings| work = Friends Of The Elephant| url = http://www.elephantfriends.org/mind.html| accessdate = 20 दिसंबर 2007 }}</ref> तथा [[वनमानुष|वनमानुषों]] के बराबर मानी जाती है।<ref name=Hart>{{cite journal| last = Hart| first = B.L.| coauthors = L.A. Hart, M. McCoy, C.R. Sarath| title = Cognitive behaviour in Asian elephants: use and modification of branches for fly switching| journal = Animal Behaviour| volume = 62| issue = 5| pages = 839–847| publisher = Academic Press| month = November | year = 2001| url = http://www.ingentaconnect.com/content/ap/ar/2001/00000062/00000005/art01815| accessdate = 30 अक्टूबर 2007 | doi = 10.1006/anbe.2001.1815 }}</ref><ref name=Scott>{{cite news| last = Scott| first = David| title = Elephants Really Don't Forget| publisher = Daily Express| date = 19 अक्टूबर 2007| url = http://express.lineone.net/posts/view/22474/Elephants-really-don-t-forget| accessdate = 30 अक्टूबर 2007 }}</ref>
पर्यवेक्षण से पता चला है कि हाथी का कोई प्राकृतिक [[परभक्षी]] नहीं होता है,<ref name="Joubert et al.">Joubert D. 2006. Hunting behaviour of lions (''Panthera leo'') on elephants (''Loxodonta africana'') in the Chobe National Park, Botswana. African Journal of Ecology 44:279–281.</ref> हालाँकि [[सिंह]] का समूह शावक या कमज़ोर जीव का शिकार करते देखा गया है।<ref>{{cite journal | doi = 10.1111/j.1469-7998.2006.00181.x | last1 = Loveridge | first1 = A. J. | last2 = Hunt | first2 = J. E. | last3 = Murindagomo | first3 = F. | last4 = Macdonald | first4 = D. W. | year = 2006 | title = Influence of drought on predation of elephant (''Loxodonta africana'') calves by lions (''Panthera leo'') in an African wooded [[savannah]] | url = | journal = Journal of Zoology | volume = 270 | issue = 3| pages = 523–530 }}</ref><ref name="PlanetEarthEpisode7">{{cite episode | title = Great Plains | series = Planet Earth | airdate = November 2006 | number = 7 | serieslink = Planet Earth (TV series) | url = http://www.bbc.co.uk/sn/tvradio/programmes/planetearth/prog_summary.shtml}}</ref> अब यह मनुष्य की दखल तथा [[अवैध शिकार]] के कारण संकट में है।
 
== वर्गीकरण तथा क्रमिक विकास ==
[[अफ़्रीकी हाथी]] [[प्रजाति]] में दो या तीन (विवादित) जीवित [[जाति|जातियाँ]] हैं; जबकि एशियाई हाथी प्रजाति के अंतर्गत केवल एशियाई हाथी ही जीवित जाति है, लेकिन इसे तीन या चार (विवादित) [[उपजाति|उपजातियों]] में विभाजित किया जा सकता है। अफ़्रीकी तथा एशियाई हाथी समान पूर्वज से क़रीब ७६ लाख वर्ष पूर्व विभाजित हो गये थे।<ref>[http://news.bbc.co.uk/2/hi/science/nature/6913934.stm Scientists map elephant evolution]. बीबीसी न्यूज़. जुलाई २४, २००७</ref>
 
=== अफ़्रीकी हाथी ===
{{Main|अफ़्रीकी हाथी|अफ़्रीकी बुश हाथी|अफ़्रीकी जंगली हाथी}}
[[चित्र:Crossing elephant.jpg|thumb|right|हाथी [[केन्या]] में नदी पार करता हुआ]]
[[चित्र:Etosha elefant.jpg|thumb|right|अफ़्रीकी बुश हाथी [[नामीबिया]] के ऍतोशा राष्ट्रीय उद्यान में]]
[[चित्र:Elephant ET.ogv|thumb|जंगली परिवेष में हाथी का वीडियो]]
वे हाथी जो '''लॉक्सोडॉण्टा''' प्रजाति के अंतर्गत आते हैं और सामूहिक रूप से अफ़्रीकी हाथी कहलाते हैं, वर्तमान में ३७ अफ़्रीकी देशों में पाया जाता है।
अफ़्रीकी हाथी, एशियाई हाथी से कई प्रकार से भिन्न होते हैं, जिनमें सबसे स्पष्ट उनके बड़े कान होते हैं।<ref>http://www.sandiegozoo.org/animalbytes/t-elephant.html</ref> अफ़्रीकी हाथी एशियाई हाथी से आकार में बड़े होते हैं और उनकी अवतल पीठ होती है। अफ़्रीकी हाथी में [[नर]] और [[मादा]] दोनों के [[हाथीदांत]] होते हैं और उनकी त्वचा में बाल भी कम होते हैं।<br />
अफ़्रीकी हाथी परंपरागत रूप से एक जाति के अंतर्गत दो उपजातियों में विभाजित किया गया है:-[[सवाना]] का हाथी या अफ़्रीकी बुश हाथी तथा अफ़्रीकी जंगली हाथी, लेकिन हाल के [[डी एन ए]] परीक्षण बताते हैं कि वास्तव में यह दो अलग जातियाँ हो सकती हैं।<ref>{{cite journal
| last =रोका
| first =अल्फ़्रेड एल.
| title =Genetic evidence for two species of elephant in Africa|
|trans-title= हाथी के दो अफ़्रीकी प्रजातियों के जैविक सबूत
| journal =साइंस
| volume =293
| issue =5534
| pages =1473–1477
| publisher =
| date =24 अगस्त 2001
| doi =10.1126/science.1059936
| pmid =11520983
| last2 =जियोर्गियाडिस
| first2 =एन
| last3 =पेकन स्लैट्टरी
| first3 =जे.
| last4 =ओ'ब्राएन
| first4 =एसजे}}
</ref> लेकिन सभी विशेषज्ञों द्वारा यह तर्क मान्य नहीं है।<ref name="African Elephant Specialist Group">{{cite web
| last =अफ़्रिकन एलिफैंट स्पेस्लिश्ट ग्रुप
| title =Statement on the taxonomy of extant Loxodonta
| publisher =आई.यू.सी.एन.
| month =दिसम्बर| year =2003
| url =http://iucn.org/themes/ssc/sgs/afesg/tools/pdfs/pos_genet_en.pdf
| format =PDF
| accessdate = 8 दिसंबर 2006 |archiveurl = http://web.archive.org/web/20070604195600/http://iucn.org/themes/ssc/sgs/afesg/tools/pdfs/pos_genet_en.pdf <!-- Bot retrieved archive --> |archivedate = 4 जून 2007}}</ref> अफ़्रीकी हाथी की एक तीसरी जाति भी प्रस्तावित की गई है जिसे पश्चिमी हाथी (''Western Elephant)'' की संज्ञा दी गई है।<ref>{{cite journal
| last =एग्गर्ट
| first =लोरी एस.
| title =The evolution and phylogeography of the African elephant inferred from mitochondrial DNA sequence and nuclear microsatellite markers
| journal = प्रोसीडिंग्स ऑफ द रोयल सोसाइटी बी: बायोलॉजिकल साइंसेज़
| volume =269
| issue =1504
| pages =1993–2006
| publisher =
| date =7 अक्टूबर 2002
| doi =10.1098/rspb.2002.2070
| id = (Paper) 1471–2954 (Online)
| last2 =रस्नर
| first2 =सेलोर ए.
| last3 =वुडरॉफ
| first3 =डेविड एस.
| pmid =12396498
| pmc =1691127
| issn =0962-8452 }}
</ref><br />
अफ़्रीकी बुश हाथी, अफ़्रीकी जंगली हाथी, एशियाई हाथी, विलुप्त अमरीकी '''मॅस्टोडॉन''' तथा मैमथ के डी॰एन॰ए॰ विश्लेषण करने वाले वैज्ञानिकों सन् [[२०१०]] ई॰ में इस निष्कर्ष में पहुँचे कि यकीनन अफ़्रीकी बुश हाथी तथा अफ़्रीकी जंगली हाथी दो अलग जातियाँ हैं। उन्होंने लिखा : ''{{Quote|text = "We unequivocally establish that the Asian elephant is the sister species to the woolly mammoth. A surprising finding from our study is that the divergence of African savanna and forest elephants—which some have argued to be two populations of the same species—is about as ancient as the divergence of Asian elephants and mammoths. Given their ancient divergence, we conclude that African savanna and forest elephants should be classified as two distinct species"}}''
<ref>{{cite journal
| last =रोह्लैंड
| first =नादिन
| title =Genomic DNA Sequences from Mastodon and Woolly Mammoth Reveal Deep Speciation of Forest and Savanna Elephants
| journal = प्लॉस बायोलॉज़ी
| volume =8
| issue =12
| month =दिसम्बर| year =2010
| doi=10.1371/journal.pbio.1000564
| editor1-last =पेनी
| editor1-first =डेविड
| last2 =रिक
| first2 =डेविड
| last3 =मलिक
| first3 =स्वपन
| last4 =मेऍर
| first4 =मैथिआज़
| last5 =ग्रीन
| first5 =रिचर्ड ई.
| last6 =जियोर्जियाडिस
| first6 =निकोलस जे.
| last7 =रोका
| first7 =अल्फ़्रेड एल.
| last8 =होफरीटर
| first8 =माइकल
| pages =e1000564
| pmid =21203580
| pmc =3006346}}</ref><br />
इस पुनःवर्गीकरण का संरक्षण की दृष्टि से बहुत महत्व है। अभी तक हाथियों को एक ही जाति का मानकर पूरी आबादी का एक साथ ही आंकलन किया जाता था। लेकिन पुनःवर्गीकरण के बाद किसी जाति विशेष के हाथी की आबादी आँक कर यह पता लगाने में सुविधा हो जायेगी कि किस जाति के हाथी को संरक्षण अधिक आवश्यकता है, क्योंकि जिस हाथी की आबादी संकटग्रस्त की परिभाषा की परिधि में आती है उसके संरक्षण के लिए क़ानून और सख़्त करने पड़ेंगे और [[अवैध शिकार|अवैध शिकारियों]] और [[तस्कर|तस्करों]] पर संकटग्रस्त उस जाति के जानवरों या उनके शरीर के अंगों के व्यापार पर रोक लगेगी।<br />
अफ़्रीकी जंगली हाथी तथा अफ़्रीकी बुश हाथी परस्पर प्रजनन कर सकते हैं, हालाँकि जंगल में उनके पृथक परिवेषों को अपनाये जाने के कारण ऐसे मौके कम ही मिलते हैं। किन्तु बन्दी अवस्था में यह बात लागू नहीं होती है। क्योंकि अफ़्रीकी हाथी को हाल ही में दो अलग जातियों का दर्जा मिला है, ऐसा संभव है कि बन्दी हालत के अफ़्रीकी हाथी संकर (hybrid) हों।<br />
दो नई प्रजातियों के वर्गीकरण के अंतर्गत, '''लॉक्सोडॉण्टा ऍफ़्रिकाना''' केवल अफ़्रीकी बुश हाथी या सवाना हाथी को इंगित करता है, जो भू-प्राणियों में सबसे विशाल है। नर कंधे तक ३.२ मी॰ से ४ मी॰ तक का होता है और वज़न में ३,५०० कि॰ से (सूचित) १२,००० कि॰ तक का हो सकता है।<ref>[http://www.webcitation.org/5rbYDMWeK CITES Appendix II ''Loxodonta africana'']&nbsp;– retrieved 4 सितंबर 2008</ref> मादा थोड़ी छोटी होती है और कंधे तक क़रीब ३ मी॰ तक ऊँची होती है।<ref>[http://animaldiversity.ummz.umich.edu/site/accounts/information/Loxodonta_africana.html Animal Diversity Web&nbsp;– ''Loxodonta africana'']&nbsp;– retrieved 4 सितंबर 2008</ref> अमूमन, सवाना हाथी घास के खुले मैदानों, दलदल और झील के किनारे पाये जाते हैं। यह सवाना के पूरे क्षेत्र में पाये जाते है जो कि [[सहारा]] के दक्षिण में है।
दूसरी तथाकथित जाति, अफ़्रीकी जंगली (जंगल का) हाथी '''लॉक्सोडॉण्टा साइक्लॉटिस''' सवाना हाथी से आमतौर पर छोटा और गठीला होता है, तथा उसके हाथीदाँत पतले और कम घुमावदार होते हैं। जंगल के हाथी का वज़न ४,५०० कि॰ तक और कंधे तक की ऊँचाई क़रीब ३ मी॰ हो सकते हैं। अपने सवाना संबन्धियों की तुलना में इनके बारे में बहुत कम जानकारी है क्योंकि पर्यावरण और राजनैतिक कारणों से इसमें बाधा आती है। प्रायः यह मध्य और पश्चिमी अफ़्रीका के घने [[वर्षावन|वर्षावनों]] में रहते हैं, लेकिन कभी-कभी वनों की सीमाओं में भी विचरण करते हैं जिससे उनका आवासीय क्षेत्र सवाना हाथी के क्षेत्र से मिल जाता है जिससे संकरण हो सकता है। सन् [[१९७९]] ई॰ में यह अनुमान लगाया गया कि अफ़्रीकी हाथियों की आबादी १३ लाख की है।
<ref>{{cite book
| last =डगलस हैमिल्टन
| first =आएन
| title =The African Elephant Action Plan
| publisher =
| year =1979
| location =unpublished report}}</ref> यह अनुमान विवादास्पद है और यह मानना है कि यह अध्यागणन है,<!--Please check if this is what the original source says--><ref>{{cite book
| last =पार्कर
| first =इयान
| authorlink =
| coauthors =मोहम्मद अमीन
| title =Ivory Crisis|trans-title= हाथी दांत की कमी
| publisher = कैट्टो एंड विंडस,
| place = लंदन
| year =1983
| page =184
| isbn =0701126337}}</ref> लेकिन इसी तथ्य का व्यापक रूप से उल्लेख किया जाता है और अब यह वस्तुतः आंकलन का आधार बन गया है जिसको ग़लत ढंग से दिखलाकर जाति का निरंतर पतन परिमाणित किया जाता है। सन् [[१९८०]] के दशक में अफ़्रीकी हाथियों कोअथी ने पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया क्योंकि अवैध शिकार के कारण [[पूर्वी अफ़्रीका]] में इनकी आबादी निरंतर घटती चली गई। आई॰यू॰सी॰एन॰ की सन् [[२००७]] ई॰ की रिपोर्ट के मुताबिक,
<ref>{{cite book
| last =ब्लैंक
| first =जेजे
| coauthors =बार्न्स, आर.एफ.डब्ल्यु., क्रेग, जीसी, डब्लिन, एच.टी., थाउलेस, सीआर, डगलस हैमिल्टन, आई., हार्ट, जेऍ,
| title = African Elephant Status Report 2007: An update from the African Elephant Database
| publisher = आई.यू.सी.एन., ग्लैंड एंड कैम्ब्रिज़
| year = 2007
| page =276
| url = http://iucn.org/themes/ssc/sgs/afesg/aed/pdfs/aesr2007.pdf
| isbn = 978-2-8317-0970-3|format=PDF}}{{dead link|date=दिसम्बर 2010}}</ref>
जंगली परिवेष में लगभग ४,७०,००० से ६,९०,००० के बीच में अफ़्रीकी हाथी हैं। हालाँकि यह आंकड़ा भी हाथियों के कुल आवासीय क्षेत्र का लगभग आधा हिस्सा ही समाविष्ट करता है, विशेषज्ञ यह मानते हैं कि असली आंकड़ा इससे अधिक नहीं होगा क्योंकि इसकी संभावना कम है कि इसके अलावा हाथियों की कोई बड़ी आबादी खोजी जायेगी।
<ref name="Blanc 19–28">{{cite journal
| last =Blanc
| first =JJ
| title = Changes in elephant numbers in major savanna populations in eastern and southern Africa
| journal =पैकिडर्म
| volume =38
| issue =38
| pages =19–28
| publisher =IUCN/SSC African Elephant Specialist Group
| date =January–June 2005
| url = http://iucn.org/afesg/pachy/pdfs/pachy38.pdf#page=22
| accessdate = 8 दिसंबर 2006 |archiveurl = http://web.archive.org/web/20070604195559/http://iucn.org/afesg/pachy/pdfs/pachy38.pdf#page=22 <!-- Bot retrieved archive --> |archivedate = 4 जून 2007}}</ref> आजकल इनकी सबसे ज़्यादा आबादी [[दक्षिण अफ़्रीका|दक्षिण]] तथा पूर्वी अफ़्रीका में पाई जाती है जो कुल मिलाकर [[महाद्वीप]] की अधिकांश आबादी है। आई॰यू॰सी॰एन॰ के विशेषज्ञों के अनुसार दक्षिण तथा पूर्वी अफ़्रीका की बड़ी आबादी स्थिर है और [[१९९०]] के दशक के मध्य से प्रति वर्ष औसतन ४.५% की दर से बढ़ती भी जा रही है।<ref name="Blanc 19–28"/><ref>Blanc ''et al.'' 2007, op. cit.</ref><br />
 
दूसरी तरफ़ पश्चिमी [[अफ़्रीका]] में हाथी की आबादी छोटी तथा बँटी हुयी है और महाद्वीप के बहुत छोटे अनुपात को दर्शाती है।
<ref>{{cite book
| last =ब्लैंक
| first =जेजे
| coauthors =Thouless, CR; Hart, JA; Dublin, HT; Douglas-Hamilton, I; Craig, GC; Barnes, RFW
| title = African Elephant Status Report 2002: An update from the African Elephant Database
| publisher = IUCN, Gland and Cambridge
| year = 2003
| page =308
| url = http://iucn.org/themes/ssc/sgs/afesg/aed/pdfs/aesr2002.pdf
| isbn = 2-8317-0707-2 |format=PDF}}{{dead link|date=दिसम्बर 2010}}</ref>
मध्य अफ़्रीका की आबादी के बारे में बहुत अनिश्चित्ता बनी हुयी है, जहाँ जंगलों के कारण आबादी का सर्वेक्षण करना कठिन कार्य है, परन्तु यह ज्ञात है कि वहाँ हाथीदाँत के अवैध शिकार तथा हाथी के मांस के लिए उनका धड़ल्ले से शिकार किया जा रहा है।<ref>{{cite web
| last = ब्लेक
| first =स्टीफन
| title = Central African Forests: Final Report on Population Surveys (2003–2005)
| publisher = CITES MIKE Programme, Nairobi
| year = 2005
| url = http://www.cites.org/common/prog/mike/survey/central_africa_survey03-04.pdf
| format =PDF
| accessdate =8 दिसंबर 2006}}</ref>
दक्षिण अफ़्रीका में हाथी की आबादी दुगुने से ज़्यादा हो गयी है और यह संख्या सन् [[१९९५]] में हाथीदाँत के व्यापार पर पाबन्दी लगाने के बाद ८,००० से बढ़कर २०,००० से अधिक हो गई है<ref>{{cite web|url=http://news.nationalgeographic.com/news/2008/02/080225-AP-south-afric.html |title=South Africa to Allow Elephant Killing |publisher=News.nationalgeographic.com |date=28 अक्टूबर 2010 |accessdate=12 दिसंबर 2010}}</ref> दक्षिण अफ़्रीका (अन्य जगह नहीं) में यह पाबन्दी फरवरी [[२००८]] को हटा दी गई जो पर्यावरण गुटों में विवाद का विषय बन गई है।{{cn|date=अप्रैल 2012}}
 
=== एशियाई हाथी ===
 
{{Main|एशियाई हाथी}}
[[File:Elephant wild Elephant 01.jpg|thumb|एशियाई हाथी - पश्चिमी घाट, मारयूर, केरल में]]
एशियाई हाथी, ''ऍलिफ़स मैक्सिमस'', अफ़्रीकी हाथी से छोटा होता है। इसके कान छोटे होते हैं और अधिकांश रूप से केवल नर में हाथीदाँत पाये जाते हैं।<br />
 
दुनिया भर में एशियाई हाथी की - जिन्हें [[भारतीय हाथी]] भी कहा जाता है - आबादी ६०,००० आंकी गई है जो अफ़्रीकी हाथी का दसवां भाग है। अधिक सटीक यह अनुमान लगाया गया है कि [[एशिया]] में जंगली हाथी क़रीब ३८,००० से ५३,००० हैं तथा पालतू हाथी १४,५०० से लेकर १५,३०० हैं और तक़रीबन १,००० हाथी दुनिया भर के [[चिड़ियाघर|चिड़ियाघरों]] में हैं।<ref>{{cite web | url = http://www.eleaid.com/index.php?page=asianelephantdistribution | title = Asian Elephant distribution | publisher = एली एड| accessdate = मई 2007}}</ref> एशियाई हाथी की आबादी का पतन अफ़्रीकी हाथी की तुलना में धीरे हुआ है और इसके प्रमुख कारण हैं अवैध शिकार तथा मनुष्यों द्वारा उनके क्षेत्रों को हड़प जाना।{{cn|date=अप्रैल 2012}}<br />
 
[[चित्र:Decorated Indian elephant.jpg|thumb|right|[[जयपुर]], [[भारत]] में एक सुसज्जित हाथी]]
[[चित्र:Pinnawala 01.jpg|thumb|left|[[श्री लंका]] में हाथियों का अनाथाश्रम]]
[[चित्र:Exciting Elephant Ride in Jaipur at Amer Fort.webm|left|thumb|जयपुर, भारत में पालतू हाथी पर्यटकों को सवारी कराते हुए]]
एशियाई हाथी की कई उपजातियाँ [[:en:morphometric|मौर्फ़ोमीट्रिक]] तथा मौलिक्यूलर डाटा प्रणालियों द्वारा पहचानी गई हैं। ''ऍलिफ़स मैक्सिमस मैक्सिमस'' (श्री लंकाई हाथी) केवल श्री लंका के द्वीप में पाया जाता है। वह एशियाई हाथियों में सबसे बड़ा है। एक अनुमान के मुताबिक इनकी जंगलों में संख्या ३,००० से ४,५०० तक आंकी गई है, हालाँकि हाल में कोई सर्वेक्षण नहीं हुआ है। बड़े नर हाथी ५,४०० कि॰ के लगभग वज़नी होते हैं तथा कंधे तक ३.४ मी॰ तक ऊँचे होते हैं। नरों के माथे पर बहुत बड़े उभार होते हैं और दोनों लिंगों में अन्य एशियाई हाथियों की तुलना में रंजकता (''pigmentation'') क्षीण होती है। विशेषतयः इनके सूंड़, कान, मुँह तथा पेट में हल्के ग़ुलाबी रंग के चित्ते पड़े होते हैं। पिन्नावाला, श्री लंका में हाथियों का अनाथाश्रम है जो इनको विलुप्त होने से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।<br />
 
''ऍलिफ़स मैक्सिमस इन्डिकस'' ([[भारतीय हाथी]]) एशियाई हाथी की आबादी का बड़ा हिस्सा बनाता है। क़रीब ३६,००० की आबादी वाले ये हाथी हल्के स्लेटी रंग के होते हैं, तथा इनके केवल कानों और सूंड में रंजकता क्षीण होती है। बड़े नर अमूमन ५,००० कि॰ वज़नी होते हैं लेकिन श्री लंकाई हाथी जितने ऊँचे होते हैं। मुख्य भू-भागीय हाथी [[भारत]] से लेकर [[इंडोनेशिया]] तक ११ एशियाई देशों में पाया जाता है। इनको जंगली इलाके परिवर्ती अंचल, जो कि जंगलों और घास के मैदानों के बीच होते हैं, पसन्द हैं क्योंकि वहाँ इनको भोजन में अधिक विविधता मिल जाती है।<br />
''ऍलिफ़स मैक्सिमस सुमात्रेनस'', यह [[सुमात्रा]] का हाथी केवल सुमात्रा ही में पाया जाता है। यह भारतीय हाथी से छोटा होता है। इनकी संख्या २,१०० से ३,००० के बीच आंकी गई है। यह भारतीय हाथी से भी हल्के रंग का होता है और इसकी रंजकता अन्य एशियाई हाथियों की तुलना में कम क्षीण होती है तथा सिर्फ़ कानों पर ग़ुलाबी धब्बे होते हैं। वयस्क सुमात्राई हाथी अमूमन कंधे तक केवल १.७ से २.६ मी॰ ऊँचा होता है तथा वज़न में ३,००० कि॰ से कम होता है। यह अपने एशियाई तथा अफ़्रीकी रिश्तेदारों से काफ़ी छोटा होता है और केवल सुमात्रा द्वीप के उन क्षेत्रों में पाया जाता है जहाँ या तो जंगल हों या पेड़ों की झुरमुट हो।<br />
[[चित्र:भारतीय_नर_हाथी.ogv |thumb|[[जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान]] में नर हाथी]]
सन् २००३ ई॰ में [[बोर्नियो]] [[द्वीप]] में एक अन्य उपजाति पहचानी गई है। इसको बोर्नियो पिग्मी हाथी के नाम से नवाज़ा गया है और अन्य एशियाई हाथियों की तुलना में यह ज़्यादा छोटा और कम आक्रामक होता है। इसके अपेक्षाकृत बड़े कान और पूँछ होते हैं और इसके हाथीदाँत भी अधिक सीधे होते हैं।
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== शारीरिक लक्षण ==
[[एशिया|एशियाई]] हाथी हल्के स्लेटी रंग के होते हैं, तथा इनके केवल कानों और सूंड में रंजकता क्षीण होती है। बड़े नर अमूमन ५,००० कि॰ वज़नी होते हैं लेकिन [[श्रीलंका|श्रीलंकाई]] हाथी जितने ही ऊँचे होते हैं।सुमात्राई हाथी की रंजकता अन्य [[एशिया|एशियाई]] हाथियों की तुलना में कम क्षीण होती है तथा सिर्फ़ कानों पर ग़ुलाबी धब्बे होते हैं।
 
=== सूंड ===
 
[[चित्र:African elephant warning raised trunk.jpg|thumb|हाथी अपनी सूंड या तो चेतावनी देने के लिए या फिर मित्र अथवा शत्रु सूंघने के लिए उठाता है।]]
[[चित्र:Elephant trunk.jpg|thumb|left|हाथी की सूंड के रेखाचित्र]]
[[चित्र:Lightmatter elephanttrunk.jpg|thumb|हाथी अपनी सूंड का इस्तेमाल कई कार्यों के लिए करता है। यहाँ पर हाथी अपनी आँख पोंछते हुए।]]
[[चित्र:Elephas Maximus Eye Closeup cropped.jpg|thumb|[[एशियाई हाथी]] की आँख।]]
सूंड हाथी की नाक और उसके ऊपरी होंठ की संधि है,<ref>http://www.britannica.com/EBchecked/topic/184366/elephant</ref> और लंबी हो जाने के कारण यह हाथी का सबसे महत्वपूर्ण तथा कार्यकुशल अंग बन गई है। अफ़्रीकी हाथियों की सूंड के छोर में दो अँगुलिनुमा उभार होते हैं, जबकि एशियाई हाथियों में केवल एक ही उभार होता है। एक तरफ़ तो हाथी की सूंड इतनी संवेदनशील होती है कि घास का एक तिनका भी उठा लेती है तो दूसरी तरफ़ इतनी मज़बूत भी होती है कि पेड़ की टहनियाँ भी उखाड़ ले।<br />अधिकांश [[शाकाहारी]] पशुओं के दाँतों की संरचना इस प्रकार की होती है कि वह पौधे के विभिन्न भागों को काट-फाड़ सकें। जबकि हाथियों में बीमार और बहुत छोटे बच्चों के अलावा, हाथी पहले अपनी सूंड से खाना फाड़ता है और फिर उस निवाले को अपने मुँह में पहुँचाता है। वह सूंड के द्वारा घास चरता है या फिर ऊपर पेड़ से पत्तियाँ, फल या समूची शाखायें तोड़ लेता है। अगर पेड़ में भोजन उसकी सूंड की पहुँच से भी परे है तो हाथी अपनी सूंड पेड़ के तने या शाखा में लपेटकर ज़ोर से झिंझोड़ता है ताकि फल इत्यादि नीचे टपक जाये या कभी-कभी पूरे का पूरा पेड़ ही उखाड़ देता है।<br />हाथी सूंड का इस्तेमाल पानी पीने के लिए भी करता है। हाथी पहले अपनी सूंड में एक बार में करीब १४ लीटर पानी खींच लेता है और फिर उसे अपने मुँह में उड़ेल देता है। नहाने के लिए भी हाथी इसी विधि का इस्तेमाल करता है। नहाने के बाद अपने गीले शरीर में हाथी सूंड से मिट्टी छिड़क लेता है जो सूखकर उसकी त्वचा के ऊपर पपड़ी का रूप ले लेती है और उसकी तेज़ [[धूप]] तथा [[परजीवी|परजीवियों]] से सुरक्षा करती है। अन्य स्तनपाइयों की तरह — सिवाय इन्सान और [[वनमानुष]] के, जिन्हे सीखना पड़ता है — हाथी भी बहुत अच्छा तैराक होता है।<ref> {{cite web|url= http://www.upali.ch/swim_en.html| title=तैरता हुआ हाथी|accessdate=६ जुलाई २०१२}} </ref> तैरते समय हाथी अपनी सूंड का इस्तेमाल [[:en:Snorkel (swimming)|स्नॉरकॅल]] की तरह करता है।<ref name = "qvhxbt">{{Cite journal
| last = West
| first = John B.
| author-link = <!--http://physiology.ucsd.edu/faculty/jwest/fullCV.html-->
| title = Snorkel breathing in the elephant explains the unique anatomy of its pleura
| journal = Respiratory Physiology
| volume = 126
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| pages = 1–8
| year = 2001
| url = http://www.sciencedirect.com/science?_ob=MImg&_imagekey=B6T3J-42SPN0Y-1-7&_cdi=4948&_user=10&_orig=search&_coverdate=5%2F31%2F2001&_sk=998739998&view=c&wchp=dGLzVlz-zSkzV&md5=47a1f5f9745e29f15d73a7f73c376a41&ie=/sdarticle.pdf
| doi = 10.1016/S0034-5687(01)00203-1
| pmid=11311306}}</ref><ref name = "pkxbpv">{{Cite journal
| last = West
| first = John B.
| author-link = <!--http://physiology.ucsd.edu/faculty/jwest/fullCV.html-->
| last2 = Fu
| first2 = Zhenxing
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| first3 = Ann P.
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| title = हाथी के भ्रूण में फेफड़े का विकास वयस्क होने पर उसकी सूंड को स्नॉरकॅलिंग के लिए विकास को दर्शाता है
| journal = Respiratory Physiology & Neurobiology
| volume = 138
| issue = 2–3
| pages = 325–333
| date = 14 नवंबर 2003
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| doi = 10.1016/S1569-9048(03)00199-X|accessdate= }}</ref><br />सूंड हाथी के सामाजिक कार्यकलापों के ऊपर भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। संबन्धी अपनी सूंडें एक दूसरे से लपेटकर अभिवादन करेंगे, जैसा मनुष्य हाथ मिलाकर करते हैं। इसका इस्तेमाल वह खेल करते हुए कुश्ती में, मिलन से पहले, माँ तथा बच्चे के सम्बन्ध में तथा अन्य कार्यकलापों में भी करते हैं। उठी हुयी सूंड चेतावनी या धमकी हो सकती है जबकि सिर नीचे करके झुकी हुयी सूंड समर्पण का संकेत हो सकती है। दुश्मन को हाथी अपनी सूंड से लपेटकर फेंक सकता है।<br />हाथी की सूंड में मनुष्य से कई गुणा अधिक घ्राण शक्ति होती है और वह अपनी सूंड ऊपर उठाकर तथा दाहिने बायें समुद्री दूरबीन ([[:en:periscope|पॅरिस्कोप]]) की तरह लहराकर अपने खाद्य स्रोत, मित्र तथा शत्रु का पता लगा लेता है।
 
=== हाथी दाँत ===
हाथी के हाथीदाँत उसके दूसरी ऊपरी [[दाँत (मानव के)|छेदक]] दाँत होते हैं। हाथीदाँत हाथी के जीवनकाल में निरन्तर बढ़ते रहते हैं। एक वयस्क नर के हाथीदाँत लगभग एक वर्ष में १८ से॰मी॰ की दर से बढ़ते रहते हैं। हाथीदाँत पानी, लवण तथा मूल खोदने के काम आते हैं। इसके अलावा पेड़ों की छाल छीलने और अपने लिए रास्ता तैयार करने में भी हाथीदाँत का बड़ा योगदान होता है। इसके अलावा हाथीदाँत अपनी परिधि जताने के लिए पेड़ों में निशानदेही के लिए तथा कभी कभार अस्त्र-शस्त्र के लिए भी इस्तेमाल में लाए जाते हैं।<br />
जैसे मनुष्य दायाँ या बायाँ हाथ का इस्तेमाल करने वाला होता है, उसी प्रकार हाथी भी आमतौर पर दायाँ या बायाँ हाथीदाँत इस्तेमाल करता है। मुख्य हाथीदाँत अमूमन थोड़ा छोटा होता है और उसके छोर कुछ गोल होते हैं क्योंकि उस हाथीदाँत का ज़्यादा इस्तेमाल हुआ होता है। नर और मादा अफ़्रीकी हाथी के लम्बे हाथीदाँत होते हैं जो वयस्क अवस्था में ३ मी॰ तक लम्बे और ४५ कि॰ तक वज़नी हो सकते हैं। एशियाई हाथियों में सिर्फ़ नर के लम्बे हाथीदाँत होते हैं। मादा के बहुत छोटे या अमूमन नहीं होते हैं। एशियाई नर के अफ़्रीकी नर जितने लम्बे हाथीदाँत हो सकते हैं लेकिन वह बहुत पतले और हल्के होते हैं। आज तक सबसे वज़नी ३९ कि॰ का आंका गया है। हाथीदाँत में नक्काशी सरलतापूर्वक हो जाती है अतः कलाकारों ने इसे महत्ता दी जिसके कारण भारी संख्या में विश्व में हाथियों का विनाश हुआ।
 
=== दाँत ===
अन्य स्तनपाइयों की तुलना में हाथी के दाँतों की रचना बिल्कुल अलग होती है। पूरी उम्र भर उनके २८ दाँत होते हैं। यह हैं:–
* दो ऊपरी द्वितीय छेदक: यही हाथीदाँत कहलाते हैं।
* हाथीदाँत से पूर्व विकसित दूध के दाँत।
* १२ [[दाँत (मानव के)#प्रकार|अग्रचर्वणक]], जबड़े के हर तरफ़ तीन।
* १२ [[दाँत (मानव के)#प्रकार|चर्वणक]], जबड़े के हर तरफ़ तीन।
[[चित्र:Elephant.tooth.replica.1.jpg|thumb|right|एशियाई हाथी के चर्वणक दाँत का प्रतिरूप]]
अन्य स्तनपाइयों के विपरीत, जिनके दूध के दाँत झड़ने के बाद स्थाई दाँत आ जाते हैं, हाथी के दाँत निरन्तर बदली होते रहते हैं। लगभग एक वर्ष की आयु में हाथीदाँत के अग्रगामी दूध के दाँत झड़ जाते हैं और हाथीदाँत उगने लग जाते हैं। किन्तु चबाने वाले दाँत (अग्रचर्वणक तथा चर्वणक) एक हाथी की आयु में क़रीब पाँच बार<ref>{{cite web |url = http://www.indyzoo.com/content.aspx?cid=302 |title = Elephant Anatomy |accessdate = २०१२-०७-०९ |publisher = [[Indianapolis Zoo]] |archiveurl = http://web.archive.org/web/20070503205357/http://www.indyzoo.com/content.aspx?cid=302 |archivedate = 3 मई 2007}}</ref> या बहुत विरले ही छः बार<ref>Moss:245</ref>बदली होते हैं।<br />
एक बार में केवल चार चबाने वाले दाँत (अग्रचर्वणक तथा/अथवा चर्वणक), एक-एक दोनों जबड़ों के दोनों तरफ़, प्रयोग में लाये जाते हैं (या केवल दो क्योंकि जबड़े के हर हिस्से में दूसरा दाँत पहले को बदली कर रहा होता है)। मानव दाँतों के विपरीत पक्के दाँत दूध के दाँतों को ऊपर की तरफ़ से नहीं धकेलते हैं। वरन् नये दाँत मुख के पिछले भाग में उगते हैं तथा पुराने दाँतों को आगे की तरफ़ धकेलते हैं जहाँ पुराने दाँत टूट-टूट कर गिर जाते हैं। अफ़्रीकी हाथियों में जन्म से ही चबाने वाले दाँतों का पहला समूह (सॅट) (अग्रचर्वणक) मौजूद होता है। जब शावक दो वर्ष का होता है तो दोनों जबड़ों के दोनों तरफ़ का पहला चबाने वाला दाँत गिर जाता है। यही प्रक्रिया दूसरे चबाने वाले दाँतों के समूह के साथ छः वर्ष की आयु में होती है। १३ से १५ वर्ष की आयु तक तीसरा दाँतों का समूह भी जाता रहता है, तथा चौथा समूह २८ वर्ष की आयु में झड़ जाता है। पाँचवा समूह हाथी की ४० वर्ष की आयु तक चलता है। कदाचित छठा समूह हाथी के जीवन के अन्त तक चलता है। यदि हाथी ६० वर्ष की आयु से अधिक जीवित रह जाता है तो चर्वणक का आख़िरी समूह भी घिस-घिस कर ठूंठ भर रह जाता है तथा हाथी भली भांति खा भी नहीं सकता है।<ref>Moss:245, 258, 267, 268</ref>
 
=== त्वचा ===
 
[[चित्र:Elephant bathing-001.ogv|thumb|अफ़्रीकी हाथी नहाते हुये]]
हाथियों को बोलचाल की भाषा में हाथी (अपने मूल वैज्ञानिक वर्गीकरण से) कहा जाता है, जिसका अर्थ मोटी चमड़ी के जानवरों से है। एक हाथी कि त्वचा २.५ सेंटीमीटर तक मोटी होती है। इसके शरीर का अधिकांश भाग अत्यंत कठोर होता है। हालाँकि, मुंह और कान के भीतर के चारों ओर त्वचा काफ़ी पतली होती है। आम तौर पर, एक एशियाई हाथी की त्वचा में अपने अफ्रीकी रिश्तेदार से अधिक बाल होते हैं। युवा हाथी में यह फ़र्क अधिक नज़र आता है। एशियाई शावकों की त्वचा अमूमन कत्थई रंग के बालों से ढकी रहती है। उम्र के साथ बाल गाढ़े रंग के होने के साथ-साथ कम होने लगते हैं लेकिन उसके सिर और पूँछ में वह सदा रहते हैं।<br />
हाथी यों तो स्लेटी रंग के होते हैं, लेकिन अफ़्रीकी हाथी अलग-अलग रंग की मिट्टी में लोटकर लाल या भूरे रंग के प्रतीत होते हैं। गीली मिट्टी में लोटना हाथी समाज की दिनचर्या का एक अभिन्न अंग होता है। न केवल लोटना सामाजिकरण के लिए अहम है बल्कि मिट्टी धूपरोधक का काम भी करती है और उसकी त्वचा को पराबैंगनी किरणों से बचाती है। हाथी की त्वचा कठोर होने के बावजूद संवेदनशील होती है। यदि वह नियमित रूप से मिट्टी का स्नान न करे तो उसकी त्वचा को जलने से, कीटदंश से और नमी निकल जाने से काफ़ी नुक़सान हो सकता है।
मिट्टी में लोटने से त्वचा को हाथी के शरीर का तापमान नियंत्रित करने में मदद मिलती है। हाथी को अपनी त्वचा से शरीर की गर्मी निकालने में मुश्किल होती है, क्योंकि शरीर के अनुपात में त्वचा बहुत कम होती है। हाथी के वज़न और उसकी त्वचा के सतही क्षेत्रफल का अनुपात मनुष्य की तुलना में बहुत अधिक होता है। हाथियों को अपनी टाँग उठाकर पैर के तालुओं को हवा देकर संभवतः ठण्डा रखने की कोशिश करते देखा गया है।
 
=== पैर ===
[[चित्र:Asian elephant eating02 - melbourne zoo.jpg|thumb|right|हाथी तरबूज़ को खाने से पहले अपने पैरों से कुचलता हुआ]]
[[चित्र:Elephant's toenail at Monmouth Museum.JPG|thumb|left|संग्रहालय में रखा हाथी के पैर का नाखून]]
हाथी के पैरों कि बनावट मोटे स्तंभों या खंभों के समान होती है। हाथी को अपनी सीधी टाँगों और बड़े गद्देदार पैरों की वजह से खड़े रहने में मांसपेशियों से कम शक्ति की आवश्यकता होती है। इसी कारण, हाथी बिना थके बहुत लंबे समय तक खड़े रह सकते हैं। वास्तव में, अफ़्रीकी हाथियों को शायद ही कभी लेटे हुए देखा जाता हो, सामान्यत: वे बीमार या घायल होने पर ही लेटते है। इसके विपरीत एशियाई हाथी अक्सर लेटना पसन्द करते हैं।
हाथी के पैर लगभग गोल होते हैं। अफ़्रीकी हाथियों के प्रत्येक पिछले पैर पर तीन नाखून और प्रत्येक सामने के पैर पर चार नाखून होते हैं। भारतीय हाथियों के प्रत्येक पिछले पैर पर चार नाखून और प्रत्येक सामने के पैर पर पाँच नाखून होते हैं। पैर की हड्डियों के नीचे एक कड़ा, श्लेषी पदार्थ होता है जो एक गद्दे या शॉकर के रूप में कार्य करता है। हाथी के वज़न से पैर फूल जाता है, लेकिन वज़न हट जाने से यह पहले जैसा हो जाता है। इसी कारण से गीली मिट्टी में गहरा धँस जाने के बावजूद हाथी अपनी टांगों को आसानी से बाहर खींच लेता है।
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=== कान ===
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== जीवविज्ञान और व्यवहार ==
{{अनुभाग विस्तार}}
<!--
=== विकास ===
=== सामाजिक व्यवहार ===
 
=== संभोग ===
 
=== प्रज्ञता ===
=== चेतना ===
=== आत्म जागरूकता ===
=== संप्रषण ===
=== आहार ===
-->
 
== निद्रा दिन में 2 से 4 घंटे ==
=== पुनरुत्पत्ति और जीवन चक्र ===
==== हाथी के बछड़े ====
==== पर्यावरण का प्रभाव ====
 
== संकट ==
=== शिकार ===
=== निवास का नष्ट ===
=== राष्ट्रीय उद्यान ===
 
=== उर्वरक ===
 
== सन्दर्भ ==
{{reflist|3}}
 
==इन्हें भी देखें==
*[[एलिफैन्टिडी]]
*[[प्रोबोसीडिया]]
 
== अन्य जानकारी ==
* {{Cite journal | doi = 10.1016/S1055-7903(02)00292-0 | author = Debruyne, R., Barriel, V., & Tassy, P. | year = 2003 | title = Mitochondrial cytochrome b of the lyakhov mammoth (proboscidea, mammalia): New data and phylogenetic analyses of elephantidae | url = | journal = Molecular Phylogenetics and Evolution | volume = 26 | issue = 3 | pages = 421–434 | pmid = 12644401 }}
* {{MSW3 Shoshani|pages=90–91}}
* [[s:The Blindmen and the Elephant|Wikisource: "The Blindmen and the Elephant"]] by [[John Godfrey Saxe]]
* {{cite book | last=Williams | first=Heathcote |authorlink=Heathcote Williams | title=Sacred Elephant | location=New York | publisher=Harmony Books | year=1989 | isbn=0-517-57320-2}}
*[https://sa.wikipedia.org/s/4ld गजः] (संस्कृत)
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
{{Sister project links |wikt=elephant |commons=Category:Elephants |b=Dichotomous Key/Proboscidea |n=no |q=Elephants |s=Elephant |v=no |species=Proboscidea }}
* [http://www.elephantvoices.org/ ElephantVoices] - information about elephant communication
<!-- [might be used as source, but not as external link] * C. Johnson, [http://www.abc.net.au/science/news/stories/s24742.htm "Elephant trunks were once snorkels"], ''News in Science'' 1999-05-11 -->
{{commons|elephant}}
{{Proboscidea}}
 
[[श्रेणी:हाथी]]
[[श्रेणी:जीव]]
puller-rice.blogspot.com [छुपाएँ] Emoji u1f42f.svg             अभी प्रोजेक्ट टाइगर लेख प्रतियोगिता जारी है। इसमें प्रतिभागी बनें। पूर्वनिर्धारित विषयों में से लेख बनाएं और पुरस्कार जीतें। समय अवधि: 10 अक्टूबर 2019 से 10 जनवरी 2020 तक Wikipedia-logo-v2-hi.svg बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से Jump to navigationJump to search बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  सामयिक शृंखला: Pliocene–Recent (130 से 20 लाख वर्ष पहले) PreЄ ЄOSDCPTJKPgN अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट            अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  और एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  वैज्ञानिक वर्गीकरण जगत: पशु संघ:       रज्जुकी उपसंघ:  कशेरुकी जन्तु वर्ग:      स्तनपायी गण:  प्रोबोसीडिया अर्थात कुल:       एलिफैन्टिडी (बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  परिवार) ग्रे, 1821 अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  का कंकाल बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट जमीन पर रहने वाला एक विशाल आकार का प्राणी है। यह जमीन पर रहने वाला सबसे विशाल स्तनपायी है। यह एलिफैन्टिडी कुल और प्रोबोसीडिया गण का प्राणी है। आज एलिफैन्टिडी कुल में केवल दो प्रजातियाँ जीवित हैं: ऍलिफ़स तथा लॉक्सोडॉण्टा। तीसरी प्रजाति मैमथ विलुप्त हो चुकी है।[1]जीवित दो प्रजातियों की तीन जातियाँ पहचानी जाती हैं:- लॉक्सोडॉण्टा प्रजाति की दो जातियाँ - अफ़्रीकी खुले मैदानों का बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  (अन्य नाम: बुश या सवाना बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट ) तथा (अफ़्रीकी जंगलों का बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  ) - और ऍलिफ़स जाति का भारतीय या एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट ।[2]हालाँकि कुछ शोधकर्ता दोनों अफ़्रीकी जातियों को एक ही मानते हैं,[3]अन्य मानते हैं कि पश्चिमी अफ़्रीका का बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  चौथी जाति है।[4]ऍलिफ़ॅन्टिडी की बाकी सारी जातियाँ और प्रजातियाँ विलुप्त हो गई हैं। अधिकतम तो पिछले हिमयुग में ही विलुप्त हो गई थीं, हालाँकि मैमथ का बौना स्वरूप सन् 2000 ई.पू. तक जीवित रहा।[5] आज बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  ज़मीन का सबसे बड़ा जीव है।[6]बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  का गर्भ काल 22 महीनों का होता है, जो कि ज़मीनी जीवों में सबसे लम्बा है।[7] जन्म के समय बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  का बच्चा क़रीब 104 किलो का होता है।[7] बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  अमूमन 50 से 70 वर्ष तक जीवित रहता है, हालाँकि सबसे दीर्घायु बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  82 वर्ष का दर्ज किया गया है।[8] आज तक का दर्ज किया गया सबसे विशाल बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  सन् 1955 ई॰ में अंगोला में मारा गया था।[9]इस नर का वज़न लगभग 10,900 किलो था और कन्धे तक की ऊँचाई 3.96 मी॰ थी जो कि एक सामान्य अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  से लगभग एक मीटर ज़्यादा है।[10] इतिहास के सबसे छोटे बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  यूनान के क्रीट द्वीप में पाये जाते थे और गाय के बछड़े अथवा सूअर के आकार के होते थे।[11] एशियाई सभ्यताओं में बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  बुद्धिमत्ता का प्रतीक माना जाता है और अपनी स्मरण शक्ति तथा बुद्धिमानी के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ उनकी बुद्धिमानी डॉल्फ़िन[12][13][14][15] तथा वनमानुषों के बराबर मानी जाती है।[16][17] पर्यवेक्षण से पता चला है कि बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  का कोई प्राकृतिक परभक्षी नहीं होता है,[18] हालाँकि सिंह का समूह शावक या कमज़ोर जीव का शिकार करते देखा गया है।[19][20] अब यह मनुष्य की दखल तथा अवैध शिकार के कारण संकट में है। अनुक्रम 1     वर्गीकरण तथा क्रमिक विकास 1.1                अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  1.2      एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  2        शारीरिक लक्षण 2.1                सूंड 2.2  बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत 2.3            दाँत 2.4 त्वचा 2.5               पैर 2.6   कान 3    जीवविज्ञान और व्यवहार 4              निद्रा दिन में 2 से 4 घंटे 4.1          पुनरुत्पत्ति और जीवन चक्र 4.1.1     बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  के बछड़े 4.1.2      पर्यावरण का प्रभाव 5          संकट 5.1              शिकार 5.2             निवास का नष्ट 5.3            राष्ट्रीय उद्यान 5.4              उर्वरक 6                सन्दर्भ 7                इन्हें भी देखें 8     अन्य जानकारी 9  बाहरी कड़ियाँ वर्गीकरण तथा क्रमिक विकास अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  प्रजाति में दो या तीन (विवादित) जीवित जातियाँ हैं; जबकि एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  प्रजाति के अंतर्गत केवल एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  ही जीवित जाति है, लेकिन इसे तीन या चार (विवादित) उपजातियों में विभाजित किया जा सकता है। अफ़्रीकी तथा एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  समान पूर्वज से क़रीब ७६ लाख वर्ष पूर्व विभाजित हो गये थे।[21] अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  मुख्य लेख: अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट , अफ़्रीकी बुश बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट , और अफ़्रीकी जंगली बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  केन्या में नदी पार करता हुआ अफ़्रीकी बुश बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  नामीबिया के ऍतोशा राष्ट्रीय उद्यान में चित्र:Elephant ET.ogv जंगली परिवेष में बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  का वीडियो वे बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  जो लॉक्सोडॉण्टा प्रजाति के अंतर्गत आते हैं और सामूहिक रूप से अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  कहलाते हैं, वर्तमान में ३७ अफ़्रीकी देशों में पाया जाता है। अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट , एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  से कई प्रकार से भिन्न होते हैं, जिनमें सबसे स्पष्ट उनके बड़े कान होते हैं।[22] अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  से आकार में बड़े होते हैं और उनकी अवतल पीठ होती है। अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  में नर और मादा दोनों के बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दांत होते हैं और उनकी त्वचा में बाल भी कम होते हैं। अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  परंपरागत रूप से एक जाति के अंतर्गत दो उपजातियों में विभाजित किया गया है:-सवाना का बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  या अफ़्रीकी बुश बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  तथा अफ़्रीकी जंगली बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट , लेकिन हाल के डी एन ए परीक्षण बताते हैं कि वास्तव में यह दो अलग जातियाँ हो सकती हैं।[23] लेकिन सभी विशेषज्ञों द्वारा यह तर्क मान्य नहीं है।[3] अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  की एक तीसरी जाति भी प्रस्तावित की गई है जिसे पश्चिमी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  (Western Elephant) की संज्ञा दी गई है।[24] अफ़्रीकी बुश बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट , अफ़्रीकी जंगली बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट , एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट , विलुप्त अमरीकी मॅस्टोडॉन तथा मैमथ के डी॰एन॰ए॰ विश्लेषण करने वाले वैज्ञानिकों सन् २०१० ई॰ में इस निष्कर्ष में पहुँचे कि यकीनन अफ़्रीकी बुश बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  तथा अफ़्रीकी जंगली बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  दो अलग जातियाँ हैं। उन्होंने लिखा : "We unequivocally establish that the Asian elephant is the sister species to the woolly mammoth. A surprising finding from our study is that the divergence of African savanna and forest elephants—which some have argued to be two populations of the same species—is about as ancient as the divergence of Asian elephants and mammoths. Given their ancient divergence, we conclude that African savanna and forest elephants should be classified as two distinct species" [25] इस पुनःवर्गीकरण का संरक्षण की दृष्टि से बहुत महत्व है। अभी तक हाथियों को एक ही जाति का मानकर पूरी आबादी का एक साथ ही आंकलन किया जाता था। लेकिन पुनःवर्गीकरण के बाद किसी जाति विशेष के बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  की आबादी आँक कर यह पता लगाने में सुविधा हो जायेगी कि किस जाति के बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  को संरक्षण अधिक आवश्यकता है, क्योंकि जिस बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  की आबादी संकटग्रस्त की परिभाषा की परिधि में आती है उसके संरक्षण के लिए क़ानून और सख़्त करने पड़ेंगे और अवैध शिकारियों और तस्करों पर संकटग्रस्त उस जाति के जानवरों या उनके शरीर के अंगों के व्यापार पर रोक लगेगी। अफ़्रीकी जंगली बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  तथा अफ़्रीकी बुश बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  परस्पर प्रजनन कर सकते हैं, हालाँकि जंगल में उनके पृथक परिवेषों को अपनाये जाने के कारण ऐसे मौके कम ही मिलते हैं। किन्तु बन्दी अवस्था में यह बात लागू नहीं होती है। क्योंकि अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  को हाल ही में दो अलग जातियों का दर्जा मिला है, ऐसा संभव है कि बन्दी हालत के अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  संकर (hybrid) हों। दो नई प्रजातियों के वर्गीकरण के अंतर्गत, लॉक्सोडॉण्टा ऍफ़्रिकाना केवल अफ़्रीकी बुश बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  या सवाना बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट को इंगित करता है, जो भू-प्राणियों में सबसे विशाल है। नर कंधे तक ३.२ मी॰ से ४ मी॰ तक का होता है और वज़न में ३,५०० कि॰ से (सूचित) १२,००० कि॰ तक का हो सकता है।[26] मादा थोड़ी छोटी होती है और कंधे तक क़रीब ३ मी॰ तक ऊँची होती है।[27] अमूमन, सवाना बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  घास के खुले मैदानों, दलदल और झील के किनारे पाये जाते हैं। यह सवाना के पूरे क्षेत्र में पाये जाते है जो कि सहारा के दक्षिण में है। दूसरी तथाकथित जाति, अफ़्रीकी जंगली (जंगल का) बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  लॉक्सोडॉण्टा साइक्लॉटिस सवाना बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  से आमतौर पर छोटा और गठीला होता है, तथा उसके बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत पतले और कम घुमावदार होते हैं। जंगल के बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  का वज़न ४,५०० कि॰ तक और कंधे तक की ऊँचाई क़रीब ३ मी॰ हो सकते हैं। अपने सवाना संबन्धियों की तुलना में इनके बारे में बहुत कम जानकारी है क्योंकि पर्यावरण और राजनैतिक कारणों से इसमें बाधा आती है। प्रायः यह मध्य और पश्चिमी अफ़्रीका के घने वर्षावनों में रहते हैं, लेकिन कभी-कभी वनों की सीमाओं में भी विचरण करते हैं जिससे उनका आवासीय क्षेत्र सवाना बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  के क्षेत्र से मिल जाता है जिससे संकरण हो सकता है। सन् १९७९ ई॰ में यह अनुमान लगाया गया कि अफ़्रीकी हाथियों की आबादी १३ लाख की है। [28] यह अनुमान विवादास्पद है और यह मानना है कि यह अध्यागणन है,[29] लेकिन इसी तथ्य का व्यापक रूप से उल्लेख किया जाता है और अब यह वस्तुतः आंकलन का आधार बन गया है जिसको ग़लत ढंग से दिखलाकर जाति का निरंतर पतन परिमाणित किया जाता है। सन् १९८० के दशक में अफ़्रीकी हाथियों कोअथी ने पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया क्योंकि अवैध शिकार के कारण पूर्वी अफ़्रीका में इनकी आबादी निरंतर घटती चली गई। आई॰यू॰सी॰एन॰ की सन् २००७ ई॰ की रिपोर्ट के मुताबिक, [30] जंगली परिवेष में लगभग ४,७०,००० से ६,९०,००० के बीच में अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  हैं। हालाँकि यह आंकड़ा भी हाथियों के कुल आवासीय क्षेत्र का लगभग आधा हिस्सा ही समाविष्ट करता है, विशेषज्ञ यह मानते हैं कि असली आंकड़ा इससे अधिक नहीं होगा क्योंकि इसकी संभावना कम है कि इसके अलावा हाथियों की कोई बड़ी आबादी खोजी जायेगी। [31] आजकल इनकी सबसे ज़्यादा आबादी दक्षिण तथा पूर्वी अफ़्रीका में पाई जाती है जो कुल मिलाकर महाद्वीप की अधिकांश आबादी है। आई॰यू॰सी॰एन॰ के विशेषज्ञों के अनुसार दक्षिण तथा पूर्वी अफ़्रीका की बड़ी आबादी स्थिर है और १९९० के दशक के मध्य से प्रति वर्ष औसतन ४.५% की दर से बढ़ती भी जा रही है।[31][32] दूसरी तरफ़ पश्चिमी अफ़्रीका में बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  की आबादी छोटी तथा बँटी हुयी है और महाद्वीप के बहुत छोटे अनुपात को दर्शाती है। [33] मध्य अफ़्रीका की आबादी के बारे में बहुत अनिश्चित्ता बनी हुयी है, जहाँ जंगलों के कारण आबादी का सर्वेक्षण करना कठिन कार्य है, परन्तु यह ज्ञात है कि वहाँ बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत के अवैध शिकार तथा बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  के मांस के लिए उनका धड़ल्ले से शिकार किया जा रहा है।[34] दक्षिण अफ़्रीका में बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  की आबादी दुगुने से ज़्यादा हो गयी है और यह संख्या सन् १९९५ में बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत के व्यापार पर पाबन्दी लगाने के बाद ८,००० से बढ़कर २०,००० से अधिक हो गई है[35] दक्षिण अफ़्रीका (अन्य जगह नहीं) में यह पाबन्दी फरवरी २००८ को हटा दी गई जो पर्यावरण गुटों में विवाद का विषय बन गई है।[कृपया उद्धरण जोड़ें] एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  मुख्य लेख: एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  - पश्चिमी घाट, मारयूर, केरल में एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट , ऍलिफ़स मैक्सिमस, अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  से छोटा होता है। इसके कान छोटे होते हैं और अधिकांश रूप से केवल नर में बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत पाये जाते हैं। दुनिया भर में एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  की - जिन्हें भारतीय बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  भी कहा जाता है - आबादी ६०,००० आंकी गई है जो अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  का दसवां भाग है। अधिक सटीक यह अनुमान लगाया गया है कि एशिया में जंगली बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  क़रीब ३८,००० से ५३,००० हैं तथा पालतू बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  १४,५०० से लेकर १५,३०० हैं और तक़रीबन १,००० बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  दुनिया भर के चिड़ियाघरों में हैं।[36] एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  की आबादी का पतन अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  की तुलना में धीरे हुआ है और इसके प्रमुख कारण हैं अवैध शिकार तथा मनुष्यों द्वारा उनके क्षेत्रों को हड़प जाना।[कृपया उद्धरण जोड़ें] जयपुर, भारत में एक सुसज्जित बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  श्री लंका में हाथियों का अनाथाश्रम चित्र:Exciting Elephant Ride in Jaipur at Amer Fort.webm जयपुर, भारत में पालतू बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  पर्यटकों को सवारी कराते हुए एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  की कई उपजातियाँ मौर्फ़ोमीट्रिक तथा मौलिक्यूलर डाटा प्रणालियों द्वारा पहचानी गई हैं। ऍलिफ़स मैक्सिमस मैक्सिमस (श्री लंकाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट ) केवल श्री लंका के द्वीप में पाया जाता है। वह एशियाई हाथियों में सबसे बड़ा है। एक अनुमान के मुताबिक इनकी जंगलों में संख्या ३,००० से ४,५०० तक आंकी गई है, हालाँकि हाल में कोई सर्वेक्षण नहीं हुआ है। बड़े नर बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  ५,४०० कि॰ के लगभग वज़नी होते हैं तथा कंधे तक ३.४ मी॰ तक ऊँचे होते हैं। नरों के माथे पर बहुत बड़े उभार होते हैं और दोनों लिंगों में अन्य एशियाई हाथियों की तुलना में रंजकता (pigmentation) क्षीण होती है। विशेषतयः इनके सूंड़, कान, मुँह तथा पेट में हल्के ग़ुलाबी रंग के चित्ते पड़े होते हैं। पिन्नावाला, श्री लंका में हाथियों का अनाथाश्रम है जो इनको विलुप्त होने से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ऍलिफ़स मैक्सिमस इन्डिकस (भारतीय बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट ) एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  की आबादी का बड़ा हिस्सा बनाता है। क़रीब ३६,००० की आबादी वाले ये बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  हल्के स्लेटी रंग के होते हैं, तथा इनके केवल कानों और सूंड में रंजकता क्षीण होती है। बड़े नर अमूमन ५,००० कि॰ वज़नी होते हैं लेकिन श्री लंकाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  जितने ऊँचे होते हैं। मुख्य भू-भागीय बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  भारत से लेकर इंडोनेशिया तक ११ एशियाई देशों में पाया जाता है। इनको जंगली इलाके परिवर्ती अंचल, जो कि जंगलों और घास के मैदानों के बीच होते हैं, पसन्द हैं क्योंकि वहाँ इनको भोजन में अधिक विविधता मिल जाती है। ऍलिफ़स मैक्सिमस सुमात्रेनस, यह सुमात्रा का बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  केवल सुमात्रा ही में पाया जाता है। यह भारतीय बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  से छोटा होता है। इनकी संख्या २,१०० से ३,००० के बीच आंकी गई है। यह भारतीय बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  से भी हल्के रंग का होता है और इसकी रंजकता अन्य एशियाई हाथियों की तुलना में कम क्षीण होती है तथा सिर्फ़ कानों पर ग़ुलाबी धब्बे होते हैं। वयस्क सुमात्राई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  अमूमन कंधे तक केवल १.७ से २.६ मी॰ ऊँचा होता है तथा वज़न में ३,००० कि॰ से कम होता है। यह अपने एशियाई तथा अफ़्रीकी रिश्तेदारों से काफ़ी छोटा होता है और केवल सुमात्रा द्वीप के उन क्षेत्रों में पाया जाता है जहाँ या तो जंगल हों या पेड़ों की झुरमुट हो। चित्र:भारतीय नर बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट .ogv जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में नर बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  सन् २००३ ई॰ में बोर्नियो द्वीप में एक अन्य उपजाति पहचानी गई है। इसको बोर्नियो पिग्मी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट के नाम से नवाज़ा गया है और अन्य एशियाई हाथियों की तुलना में यह ज़्यादा छोटा और कम आक्रामक होता है। इसके अपेक्षाकृत बड़े कान और पूँछ होते हैं और इसके बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत भी अधिक सीधे होते हैं। शारीरिक लक्षण एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  हल्के स्लेटी रंग के होते हैं, तथा इनके केवल कानों और सूंड में रंजकता क्षीण होती है। बड़े नर अमूमन ५,००० कि॰ वज़नी होते हैं लेकिन श्रीलंकाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  जितने ही ऊँचे होते हैं।सुमात्राई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  की रंजकता अन्य एशियाई हाथियों की तुलना में कम क्षीण होती है तथा सिर्फ़ कानों पर ग़ुलाबी धब्बे होते हैं। सूंड बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  अपनी सूंड या तो चेतावनी देने के लिए या फिर मित्र अथवा शत्रु सूंघने के लिए उठाता है। बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  की सूंड के रेखाचित्र बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  अपनी सूंड का इस्तेमाल कई कार्यों के लिए करता है। यहाँ पर बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  अपनी आँख पोंछते हुए। एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  की आँख। सूंड बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  की नाक और उसके ऊपरी होंठ की संधि है,[37] और लंबी हो जाने के कारण यह बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  का सबसे महत्वपूर्ण तथा कार्यकुशल अंग बन गई है। अफ़्रीकी हाथियों की सूंड के छोर में दो अँगुलिनुमा उभार होते हैं, जबकि एशियाई हाथियों में केवल एक ही उभार होता है। एक तरफ़ तो बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  की सूंड इतनी संवेदनशील होती है कि घास का एक तिनका भी उठा लेती है तो दूसरी तरफ़ इतनी मज़बूत भी होती है कि पेड़ की टहनियाँ भी उखाड़ ले। अधिकांश शाकाहारी पशुओं के दाँतों की संरचना इस प्रकार की होती है कि वह पौधे के विभिन्न भागों को काट-फाड़ सकें। जबकि हाथियों में बीमार और बहुत छोटे बच्चों के अलावा, बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  पहले अपनी सूंड से खाना फाड़ता है और फिर उस निवाले को अपने मुँह में पहुँचाता है। वह सूंड के द्वारा घास चरता है या फिर ऊपर पेड़ से पत्तियाँ, फल या समूची शाखायें तोड़ लेता है। अगर पेड़ में भोजन उसकी सूंड की पहुँच से भी परे है तो बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  अपनी सूंड पेड़ के तने या शाखा में लपेटकर ज़ोर से झिंझोड़ता है ताकि फल इत्यादि नीचे टपक जाये या कभी-कभी पूरे का पूरा पेड़ ही उखाड़ देता है। बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  सूंड का इस्तेमाल पानी पीने के लिए भी करता है। बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  पहले अपनी सूंड में एक बार में करीब १४ लीटर पानी खींच लेता है और फिर उसे अपने मुँह में उड़ेल देता है। नहाने के लिए भी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  इसी विधि का इस्तेमाल करता है। नहाने के बाद अपने गीले शरीर में बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  सूंड से मिट्टी छिड़क लेता है जो सूखकर उसकी त्वचा के ऊपर पपड़ी का रूप ले लेती है और उसकी तेज़ धूप तथा परजीवियों से सुरक्षा करती है। अन्य स्तनपाइयों की तरह — सिवाय इन्सान और वनमानुष के, जिन्हे सीखना पड़ता है — बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  भी बहुत अच्छा तैराक होता है।[38] तैरते समय बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  अपनी सूंड का इस्तेमाल स्नॉरकॅल की तरह करता है।[39][40] सूंड बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  के सामाजिक कार्यकलापों के ऊपर भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। संबन्धी अपनी सूंडें एक दूसरे से लपेटकर अभिवादन करेंगे, जैसा मनुष्य हाथ मिलाकर करते हैं। इसका इस्तेमाल वह खेल करते हुए कुश्ती में, मिलन से पहले, माँ तथा बच्चे के सम्बन्ध में तथा अन्य कार्यकलापों में भी करते हैं। उठी हुयी सूंड चेतावनी या धमकी हो सकती है जबकि सिर नीचे करके झुकी हुयी सूंड समर्पण का संकेत हो सकती है। दुश्मन को बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  अपनी सूंड से लपेटकर फेंक सकता है। बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  की सूंड में मनुष्य से कई गुणा अधिक घ्राण शक्ति होती है और वह अपनी सूंड ऊपर उठाकर तथा दाहिने बायें समुद्री दूरबीन (पॅरिस्कोप) की तरह लहराकर अपने खाद्य स्रोत, मित्र तथा शत्रु का पता लगा लेता है। बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  दाँत बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  के बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत उसके दूसरी ऊपरी छेदक दाँत होते हैं। बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  के जीवनकाल में निरन्तर बढ़ते रहते हैं। एक वयस्क नर के बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत लगभग एक वर्ष में १८ से॰मी॰ की दर से बढ़ते रहते हैं। बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत पानी, लवण तथा मूल खोदने के काम आते हैं। इसके अलावा पेड़ों की छाल छीलने और अपने लिए रास्ता तैयार करने में भी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत का बड़ा योगदान होता है। इसके अलावा बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत अपनी परिधि जताने के लिए पेड़ों में निशानदेही के लिए तथा कभी कभार अस्त्र-शस्त्र के लिए भी इस्तेमाल में लाए जाते हैं। जैसे मनुष्य दायाँ या बायाँ हाथ का इस्तेमाल करने वाला होता है, उसी प्रकार बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  भी आमतौर पर दायाँ या बायाँ बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत इस्तेमाल करता है। मुख्य बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत अमूमन थोड़ा छोटा होता है और उसके छोर कुछ गोल होते हैं क्योंकि उस बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत का ज़्यादा इस्तेमाल हुआ होता है। नर और मादा अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  के लम्बे बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत होते हैं जो वयस्क अवस्था में ३ मी॰ तक लम्बे और ४५ कि॰ तक वज़नी हो सकते हैं। एशियाई हाथियों में सिर्फ़ नर के लम्बे बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत होते हैं। मादा के बहुत छोटे या अमूमन नहीं होते हैं। एशियाई नर के अफ़्रीकी नर जितने लम्बे बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत हो सकते हैं लेकिन वह बहुत पतले और हल्के होते हैं। आज तक सबसे वज़नी ३९ कि॰ का आंका गया है। बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत में नक्काशी सरलतापूर्वक हो जाती है अतः कलाकारों ने इसे महत्ता दी जिसके कारण भारी संख्या में विश्व में हाथियों का विनाश हुआ। दाँत अन्य स्तनपाइयों की तुलना में बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  के दाँतों की रचना बिल्कुल अलग होती है। पूरी उम्र भर उनके २८ दाँत होते हैं। यह हैं:– दो ऊपरी द्वितीय छेदक: यही बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत कहलाते हैं। बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत से पूर्व विकसित दूध के दाँत। १२ अग्रचर्वणक, जबड़े के हर तरफ़ तीन। १२ चर्वणक, जबड़े के हर तरफ़ तीन। एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  के चर्वणक दाँत का प्रतिरूप अन्य स्तनपाइयों के विपरीत, जिनके दूध के दाँत झड़ने के बाद स्थाई दाँत आ जाते हैं, बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट के दाँत निरन्तर बदली होते रहते हैं। लगभग एक वर्ष की आयु में बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत के अग्रगामी दूध के दाँत झड़ जाते हैं और बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट दाँत उगने लग जाते हैं। किन्तु चबाने वाले दाँत (अग्रचर्वणक तथा चर्वणक) एक बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  की आयु में क़रीब पाँच बार[41] या बहुत विरले ही छः बार[42]बदली होते हैं। एक बार में केवल चार चबाने वाले दाँत (अग्रचर्वणक तथा/अथवा चर्वणक), एक-एक दोनों जबड़ों के दोनों तरफ़, प्रयोग में लाये जाते हैं (या केवल दो क्योंकि जबड़े के हर हिस्से में दूसरा दाँत पहले को बदली कर रहा होता है)। मानव दाँतों के विपरीत पक्के दाँत दूध के दाँतों को ऊपर की तरफ़ से नहीं धकेलते हैं। वरन् नये दाँत मुख के पिछले भाग में उगते हैं तथा पुराने दाँतों को आगे की तरफ़ धकेलते हैं जहाँ पुराने दाँत टूट-टूट कर गिर जाते हैं। अफ़्रीकी हाथियों में जन्म से ही चबाने वाले दाँतों का पहला समूह (सॅट) (अग्रचर्वणक) मौजूद होता है। जब शावक दो वर्ष का होता है तो दोनों जबड़ों के दोनों तरफ़ का पहला चबाने वाला दाँत गिर जाता है। यही प्रक्रिया दूसरे चबाने वाले दाँतों के समूह के साथ छः वर्ष की आयु में होती है। १३ से १५ वर्ष की आयु तक तीसरा दाँतों का समूह भी जाता रहता है, तथा चौथा समूह २८ वर्ष की आयु में झड़ जाता है। पाँचवा समूह बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  की ४० वर्ष की आयु तक चलता है। कदाचित छठा समूह बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  के जीवन के अन्त तक चलता है। यदि बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  ६० वर्ष की आयु से अधिक जीवित रह जाता है तो चर्वणक का आख़िरी समूह भी घिस-घिस कर ठूंठ भर रह जाता है तथा बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  भली भांति खा भी नहीं सकता है।[43] त्वचा चित्र:Elephant bathing-001.ogv अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  नहाते हुये हाथियों को बोलचाल की भाषा में बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  (अपने मूल वैज्ञानिक वर्गीकरण से) कहा जाता है, जिसका अर्थ मोटी चमड़ी के जानवरों से है। एक बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  कि त्वचा २.५ सेंटीमीटर तक मोटी होती है। इसके शरीर का अधिकांश भाग अत्यंत कठोर होता है। हालाँकि, मुंह और कान के भीतर के चारों ओर त्वचा काफ़ी पतली होती है। आम तौर पर, एक एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  की त्वचा में अपने अफ्रीकी रिश्तेदार से अधिक बाल होते हैं। युवा बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  में यह फ़र्क अधिक नज़र आता है। एशियाई शावकों की त्वचा अमूमन कत्थई रंग के बालों से ढकी रहती है। उम्र के साथ बाल गाढ़े रंग के होने के साथ-साथ कम होने लगते हैं लेकिन उसके सिर और पूँछ में वह सदा रहते हैं। बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  यों तो स्लेटी रंग के होते हैं, लेकिन अफ़्रीकी बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  अलग-अलग रंग की मिट्टी में लोटकर लाल या भूरे रंग के प्रतीत होते हैं। गीली मिट्टी में लोटना बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  समाज की दिनचर्या का एक अभिन्न अंग होता है। न केवल लोटना सामाजिकरण के लिए अहम है बल्कि मिट्टी धूपरोधक का काम भी करती है और उसकी त्वचा को पराबैंगनी किरणों से बचाती है। बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  की त्वचा कठोर होने के बावजूद संवेदनशील होती है। यदि वह नियमित रूप से मिट्टी का स्नान न करे तो उसकी त्वचा को जलने से, कीटदंश से और नमी निकल जाने से काफ़ी नुक़सान हो सकता है। मिट्टी में लोटने से त्वचा को बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  के शरीर का तापमान नियंत्रित करने में मदद मिलती है। बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  को अपनी त्वचा से शरीर की गर्मी निकालने में मुश्किल होती है, क्योंकि शरीर के अनुपात में त्वचा बहुत कम होती है। बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  के वज़न और उसकी त्वचा के सतही क्षेत्रफल का अनुपात मनुष्य की तुलना में बहुत अधिक होता है। हाथियों को अपनी टाँग उठाकर पैर के तालुओं को हवा देकर संभवतः ठण्डा रखने की कोशिश करते देखा गया है। पैर बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  तरबूज़ को खाने से पहले अपने पैरों से कुचलता हुआ संग्रहालय में रखा बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  के पैर का नाखून बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  के पैरों कि बनावट मोटे स्तंभों या खंभों के समान होती है। बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  को अपनी सीधी टाँगों और बड़े गद्देदार पैरों की वजह से खड़े रहने में मांसपेशियों से कम शक्ति की आवश्यकता होती है। इसी कारण, बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  बिना थके बहुत लंबे समय तक खड़े रह सकते हैं। वास्तव में, अफ़्रीकी हाथियों को शायद ही कभी लेटे हुए देखा जाता हो, सामान्यत: वे बीमार या घायल होने पर ही लेटते है। इसके विपरीत एशियाई बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  अक्सर लेटना पसन्द करते हैं। बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  के पैर लगभग गोल होते हैं। अफ़्रीकी हाथियों के प्रत्येक पिछले पैर पर तीन नाखून और प्रत्येक सामने के पैर पर चार नाखून होते हैं। भारतीय हाथियों के प्रत्येक पिछले पैर पर चार नाखून और प्रत्येक सामने के पैर पर पाँच नाखून होते हैं। पैर की हड्डियों के नीचे एक कड़ा, श्लेषी पदार्थ होता है जो एक गद्दे या शॉकर के रूप में कार्य करता है। बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  के वज़न से पैर फूल जाता है, लेकिन वज़न हट जाने से यह पहले जैसा हो जाता है। इसी कारण से गीली मिट्टी में गहरा धँस जाने के बावजूद बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  अपनी टांगों को आसानी से बाहर खींच लेता है। कान Wiki letter w.svg     इस अनुभाग को विस्तार की आवश्यकता है। मदद करें।. जीवविज्ञान और व्यवहार Wiki letter w.svg   इस अनुभाग को विस्तार की आवश्यकता है। मदद करें।. निद्रा दिन में 2 से 4 घंटे पुनरुत्पत्ति और जीवन चक्र बर्खास्त उपयंत्री स्वर्गीय दिवेश भट्ट  के बछड़े पर्यावरण का प्रभाव संकट शिकार निवास का नष्ट राष्ट्रीय उद्यान उर्वरक सन्दर्भ यू. जोगेर और जी. गैरिडो (2001). 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