"रुहेलखण्ड राज्य": अवतरणों में अंतर

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'''रुहेलखण्ड राज्य''' एक भारतीय राज्य था जो १७२१ में कमज़ोर होते जा रहे [[मुगल साम्राज्य]] के अंतर्गत उदित हुआ और १७७४ तक अस्तित्व में रहा। रुहेलखण्ड के पहले नवाब [[अली मुहम्मद खान]] थे और १७७४ में जब तक राज्य का अंत नहीं हो गया, तब तक इसका ताज रुहेलाओं के ही सर रहा। रुहेलखण्ड की अधिकांश सीमाएँ अली मुहम्मद खान द्वारा ही स्थापित की गई थीं और इसका अस्तित्व काफी हद तक पड़ोसी [[अवध राज्य]] की प्रतिद्वंदिता के लिए रहा; इसी क्षमता में अली मुहम्मद को [[हैदराबाद के निजाम]], [[निज़ाम-उल-मुल्क आसफजाह|क़मरुद्दीन ख़ान]] का भी समर्थन प्राप्त था। [[हाफ़िज़ रहमत खान बरेच|हाफ़िज़ रहमत खान]] के कुप्रबंधन और रुहेला परिसंघ के आंतरिक विभाजनों के कारण कमज़ोर पड़ चुके इस राज्य पर [[प्रथम रुहेला युद्ध]] के कुछ समय बाद अवध के नवाबों ने कब्ज़ा कर लिया। राज्य पर कब्ज़े के समय, रुहेलखण्ड का विस्तार [[हरिद्वार]] से [[अवध]] तक कुल १२,००० वर्ग मील के क्षेत्र में था, और यहाँ लगभग ६० लाख लोग निवास करते थे।
 
== नामकरण ==
रुहेलखण्ड क्षेत्र का प्राचीन नाम कटेहर था। रुहेलखण्ड नाम अठारहवीं शताब्दी के मध्य में प्रचलन में आया, जब यह क्षेत्र नवाब अली मोहम्मद खान बहादुर रुहेला द्वारा स्थापित रुहेला राजवंश के शासनाधीन आ गया था। हालाँकि रुहेला शब्द का इस्तेमाल इससे पहले इस क्षेत्र में रह रहे अफ़गान लोगों के लिए किया जाता रहा था।
 
== जनसांख्यिकी ==
सन १७७४ में जब राज्य का पतन हो गया था, उस समय रुहेलखण्ड का विस्तार [[हरिद्वार]] से [[अवध]] तक कुल १२,००० वर्ग मील के क्षेत्र में था, और यहाँ लगभग ६० लाख लोग निवास करते थे। अधिकांश निवासी हिंदू थे हालाँकि जनसंख्या के लगभग एक चौथाई हिस्से का प्रतिनिधित्व धर्मांतरित हुए मुसलमान करते थे।
 
== रुहेलखण्ड के नवाब ==