"संस्कृत भाषा": अवतरणों में अंतर

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* इनमें से '''ळ''' (मूर्धन्य पार्विक अन्तस्थ) एक अतिरिक्त व्यंजन है जिसका प्रयोग हिन्दी में नहीं होता है। मराठी और वैदिक संस्कृत में इसका प्रयोग किया जाता है।
* संस्कृत में [[ष|'''ष''' का उच्चारण]] ऐसे होता था : जीभ की नोंक को मूर्धा (मुँहमुंह की छत) की ओर उठाकर '''श''' जैसी ध्वनि करना। शुक्ल [[यजुर्वेद]] की माध्यंदिनि शाखा में ''कुछ वाक्यों'' में '''ष''' का उच्चारण '''ख''' की तरह करना मान्य था।
 
== संस्कृत भाषा की विशेषताएँ ==